INTERVIEW भगत सिंह कोश्यारीः शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार बुनियादी जरूरतें, उन्हें दुरुस्त करना होगा

INTERVIEW भगत सिंह कोश्यारीः शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार बुनियादी जरूरतें, उन्हें दुरुस्त करना होगा

हिल-मेल और ओहो रेडियो की विशेष पेशकश ‘उत्तराखंड की बात’ में हमारे साथ जुड़े महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी। उत्तराखंड की मौजूदा चुनौतियों और ‘भगतदा’ की सार्वजनिक जीवन यात्रा पर आरजे काव्य से हुई खास बातचीत के कुछ अंश-

हिमालय से निकलकर एक व्यक्ति समुद्र के किनारे तक पहुंच गया जैसे गंगा पहुंचती है इस पूरी यात्रा को कैसे देखते हैं?

मैं इसे सामान्य रूप में देखता हूं और सोचता हूं कि जगत में पदार्पण किया और वो भी हिमालय की गोद में जन्मा, तो अगर हिमालय जैसे ऊंचा व्यक्ति हरेक का नहीं हो सकता है, कम से कम हिमालय की चोटियों तक न पहुंचों लेकिन छोटे शिखरों तक तो पहुंच जाओ और ऐसा प्रयास हर एक हिमालय पुत्र या पुत्री का रहता है। मेरे भी जीवन में स्वाभाविक कोशिश रही कि हिमालय के जैसा आदर्श रहना चाहिए। हिमालय में इतनी बर्फ पड़ती रहती है, हिमालय सब सहन करता है ऐसे ही मनुष्य के जीवन में आंधी आए, तूफान आए सब सहना पड़ता है और हमको जो काम मिल गया, वह करते रहते हैं।

आप आज इतने बड़े पद पर हैं, मैं जब आपको यहां देख रहा हूं, मुझे कहीं से भी नहीं लग रहा कि आपकी उम्र 80 साल के आसपास होगी, इसका राज क्या है?

मेरी कोशिश यही रही है कि जब तक बच्चे थे, वैसे ही बने रहो जब स्वास्थ्य खत्म हो जाएगा, तब बचपना भी खत्म हो जाएगा। शरीर है, शरीर का एक धर्म है। उम्र घट रही है तो स्वभाविक है और इसलिए यह चिंता नहीं करनी है कि आज क्या होगा। हमने अनेक विकट परिस्थितियां देखी हैं, प्रारंभ से ही समाज के साथ तालमेल रहा है इसके कारण हमेशा एक ही चिंता रहती थी कि अपना देश, अपना प्रदेश, अपना गांव एक आर्दश हो जाए, इस तरह से हम सोचा करते थे। मैंने शुरू में ही आरआरएस में भाग ले लिया इसलिए स्वाभाविक था कि मेरा चिंतन थोड़ा ऊपर उठके हो गया और देश के बारे में सोचता रहता हूं। स्वाभाविक है कि जो पारिवारिक जिम्मेदारी होती है, उसको निभाने की कोशिश करता रहता हूं। मैंने कभी किसी को छोटा बड़ा नहीं समझा। मेरे लिए जो घर बना रहा है, जो सड़क बना रहा है वह भगवान है। मैंने गांव में काम किया, खेती की, मेरे परिवार में मेरे भाई आज भी गांव में काम कर रहे हैं, इसलिए मुझे उसी चीज का महत्व मालूम है, जिससे देश खड़ा हो, इसका मतलब यह नहीं कि हमारे देश के जो वैज्ञानिक हैं, डाक्टर हैं, उनको मैं कम मानता हूं लेकिन पूर्णरूप से जो देश का प्राण हैं, वास्तव में वह है जो अंतिम पंक्ति पर खड़ा है उस अंतिम पंक्ति में खड़े रहने वाला का ध्यान हमेशा दिमाग में रहता है। एक व्यक्ति के बूते सबकुछ करना संभव नहीं है, एक संगठन, यहां तक कि एक सरकार भी अकेले कुछ नहीं कर सकती।

आपको बड़े तो बड़े छोटे भी भगत दा कहते हैं, आपको इस बात का एहसास कब हुआ ?

जब मैं स्कूल कॉलेज में पढ़ता था तो सब दोस्त मुझे भगत दा ही कहते थे। जब हम गांव में रहते थे तो हम लोग पुराने कपड़े पहने रहते थे, मैं लोगों को चाय पिलाया करता था तो लोगों को लगता था कि यह तो भगत दा ही है। महात्मा गांधी जी को भी कभी एहसास हुआ होगा कि लोग उन्हें महात्मा कहते हैं, यह तो लोग कहते गए।

आप एक छोटे से शहर से निकलकर आज महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य के राज्यपाल हैं, लोग आपको अपना आदर्श मानते हैं, आप युवाओं को क्या संदेश देना चाहते हैं ?

मैं तो सबसे पहले कहूंगा कि हमारे जो युवा हैं, जो हमारे छात्र हैं, वह हमारे देश के श्रेष्ठ पुरूष हैं। ऐसे ही श्रेष्ठ पुरुष हमारे इतिहास में प्रेरणादायी हुए हैं। कोई स्वामी विवेकानंद को, कोई शिवाजी, कोई और किसी को अपना आदर्श मानता है। हमारे देश में एक से एक आदर्श हैं, कोई चंद्रशेखर को अपना आदर्श मानते हैं तो कोई भगत सिंह को। कोई वैज्ञानिक को अपना आदर्श मानते हैं। आप एटोनॉमिक एनर्जी में चले जाएं, इसरो चले जाएं, आप कहीं भी चले जाएं। आप हवाई जहाज में जाएं, चाहे हम अंतरिक्ष में जाएं, चाहे हम हॉर्टिकल्चर या कृषि में चले जाएं, चाहे हम कोई भी काम करें लेकिन जीवन के अंदर हम जो करें, जीवन में हमारे आदर्श हैं। इस देश के अंदर एक से एक आदर्श प्रस्तुत हुए हैं। कल्पना कीजिए कि आज हमारा जो योग है दुनिया के अंदर योग कहां-कहां नहीं हैं, वह धर्म का विषय नहीं है। यह तो जीवन में उन्नति और प्रगति का विषय है। मैं युवाओं से कहना चाहूंगा कि वह अपना स्वाभिमान बनाए रखें अपने देश पर और हमारे जो महापुरुष हैं, हमारे संत हैं, ऐसे क्रांतिकारी हैं, उन लोगों के बारे में अध्ययन करो। आप कुछ भी बनना चाहते हैं आईएस या आईपीएस कुछ भी बनो पर जो जल, जमीन जो नींव हमारी है, उसको समझना चाहिए। हमारे उत्तराखंड में कितने महान लोग तप करने आए थे। यह हमारे पहाड़ के संस्कार हैं कि लोग हमारी देवभूमि में आए और उन्होंने यहां से काफी कुछ ज्ञान अर्जित किया। हम लोगों को अपने अंदर ऊर्जावान होना चाहिए। अब्दुल कलाम को पढ़ो, वह कहां से कहां पहुंच गए, ऐसे लोगों को पढ़ना चाहिए। उन्होंने अपने जीवन में कितनी तकलीफ सही होंगी, तभी तो वह पहले मिसाइल मैन बने और उसके बाद देश के राष्ट्रपति बने। अगर हम इन महानपुरूषों के बारे में पढ़ेंगे नहीं तो आप लोग कैसे महान बनेंगे। मैं देश के हर युवा से यही कहना चाहता हूं कि आप इन महान लोगों के बारे में जाने और वह कैसे संघर्ष करके आगे बढ़े। उन्हीं के आदर्शों पर आगे बढ़ते जाओ तो एक दिन आप जरूर कामयाब होगे।

आप अपने जीवन में किससे प्रभावित हुए?

जब मैंने 10वीं, 12वीं पास किया, तब स्वाभाविक रूप से मैं, मेरे माता-पिता, दादा-दादी सब भगवान राम की पूजा करते, उन्हें अपना आदर्श मानते, इसलिए मुझे शुरू से ही भगवान राम का स्मरण रहा। मेरे जीवन में मैंने प्रारंभ में सीखा सिया राम सब जग जानी… लोग सोचते थे कि यह तो हिंदू की बात करता है, परंतु मैं कहता हूं कि जिस हिंगू की मैं बात करता हूं उसके बारे में तुलसीदास ने कहा है सिया राम सब जग जानी….। और आज मुझे लगता है कि हम अपने सीधे-साधे स्वार्थों के लिए कुछ भी सोचते हों, जीवन सारा संसार एक है। दीनदयाल उपाध्याय एक बात कहा करते थे, धर्म एक आत्मा है दीन हो, प्राणी हो, मनुष्य हो, पशु हो, कोई भी हो। इसलिए मैंने प्रारंभ में कहा कि भगवान राम मेरे आदर्श थे। देश स्वतंत्र होने से पहले मेरा जन्म हुआ, जब देश आजाद हुआ तो उस समय मैं पांच साल का रहा होऊंगा। उस समय मेरे पिताजी के पास रेडियो नहीं था लेकिन गांव में जिसके पास भी रेडियो हुआ करता था, हम उनके यहां जाकर समाचार सुना करते थे। हमारे देश में एक से एक आदर्श हैं। कभी हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नहीं सोचा होगा कि मैं पीएम बनूंगा। वह तो छोटी सी उम्र में घर से निकल गए थे, सोचा था कि साधु बनूंगा, उन्होंने हिमालय के कई स्थानों में साधना की। मैं बागेश्वर का रहने वाला हूं तो उन्होंने मुझसे पूछा कि बागेश्वर में शिवजी का मंदिर है, क्या आप जानते हैं मैंने कहा, हां मैं जानता हूं। उन्होंने कितना संघर्ष किया कि वह आज हमारे देश के प्रधानमंत्री हैं।

उत्तराखंड राज्य को बने 20 वर्ष हो गए हैं, आपने तो इस प्रदेश को बनते हुए देखा है, यह प्रदेश अपने आप में, अपनी छवि को लेकर कितना बन पाया है?

मुझे ऐसा लगता है कि उत्तराखंड एक बात के लिए राज्य बन गया, राज्य की भौतिक संपदा बढ़ गई है, जगह-जगह पहले अटल जी और अब मोदी जी के प्रयासों से घरों में बिजली पहुंच गई है, गैस पहुंच गई है, सड़क पहुंच गई है, ये सब चीजें है लेकिन उत्तरखंड के अंदर जो टूरिज्म बढ़ना चाहिए था, वह नहीं हुआ। मैंने जो पिछले मुख्यमंत्री थे, उनसे कहा कि देखा भाई उत्तरखंड को बने 20 साल हो गएं हैं, अभी हमने लैंड रिफार्म को ठीक ढंग से नहीं किया है। उसका हमने बंदोबस्त नहीं किया है। सन् 1962 के बाद बंदोबस्त नहीं हुआ है। उसके लिए आयोग बिठाइए। ऐसी छोटी-छोटी चीजें हैं, उनको ठीक कीजिए। हमारा इंफ्रास्ट्रचर केंद्र की कृपा से ठीक बन गया है। वहां पर ऑल वेदर रोड बन रही है, रेललाइन बन रही है और भी कई चीजों पर काम हो रहा है, लेकिन जो बुनियादी चीजें हैं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार उनको दुरूस्त करने की जरूरत है। रोजगार देने के लिए सबको सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती इसलिए उन बेरोजगारों को स्वरोजगार में कैसे आगे बढ़ाएं, उस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। अब सुनने में आ रहा है कि जो लोग दिल्ली, मुंबई में होटलों में काम किया करते थे, अपने घर चले गए हैं। वह सब लोग अब अपने-अपने इलाके में छोटे-मोटे काम कर रहे हैं। उनको यहां पर घर का किराया नहीं देना पड़ रहा है, खाने के लिए अपने खेतों से कुछ हो जाता है। यह लोग अगर यहां पर कुछ करें तो वह अपना जीवन यापन अच्छी तरह से कर सकते हैं। हमारे उत्तराखंड में स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी है। मुझे तो यहां के लोग कहते हैं कि साहब मुझे देवभूमि के दर्शन करवा दो। इन सब कामों को लिए हमें ब्लू प्रिंट बनाना चाहिए, चाहे राज्य में कोई भी सरकार हो, किसी भी पार्टी की सरकार हो सबको इन मुद्दों को लेकर काम करना चाहिए, तभी हमारे उत्तराखंड का भला होगा।

 

आप देश के सबसे बड़े आर्थिक राज्य महाराष्ट्र के गर्वनर हैं, आप जब पहाड़ के लोगों को शासन-प्रशासन में अहम स्थानों पर देखते हैं तो कैसा अहसास होता है और उत्तराखंड के भविष्य को लेकर क्या लगता है?

हिमालय से लगने वाले सारे राज्यों के लोग चाहे वह हिमाचल हो, चाहे वह जम्मू कश्मीर हो, चाहे अरूणाचल हो, यहां के लोग बहुत ही मेहनती होते हैं। मैं खासकर बात करता हूं उत्तराखंड की। आप उत्तराखंड का व्यक्ति कहीं भी देखेंगे अपनी योग्यता के हिसाब से काफी अच्छे हैं। देखिये उत्तर प्रदेश में सबसे पहले मुख्यमंत्री उत्तराखंड से ही थे। आज कल उत्तराखंड से पले बढ़े योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश का शासन-प्रशासन चला रहे हैं। इससे पहले भी उत्तरखंड के कई लोगों ने उत्तर प्रदेश शासन की बागडोर संभाली। आप कही भी चले जाइये, उत्तराखंड के लोगों ने अपनी ईमानदारी से सब लोगों का दिल जीता है। अगर कहीं भी ईमानदारी के लिए कहा जाता है तो उत्तराखंड के लोग इस मामले में सबसे आगे रहते हैं। ईमानदारी हमारी ताकत है, हम लोगों को इसे बनाए रखना है। इसलिए कहा जा सकता है कि अगर ईमानदारी और स्वाभिमान किसी में होता है तो यह उत्तराखंड के लोगों में होता है। उत्तराखंड का आदमी होटल में काम कर लेगा, खाना बना लेगा, बर्तन धो लेगा लेकिन वह कभी भीख नहीं मांगेगा।

आपने टूरिज्म को लेकर बात की, क्या आपको लगता है कि हमने पिछले 20 वर्षों में कोई नया टूरिज्म डेस्टिनेशन विकसित नहीं किया?

देखिये जो सरकार को करना है, वो मैं सरकार को बता दूंगा। हम सबको क्या करना है, आप धनौल्टी चले जाओ, नैनीताल में जाओ, मुक्तेश्वर में जाओ देखो, रामगढ़ चले जाओ ये कितना विकसित हो गया है। जगह नहीं मिल रही है। दिल्ली के लोग मुझे बोलते हैं कि मुक्तेश्वर में मेरा मकान है, रामगढ़ में मकान है इन स्थानों में गांवों के लोग कम हैं और दिल्ली, मुंबई और अन्य जगहों के लोग ज्यादा हैं। इसलिए हम लोगों को यह कोशिश करनी चाहिए कि दूसरा क्या कर रहा है, उससे हमें सीखना चाहिए। वह कैसा कर रहा है, हम भी वैसा कर सकते हैं। हिमाचल से हमारे राज्य की सीमा लगती है उत्तरकाशी के आसपास हमारे अनेक बाग हैं। यह केवल सरकार का काम नहीं है, हम सब नागरिकों को भी अच्छे काम करने की आदत डालनी होगी। हम लोग सरकार के भरोसे नहीं रह सकते।

 

महाराष्ट्र के अंदर पहाड़ के बहुत सारे लोग रहते हैं, जब आप वहां के लोगों से मिलते हैं, तो कैसे बातचीत होती है? अक्सर देखा जाता है कि जब हम घर से बाहर चले जाते हैं तो लोगों को प्यार ज्यादा उमड़ता है?

मैं उत्तराखंड से हूं और ये लोग उत्तराखंड को बहुत प्यार करते हैं। स्वाभाविक सी बात है कि जब कोई उत्तराखंड का व्यक्ति किसी उच्च पद पर होता है तो वहां के लोगों का प्यार उनके प्रति ज्यादा हो जाता है। यह स्वभाव केवल उत्तराखंड के लोगों में नहीं होता, यह सब राज्यों के लोगों में होता है। सब लोगों को अच्छा लगता है कि उनके राज्य का व्यक्ति इस कुर्सी पर पहुंचा है। लेकिन जब कोई व्यक्ति संवैधानिक तौर पर शपथ लेकर किसी पद पर बैठता है तो उसके लिए सारे लोग एक जैसे हो जाते हैं। मेरा ये सौभाग्य है कि जहां-जहां गंगा, गोदावरी का पानी जाता है वहां से मुझे सब लोगों का प्यार मिलता है। (यह साक्षात्कार 26 जून को लिया गया।)

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