लक्ष्य सेन की जीत से खिल उठे चेहरे

लक्ष्य सेन की जीत से खिल उठे चेहरे

लक्ष्य सेन ने बर्मिंघम में कामनवेल्थ गेम्स-2022 में एकल वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था। पेरिस ओलंपिक के लिए भी लक्ष्य ने टाप-16 में जगह बनाकर क्वालीफाई किया है। अल्मोड़ा के रहने वाले लक्ष्य सेन 6 साल की उम्र में ही बैडमिंटन खेल रहे हैं।

डॉ हरीश चन्द्र अन्डोला

लक्ष्य सेन मूल रूप से अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर तहसील के रस्यारा गांव के हैं। अल्मोड़ा के तिलकपुर मोहल्ले में स्थित उनके घर में बना बैडमिन्टन का कोर्ट लक्ष्य सेन के दादाजी द्वारा ने ही बनाया। इसी बैडमिन्टन कोर्ट में दिन-रात मेहनत कर लक्ष्य सेन ने आज यह मुकाम हासिल किया है। लक्ष्य की दसवीं तक की पढ़ाई अल्मोड़ा के बीरशिवा स्कूल में ही हुई। 2018 में लक्ष्य ने जूनियर एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप अपने नाम की थी। उसके बाद से लगातार बड़े टूर्नामेंट में जीत हासिल कर रहे हैं। वर्ल्ड चैंपियनशिप और थॉमस कप पदक के बाद अब उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में भी पदक अपने नाम कर लोहा मनवाया है। अल्मोड़ा के इस लड़के का बैडमिंटन की दुनिया में उदय स्थिर रहा है। हालांकि, इस साल यह असाधारण रहा। वह थॉमस कप जीतने वाली टीम का हिस्सा थे, ऑल-इंग्लैंड चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले चौथे भारतीय थे और बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता थे।

लेकिन कहानी बहुत पहले से शुरू होती है, स्वर्गीय चंद्र लाल सेन के समय से, जिन्होंने अल्मोड़ा शहर में बैडमिंटन को लाया। एक व्यक्ति की दूरदर्शिता, धैर्य, दृढ़ता, कड़ी मेहनत और बैडमिंटन के खेल के प्रति जुनून ने अल्मोड़ा को प्रतिभाओं को निखारने और हर साल चैंपियन बनाने वाली नर्सरी बना दिया, जिसमें लक्ष्य उन सभी में सबसे आगे था। एक कहानी, जिसे बताया जाना चाहिए। चंद्र लाल सेन का जन्म 7 जून 1931 को अल्मोड़ा में हुआ था। चंद्र लाल छात्र जीवन में एक अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी थे। अंग्रेजों को खेलते देखकर उन्होंने 20 साल की उम्र में रामसे इंटर कॉलेज के आउटडोर में बैडमिंटन खेलना शुरू किया, जहां से उन्होंने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की। सेन उत्तर प्रदेश सरकार में सेवा में शामिल हो गए।

1970 के दशक तक, उन्होंने एक खिलाड़ी के रूप में अपना नाम कमाया था। उन्होंने 1973 से 1989 तक पूरे देश में अखिल भारतीय सिविल सेवा टूर्नामेंट में यूपी सिविल सेवा बैडमिंटन टीम का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें वे एक बार विजेता और तीन मौकों पर उपविजेता रहे। लेकिन उनका दिल अल्मोड़ा में था, क्योंकि वे वहां सुविधाएं विकसित करने का सपना देखते थे। बाद में उनकी पोस्टिंग अल्मोड़ा में हुई और उन्होंने यूपी सरकार के खेल विभाग से नियमित पत्राचार शुरू कर दिया। उनकी कोशिशें तब रंग लाईं जब 1993 में एक अलग बैडमिंटन हॉल बनाया गया। प्रतिभा को निखारने के उत्साह ने उन्हें पूरी तरह से कोचिंग में शामिल कर दिया। उनके एनआईएस प्रशिक्षित बेटे धीरेंद्र (डीके सेन) याद करते हैं कि उनके पिता खुद ही कोर्ट मार्किंग करते थे और उनके पास दो लकड़ी के खंभे थे, जिससे वे लगभग कहीं भी कोर्ट बना सकते थे, लेकिन खास तौर पर रामसे इंटर कॉलेज के मैदान पर।

खेल के प्रति उनका प्यार इतना था कि जब उन्होंने तिलकपुर बगीचा इलाके में अपना घर बनाया, तो उसके परिसर में बैडमिंटन कोर्ट बनवाया-अल्मोड़ा के लिए यह एक दुर्लभ बात है। उनके बच्चे और बाद में उनके दो पोते चिराग और लक्ष्य उनके साथ उनके घर के कोर्ट में अभ्यास करते थे। सुबह जल्दी उठकर, वह खिलाड़ियों के साथ स्टेडियम में काफी समय बिताते थे, हर सुबह और शाम उन्हें देखते और उनका मार्गदर्शन करते थे। कौशल, गति, चुपके और सहनशक्ति इस खेल की विशेषता है, यह उन बहुत कम खेलों में से एक है जो गेंद से नहीं खेले जाते। केवल कड़ी मेहनत ही सफलता दिला सकती है, बैडमिंटन में तो और भी अधिक।

सीमित संसाधनों के बावजूद, कई टूर्नामेंट आयोजित किए गए, जिसमें अल्मोड़ा के अन्य बैडमिंटन प्रेमियों ने अपना योगदान दिया। इन सबने उत्कृष्टता की संस्कृति को जन्म दिया, जिसका प्रमाण तब मिला जब खिलाड़ी अन्य जगहों पर टूर्नामेंट में भाग लेने गए। प्रतिस्पर्धी खेलने की उम्र से आगे निकल चुके कई खिलाड़ी अब कोच और खेल प्रशिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं। डीके सेन ने 2001 में गोरखपुर में आयोजित यूपी-स्टेट बैडमिंटन टूर्नामेंट में अल्मोड़ा के बच्चों ने अलग-अलग श्रेणियों में सभी 12 फाइनल जीते थे। अल्मोड़ा बैडमिंटन वाकई अपने चरम पर था। उन्हें याद है कि यूपी में एक राज्य स्तरीय टूर्नामेंट के पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान, भारत से स्टार शटलर लक्ष्य सेन से पेरिस ओलंपिक में उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश को पदक की उम्मीद है।

लक्ष्य सेन ने बर्मिंघम में कामनवेल्थ गेम्स-2022 में एकल वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था। पेरिस ओलंपिक के लिए भी लक्ष्य ने टाप-16 में जगह बनाकर क्वालीफाई किया है। अल्मोड़ा के रहने वाले लक्ष्य सेन 6 साल की उम्र में ही बैडमिंटन खेल रहे हैं। लक्ष्य के पिता डीके सेन बैडमिंटन के अंतरराष्ट्रीय कोच होने के साथ ही उनके भी कोच हैं। लक्ष्य के दादा सीएल सेन भी बैडमिंटन खिलाड़ी रहे और बड़े भाई चिराग सेन भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। लक्ष्य राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई पदक जीत चुके हैं। इसके लिए उन्हें वर्ष 2022 में अर्जुन पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। जिसमें अल्मोड़ा की लड़कियों और लड़कों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था, उन्होंने यूपी बैडमिंटन एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष को एसोसिएशन के सचिव से मजाक में यह कहते हुए सुना था, “अगर आप यूपी के खिलाड़ियों से अच्छा प्रदर्शन चाहते हैं, तो अपने मैदान पर अल्मोड़ा की कुछ मिट्टी छिड़कवा लें!“

73 साल बाद भारत को पहली बार थॉमस कप दिलाने वाली भारतीय बैडमिंटन टीम के सदस्य अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी लक्ष्य सेन का रविवार को हल्द्वानी, भवाली और अल्मोड़ा में जोरदार स्वागत हुआ। इससे पूर्व दिल्ली में उन्होंने पीएम मोदी को बाल मिठाई भेंट की। इसके लिए प्रधानमंत्री ने लक्ष्य का आभार जताते हुए कहा कि उन्होंने जीत के बाद फोन पर लक्ष्य से कहा था कि बाल मिठाई तो बनती है और लक्ष्य को उनके कहे ये शब्द याद रहे। बैडमिंटन खिलाड़ी गायत्री ने कहा कि वह लक्ष्य भैया के मैच देख रही हैं और उनका बेहतरीन प्रदर्शन भी देखने को मिल रहा है। अल्मोड़ा के इस कोर्ट में लक्ष्य भैया ने प्रैक्टिस की है। वह भी यहां पर आकर प्रैक्टिस कर रही हैं और उनका भी सपना है कि वह लक्ष्य जैसा बनें और अपने शहर और उत्तराखंड का नाम रोशन करें।

खिलाड़ी गौरव भट्ट ने कहा कि उन्हें काफी गर्व महसूस होता है कि लक्ष्य सेन इसी कोर्ट से प्रैक्टिस कर चुके हैं और वह भी यहां पर प्रैक्टिस करने आ रहे हैं। उन्होंने लक्ष्य भैया के ओलंपिक मैच देखे हैं और उम्मीद है कि वह मेडल जरूर जीतेंगे। लक्ष्य भैया आज हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। इस बैडमिंटन कोर्ट में प्रैक्टिस करने आ रहे बच्चों को भी काफी प्रोत्साहन मिलता है कि जब लक्ष्य भैया इतने बड़े मंच पर पहुंच सकते हैं, तो वे भी उस मुकाम तक पहुंच सकते हैं। लक्ष्य सेन ने अपने अभी तक के खेले गए मैचों में शानदार प्रदर्शन किया है। जितने भी मैच उन्होंने खेले हैं, उसमें सारे सेट अपने नाम किए हैं। उनकी और तमाम खिलाड़ियों की लक्ष्य के लिए शुभकामनाएं हैं कि वह अपने सारे मैच इसी तरह से जीतें और पदक लेकर आएं।

उन्होंने कहा कि जब हम किसी के साथ मैच खेलते हैं, तो कोर्ट में एडजस्ट करने में भी समय लगता है, पर दूसरे सेट में जब लक्ष्य ने अपना खेल दिखाया, तो वह वाकई कमाल का था। उन्हें उम्मीद है कि वह पदक जरूर जीतेंगे। पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के स्टार खिलाड़ी लक्ष्य सेन सोमवार को जीत मिली है। उन्होंने सिंगल बैडमिंटन के ग्रुप मैच में बेल्जियम के जूलियन कैरेगी को हराया। सेन ने पहले मैच को 21-19 से जीता तो वहीं भारत के दुनिया के 18वें नंबर के खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने दुनिया के 52वें नंबर के खिलाड़ी कैरेगी को 43 मिनट में 21-19, 21-14 से शिकस्त दी।

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं और वह दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।)

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