अपने देश के हर कोने में त्योहार मनाए जाते हैं। अपनी बोली, लोक संस्कृति के लिहाज से इनका विशेष महत्व है। ऐसा ही एक त्योहार का उत्तराखंड की लोक संस्कृति में रचा बसा हरेला महोत्सव। हरेला मूल रूप से उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में मनाया जाता है।
कोरोना के प्रकोप के बीच पूरे एहतियात के साथ हरेला महोत्सव उत्तराखंड में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। अल्मोड़ा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला में सभी लोक उत्सवों को छात्रों के साथ पारंपरिक अंदाज में मनाने की परिपाटी रही है। इस बार कोरोना महामारी के कारण परिस्थितियां भिन्न थीं फिर भी कोविड-19 गाइडलाइन एवं विभागीय निर्देशों का अक्षरशः पालन करते हुए 16 जुलाई को राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला सेवित क्षेत्र में हरेला महोत्सव मनाया गया।
उत्तराखंड की संस्कृति के संरक्षण व बाल रचनात्मकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह महोत्सव हर साल मनाया जाता है। इस वर्ष यह कार्यक्रम विद्यालय से इतर समुदाय के साथ मिलकर आयोजित किया गया जिसमें शिक्षक, विद्यार्थियों और गांव के लोगों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर बच्चों ने हरेले पर चित्रकारी और निबंध लेखन का कार्य किया। वृहत दीवार पत्रिका का निर्माण किया गया और सामुदायिक रेडियो स्टेशन कुमाऊवाणी (मुक्तेश्वर स्थित) के साथ रेडियो शो का आयोजन किया गया।
बाल रचनात्मकता को बढ़ावा देने और पहाड़ी बोली को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सुमित खनी और खुशी खनी ने पहाड़ी भाषा में एक रेडियो शो प्रस्तुत किया जिसमें सुमित ने हरेले पर्व के बारे कुमाऊनी बोली में बताया। विद्यालय में सामाजिक दूरी का पालन व कोविड-19 गाइडलाइन के अनुसार ही अभिभावकों के साथ विभिन्न प्रकार के पौधों (22) का रोपण किया गया और उत्सव को कोरोनाकाल में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
वाह! हरेला पर देहरादून में लगे 3.5 लाख पौधे
राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला, विकासखंड धौलादेवी जिला अल्मोड़ा के सहायक अध्यापक भास्कर जोशी ने बताया कि विद्यालय ही संस्कृति के वाहक हैं, हम नए ज्ञान को तो आत्मसात कर रहे हैं पर पुरानी परिपाटियां, तीज- त्योहारों को तिलांजलि देते जा रहे हैं। हम अपनी भाषा, बोलियों को बोलने में शर्म करने लगे हैं, अपने त्यौहारों को अब उतनी जीवटता से नहीं मनाते और उनके प्रति उदासीन ही रहते हैं, इन्हीं संदर्भों को ध्यान में रखकर यह कार्यक्रम संपन्न किया गया व जनजागरण किया गया।
इस अवसर पर दीपा देवी, माया देवी, कमला देवी, निर्मला देवी, आनंदी देवी, बिशन सिंह, पान सिंह, दरवान सिंह, गणेश सिंह एवं अन्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम करने में कोविड-19 गाइडलाइन का पूरी तरह पालन किया गया। वृक्षारोपण को छोड़कर सभी कार्यक्रम विद्यालय से इतर सेवित क्षेत्र में समुदाय के साथ सम्पन किए गए।
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