उत्तराखंड में सेब की खेती तो होती है पर अपना ब्रांड विकसित करने की कभी कोशिश नहीं हुई। प्रदेश में कई सरकारी फार्म वर्षों से खाली पड़े हुए हैं। अब पौड़ी के जिलाधिकारी की पहल पर ये तस्वीर भी बदलने लगी है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह ड्रीम प्रोजेक्ट एक मिसाल बनने जा रहा है।
हिमाचल का सेब देश ही नहीं, पूरी दुनिया में मशहूर हैं। उत्तराखंड में भी इसी गुणवत्ता के सेब होते हैं। अब उत्तराखंड में सेब के बागानों को विस्तार देने के प्रयास हो रहे हैं। ब्रांडिंग से पहले इसकी खेती पर फोकस किया जा रहा है। पौड़ी जिला प्रशासन ने कलासन नर्सरी फार्म, हिमाचल प्रदेश के सहयोग से जिले के किसानों को उच्चकोटि के सेब के पौधे उपलब्ध कराने की पहल की है। यहां नैनीडांडा स्थित पटेलिया फार्म में नीदरलैंड्स से लाए गए लगभग 10,000 रूट स्टॉक्स लगाए गए हैं। यह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट है।
इन रूट्स्टाक्स में मुख्यतः M9 की 3000, MM 106 की 2500 और MM 111 की 4500 रूट्स्टाक्स हैं। ये सब मदर रूट स्टॉक्स हैं जिनसे 2022 तक 60,000 से ज्यादा पौधे तैयार होंगे। पटेलिया फार्म को जनपद की नर्सरी के रूप में विकसित करने के अलावा किसानों के लिए ट्रेनिंग सेंटर तथा रामनगर से निकट होने के कारण दिल्ली के पर्यटकों के लिए हॉर्टी-टूरिज्म के केंद्र के रूप में भी विकसित किया जा रहा है।
खास बात यह है कि जिस शख्स की इस फार्म को डेवलप करने का जिम्मा दिया गया है, उन्होंने काम हिमाचल में सीखा और अनुभव प्राप्त किया पर रहने वाले उत्तराखंड के हैं। दरअसल, विक्रम सिंह रावत के पिता काफी समय पहले हिमाचल चले गए थे। वहीं पर इन्होंने कलासन नर्सरी शुरू की। सेब की खेती करने का 17 साल से ज्यादा अनुभव रखने वाले पौड़ी के विक्रम बताते हैं कि उन्होंने सोचा कि क्यों न अपने उत्तराखंड में भी सेबों की नर्सरी शुरू की जाए और लोगों को फायदा दिखाया जाए, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस क्षेत्र में काम कर सकें। विक्रम मूल रूप से पौड़ी के कलुन गांव के रहने वाले हैं।
हिल-मेल से बातचीत में विक्रम सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी पौड़ी धीरज गर्ब्याल की मदद से सरकारी फार्म को विकसित कर रहे हैं। यह करीब 15 वर्षों से बंजर और बेकार पड़ा था। जेसीबी लगाकर इसे फिर से डिजाइन किया गया। नर्सरी के साथ-साथ बगीचा भी लगाया जा रहा है। नर्सरी की जो प्लांटेंशन अभी की गई है, उसमें 10 हजार मदर प्लांट्स हैं जिससे आने वाले समय में 60 हजार से 1 लाख तक प्लांट्स तैयार हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि फल उत्पादन के लिए 2100 पौधे हाई-डेंसिटी में लगाए गए हैं। हिमाचल की बेस्ट वेरायटी को पौड़ी में लगाया गया है। अगले साल से उत्पादन शुरू हो जाएगा और सैंपल फ्रूट्स आने लगेंगे। इसका मकसद यह है कि स्थानीय युवाओं को प्रेरित किया जाए, उन्हें फायदा दिखे जिससे वे काम शुरू कर सकें। कमर्शियल फ्रूट्स आने में तीन साल का वक्त लगेगा।
विक्रम कहते हैं कि हमारी कोशिश है कि उत्तराखंड की जो जमीनें बेकार पड़ी हैं, वहां बागान लगाए जाएं। कलुन में 2017 में ही फल के बड़े पेड़ लगाने शुरू कर दिए थे, जिससे वे जल्दी से फल देने लगे। इससे लोग जल्दी प्रेरित होते हैं। हिमाचल के अपने फार्म से उन्होंने 3-3 साल के पौधे लाकर कलुन में लगाए। जिस साल लगाया उसी साल फल आ गए तो लोगों के मन में संशय भी खत्म हो गया कि सेब यहां नहीं हो सकता है। अब कलुन गांव में 1400 के करीब सेब के प्लांट्स हैं। 1-2 साल में अच्छा उत्पादन शुरू हो जाएगा। इस साल 1000 से ज्यादा पौधे लगाने की योजना है।
उन्होंने बताया कि पटेलिया फार्म में ट्रेनिंग सेंटर भी बना रहे हैं। पर्यटन के हिसाब से हट्स बनाने की भी योजना है। जब-जब प्रशिक्षण होगा तो लोग वहीं ठहरेंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में बेरोजगार हुए युवाओं के लिए भी यह अच्छा विकल्प हो सकता है। इससे पहले लोगों के दिल में यह बात बैठनी चाहिए कि हिमाचल के सेब उत्तराखंड में भी पैदा किए जा सकते हैं। लोगों को दिखना चाहिए कि इससे पैसा कमाया जा रहा तो लोग अपने आप आगे आएंगे।
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Vishwas
March 10, 2022, 9:41 pmI want to buy apple plant
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