विश्वविद्यालय में देश का 78वां स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान द्वारा तराई भवन एवं गांधी पार्क में ध्वजारोहण किया गया तथा विद्यार्थियों, शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को देश की सेवा के लिए संकल्प दिलाया।
पंतनगर विश्वविद्यालय में 78वं स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया गया। इस अवसर पर कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने शहीदों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद किया। जिनके बलिदान की नींव पर हमारा भारत स्वतंत्र रूप से खड़ा है। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में उन्होंने सरदार ऊधमसिंह को याद किया जिनके नाम पर यह जिला स्थापित है। उन्होंने बताया कि पहले कृषि विश्वविद्यालय के रूप में 1960 में स्थापित पन्तनगर विश्वविद्यालय के समक्ष कृषि को आगे ले जाने की चुनौती थी। विश्वविद्यालय में अनुसंधान विकास हेतु नयी तकनीक विकसित करनी थी जिससे कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नयी तकनीकों को किसानों और उद्यमियां तक पहुंचाना था। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा 50 हजार से अधिक मानव संसाधन विकसित किया गया है। हमारे विद्यार्थी/एल्युमिनाई जो देश ही नहीं विदेशों में भी विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवायें दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 1967 से 1972 तक आई.सी.ए.आर. के द्वारा एक मुहिम चलाई गयी थी कि हमें अनाज में सक्षम होना है इस हेतु आई.ए.आर.आई., पन्तनगर विश्वविद्यालय एवं पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना को शामिल किया गया जिससे हरित क्रांति को लाने में सफलता प्राप्त हुई और इसमें पन्तनगर विश्वविद्यालय का मुख्य योगदान रहा, जिस कारण आज हम अनाज में सक्षम ही नहीं बल्कि सरप्लस हैं।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देष्य बढ़ती जनसंख्या को भरपूर भोजन प्रदान करना था, जिसके उद्देष्य से विश्वविद्यालय में हरित क्रांति के द्वारा गेंहू, चावल एवं अन्य फसलों पर कार्य प्रारम्भ कर दिया गया और वैज्ञानिकों तथा किसानों के अथक प्रयास से आज हम अनाज में विश्व में या तो 1 नम्बर पर है या 2 नम्बर पर है और दुग्ध, बागवानी एवं मत्स्य में विकास दर 10 प्रतिशत की प्राप्त हो रही है। उन्होंने बताया कि देश की 19 करोड़ जनसंख्या कुपोशित है और अब पोष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए विषेश ध्यान देना होगा। देश में 34 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार हैं जिसे कम करने के लिए वैज्ञानिकों को नयी तकनीके विकसित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि पन्तनगर एक अग्रणीय विश्वविद्यालय है अतः कुपोषण की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए नयी-नयी तकनीके विकसित करनी पड़ेगी। विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों द्वारा मूल्यवर्धित उत्पादों को विकसित किया गया है जिसमें कोदों एवं बाजरा लस्सी तथा मिलेट चाकलेट आदि है जोकि कुपोषण को दूर करने में सहायक होंगे। उत्पादकता की बात करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से गेंहू की औसत उत्पादकता विश्वविद्यालय फार्म पर 40 से 42 कुन्तल प्रति हेक्टेयर थी जो कि इस वर्ष 50 कुन्तल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हुई है, जिसके लिए मुख्य महाप्रबंधक फार्म एवं उनकी टीम बधाई के पात्र है।
संस्थागत रैंकिग जो कि शोध पर अधारित होती है, में पन्तनगर विश्वविद्यालय देश के स्तर पर 38वां रैंक हासिल किया है जिसके लिए विश्वविद्यालय के सभी वैज्ञानिक, अधिकारी एवं कर्मचारी बधाई के पात्र है। पिछले वर्ष विश्वविद्यालय द्वारा दलहन की 7 प्रजातियां विकसित की गयी जब कि देश के स्तर पर कुल 21 प्रजातियों को आई.सी.ए.आर. द्वारा अनुमोदित किया गया था। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में कुल 109 प्रजातियों को देश के लिए समर्पित किया गया जिसमें विश्वविद्यालय की 4 प्रजातियां सम्मिलित है, जो कि एक गौरव की बात है।
विश्वविद्यालय द्वारा जो भी नयी तकनीकी विकसित की जाती है वह किसानों तक पहुंचाई जाती है। कृषि विज्ञान केन्द्रों की कृषि तकनीकी को किसानों तक पहुचाने में बड़ी भूमिका रही है। अपने सम्बोधन में कुलपति ने सभी इकाईयों की उपलब्धियों पर उन्हें बधाई दी तथा कहा की सभी के अथक प्रयास से ही हम अग्रणीय बने रहेंगे। उन्होंने अपने भाषण का समापन सभी को पुनः 78वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए तीन बार ‘जय हिन्द’ के नारे के साथ किया, जिसको उपस्थित जनों ने पूरे उत्साह के साथ दोहराया। इस अवसर फ्रांस के डेफिया कार्यक्रम के अन्तर्गत फ्रांस से आये 19 विद्यार्थियों ने भारतीय वेश-भूषा में स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रतिभाग किया।
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