INTERVIEW प्रीतम सिंह: चार्जशीट कमेटी सामने रखेगी सरकार की सच्चाई, कांग्रेस चुनाव को तैयार

INTERVIEW प्रीतम सिंह: चार्जशीट कमेटी सामने रखेगी सरकार की सच्चाई, कांग्रेस चुनाव को तैयार

कांग्रेस की चुनाव तैयारियों, 2022 विधानसभा चुनाव के मुद्दों, पार्टी में अंदरूनी खींचतान और नए दलों की चुनौती समेत तमाम मुद्दों पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने हिल-मेल के संपादक अर्जुन सिंह रावत से विस्तार बात की।

विधानसभा चुनाव 2017 में हार के बाद चकराता से पांच बार के विधायक प्रीतम सिंह को उत्तराखंड कांग्रेस की जिम्मेदारी दी गई। उत्तराखंड में एक नई और भविष्य की टीम बनाने के लिए कांग्रेस ने प्रीतम सिंह को पार्टी अध्यक्ष बनाया। वह उत्तराखंड के सर्वश्रेष्ठ विधायक के रूप में सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें सरल स्वभाव का माना जाता है। जौनसार क्षेत्र में उनकी खासी पकड़ है। वह कांग्रेस में नए प्राण फूंकने की अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उन्हें इस काम में अंदरुनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन अपने स्वभाव के अनुरूप वह इसे ज्यादा तरजीह नहीं देते। उनका कहना है कि पार्टी में लोकतांत्रिक तरीके से सभी अपनी बात रखते हैं। अब जबकि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। ऐसे में प्रीतम सिंह के सामने पार्टी को मजबूती से विधानसभा चुनाव लड़वाने की है। कांग्रेस की चुनाव तैयारियों, 2022 विधानसभा चुनाव के मुद्दों, पार्टी में अंदरूनी खींचतान और नए दलों की चुनौती समेत तमाम मुद्दों पर प्रीतम सिंह ने हिल-मेल के संपादक अर्जुन सिंह रावत से विस्तार बात की।

 आप उत्तराखंड की 20 साल की यात्रा को कैसे देखते हैं, राज्य में किन क्षेत्रों में और काम करने की जरूरत मानते हैं?

उत्तराखंड राज्य को बने हुए 20 साल पूरे हो गए हैं। 21वें साल में प्रवेश किया है, जब हम इस अवधि को देखते हैं, तो काफी कुछ विकास हुआ है लेकिन विकास की जो अवधारणा उत्तराखंड के लोगों के जेहन में है, उसे पूरा करने लिए और समय की आवश्यकता है। सबसे बड़ी बात पलायन है, जो पर्वतीय क्षेत्रों में हुआ है। उसे रोकने के लिए बातें होती रहीं पर उसे रोका नहीं जा सका। आज जब हम पलायन रोकने की बात करते हैं तो ये बात आती है कि स्थानीय लोग रोजगार, बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पलायन करते हैं। उत्तराखंड राज्य में पर्वतीय क्षेत्रों में बहुत काम करने की आवश्यकता है। राज्य में प्रकृति की धरोहर हमको मिली है, उसे विकसित करने की आवश्यकता है। यहां चार धाम, सिख समुदाय का तीर्थ स्थल है। 6 महीने लगातार तीर्थाटन के माध्यम से आवागमन होता है। पर्यटन को मजबूत करने की आवश्यकता है। हमारे पुराने टूरिस्ट डेस्टिनेशन है, हम नया कुछ नहीं कर पाए। टिहरी को वॉटर स्पोर्ट्स, औली को विंटर स्पोर्ट्स के टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर अच्छे तरीके से विकसित नहीं किया जा सका, जिससे सालभर टूरिस्ट आएं। हमने पर्वतीय क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज खोल दिए हैं, पर वे रेफर सेंटर के रूप में काम कर रहे हैं। श्रीनगर हो या अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज, हम कोरोना टेस्टिंग सेंटर नहीं बना पाए, अब समझिए हम किस पायदान पर खड़े हैं। जो पलायन हो रहा है उसे रोकने के लिए यातायात व्यवस्था मजबूत होना चाहिए। सिर्फ चार धाम को पर्यटन की दृष्टि से देखें तो ठीक नहीं होगा। उत्तराखंड राज्य का जब निर्माण हो रहा था तो उस समय एक नारा बुलंद हुआ था कि उत्तराखंड का पानी और जवानी से राज्य को सशक्त बनाएंगे लेकिन न तो हम पानी का सही दोहन कर पाए और न ही जवानी को वहां रोक पाए। जब हम जल को रोकने की बात करते हैं तो हम जल विद्युत परियोजनाओं के माध्यम से उसका सुदृढ़ीकरण करने का काम करें। अभी हमने चमोली में देखा कि ग्लेशियर टूटने से बड़ी आपदा आई है। जो हमारे इंस्टीट्यूट हैं, उन्हें उस पर नजर रखनी चाहिए। अगर हमें पता होता कि ग्लेशियर टूटने वाला है तो हम नुकसान बचा पाते। पर्वतीय क्षेत्रों में बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

उत्तराखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज होने लगी हैं, कांग्रेस की क्या तैयारी है?

कांग्रेस एक राजनीतिक दल है, जो दल होता है वह हर परिस्थिति और मोड़ के लिए तैयार रखता है। राज्य में 2022 में चुनाव होने वाला है। कांग्रेस पूरी मजबूती से चुनाव लड़ेगी। यह सही है कि 2017 में हम परास्त हुए और उत्तराखंड के लोगों ने हमें विपक्ष की भूमिका दी। हम उसका निर्वहन कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भी जो परिणाम आने चाहिए थे, वह नहीं आए। लेकिन चुनाव में हार-जीत एक सिक्के के दो पहलू हैं। चुनाव में कभी हम हारते हैं और कभी जीतते हैं। कांग्रेस पूरी मजबूती से चुनाव लड़ेगी। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हाथों को उत्तराखंड के लोग मजबूत करने का काम करेंगे।

अगर पार्टी आपको मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश करती है, तो आपकी प्राथमिकता क्या होगी?

जब भी हम चुनाव में गए हैं तो किसी को चेहरा बनाकर नहीं गए। कांग्रेस सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ती रही है। 2002 रहा हो या अब 2022,  हम एकजुटता के साथ लड़ेंगे। उसके बाद राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा कि प्रदेश की बागडोर किसे देनी है और उसके साथ हम खड़े रहेंगे। जो गतिरोध है, विकास में ठहराव आया है, हम उसे गति देने का काम करेंगे।

कांग्रेस साल 2022 के चुनाव में किन मुद्दों के साथ जाएगी, वो कौन से क्षेत्र हैं, जहां आपका ज्यादा जोर रहेगा?

निश्चित रूप से, देश के अंदर जब-जब लोकसभा और राज्यों के विधानसभाओं के चुनाव हुए, तब-तब भाजपा ने एक नारा बुलंद किया, ‘बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार भाजपा सरकार।’ केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर भाजपा की सरकार बनी। हालत क्या है? जिस पेट्रोल और डीजल के लिए 2014 से पहले भाजपा के तमाम नेता सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे, वह पेट्रोल 90 के आसपास चला गया, डीजल 80 के करीब पहुंच गया है। जिस गैस के सिलेंडर को हम 400 पर छोड़ गए थे आज वह 800-900 रुपये में गरीब आदमी को मिल रहा है। महंगाई चरम पर है। गरीब व्यक्ति बाजार में जाकर न दाल खरीद सकता है, न सब्जी खरीद सकता है। एक ओर कोरोना से जंग लड़ रहा है, दूसरी तरफ महंगाई ने कमर तोड़ दी है। महंगाई चरम पर है। 2017 के चुनाव में किसानों से वादा किया गया था कि डबल इंजन की सरकार बनाने में सहयोग करेंगे तो किसानों का कर्जा माफ करेंगे। आज 4 साल पूरे हो चुके हैं किसानों का ऋण माफ नहीं हुआ। देवभूमि उत्तराखंड में 17 किसानों ने आत्महत्या की, हमने प्रदेश के सीएम से कहा कि जिन परिवारों के मुखियाओं ने आत्महत्या की है, उनकी मदद करें। पर हमने पहली बार ऐसी असंवेदनशील सरकार देखी कि उसने कहा कि अगर हम उन परिवारों की मदद करेंगे तो और किसान आत्महत्या करेंगे। ऐसी सरकार की सोच है।

किसान आज सड़कों पर संघर्ष कर रहा है। तीन काले कानूनों पर आंदोलनरत है। युवाओं से कहा था कि रोजगार देंगे पर वे संघर्ष कर रहे हैं। अगर आप समाचारपत्रों की कतरन देखेंगे तो लगेगा कि उत्तराखंड में तो रोजगार के द्वार खुल गए हैं लेकिन हकीकत विपरीत है। कोई सरकारी विज्ञप्ति नहीं निकली, जो परीक्षाएं हुईं उनमें भ्रष्टाचार हुआ। ऐसे तो हालात हैं। कहा था कि लोगों को रोजगार देंगे, रोजगार देना तो दूर की बात, जिसका था वह भी छीन लिया। जब हमने सदन में सवाल किया तो सरकार का जवाब आता है कि मनरेगा में जो मजदूरी कर रहा है तो वह रोजगार भी हमने ही दिया है। अब सरकार की सोच यह हो गई है कि मनरेगा से अगर मजदूरी करके भरण-पोषण कर रहा है तो वह रोजगार सरकार ने दिया है। मां-बाप ने इसीलिए अपने बच्चों को इंजीनियर बनाया था। मेरे पास बच्चे आते हैं कि हमने बीटेक, एमटेक कर रखा है, ये क्वालिफिकेशन इसलिए दिलाई है कि वह मनरेगा में काम  करे या पकौड़ा तले। नौजवानों को छलने का काम किया गया। त्रिवेंद्र सिंह रावत भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बातें करते अघाते नहीं है। सरकार बनने के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस और 100 दिन के अंदर लोकायुक्त लाएंगे। अब तक कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। सरकार की मंशा भ्रष्टाचार को रोकने की होती तो लोकायुक्त लाया जाता। जिस मुख्यमंत्री पर हाईकोर्ट निर्णय दे कि सीएम पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, सीबीआई एफआईआर दर्ज करे, जांच करने का काम करे… क्यों सीएम भाग रहे हैं, सीबीआई को फेस क्यों नहीं करते। जब प्रदेश के सीएम पर ही भ्रष्टाचार पर आरोप लगे तो प्रदेश की स्थिति क्या होगी। यह पहली बार है जब सिटिंग सीएम पर ऐसे गंभीर आरोप लगे, कोर्ट को कहना पड़ा कि सीबीआई केस दर्ज करे। पहली बार है जब सत्ता पक्ष के विधायक भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सदन में कार्य स्थगन प्रस्ताव लाए।

कुंभ में केंद्रीय मंत्री और हरिद्वार के सांसद ने कहा कि निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार हो रहा है। वर्तमान सांसद ने कहा कि पशुपालन विभाग में करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है, सीबीआई जांच हो। भाजपा के लोग खुद कह रहे हैं। सिंचाई मंत्री कहते हैं कि सीएम के विधानसभा क्षेत्र में भ्रष्टाचार हुआ है। कहा गया कि एनएच-74 की सीबीआई जांच होगी, पर हुई नहीं। सदन में खड़े होकर सीएम ने कहा था कि मुझे अभी-अभी सूचना मिली है कि एनएच-74 की जांच को सीबीआई ने टेकओवर कर लिया है। ये हालत है। भ्रष्टाचार का ताजा नमूना आपके सामने है। सरकार की अवधि एक वर्ष रह गई है। आबकारी के ठेके का फर्जीबाड़ा सबके सामने है। सरकार सिर से पांव तक भ्रष्टाचार में डूबी है। प्राधिकरण हमको तोहफे में दे दिया। पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने विरोध किया। बाद में सरकार ने कहा कि निर्णय स्थगित कर रहे हैं पर निरस्त नहीं किया। विकास अवरुद्ध है, अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है, आपदा प्रबंधन फेल है… ये फेहरिस्त लंबी है। हमने चार्जशीट कमेटी का गठन किया है और हम इसके जरिये सरकार पर तथ्यों और सच्चाई के आधार पर आरोप लगाएंगे। एक नहीं बहुत मुद्दे हैं, हमन उसे लेकर आम लोगों के बीच जाएंगे। कोरोना से निपटने में सरकार फेल हुई है। सरकार पिंजड़े में बंद रही। इनके कंधों पर दायित्व था कि कोरोना काल में घर से बाहर निकलकर लोगों की मदद करें। सीएम और मंत्री घर में कैद रहे पर कांग्रेस के लोगों ने जान हथेली पर लेकर गरीब व्यक्ति तक पहुंच बनाने का काम किया।

कांग्रेस में एकजुटता को लेकर अक्सर विरोधी सवाल उठाते रहे हैं, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते आप क्या कहेंगे?

देखिए कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र है और जब हम अपने भावों की अभिव्यक्ति करते हैं तो कई बार ऐसा लगता है कि पार्टी में अंतर्विरोध है लेकिन ऐसी बात नहीं है। मैं समझता हूं कि कांग्रेस का एक-एक साथी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के प्रति समर्पित है। कांग्रेस का एक-एक साथी चाहता है कि उत्तराखंड में कांग्रेस फिर से सरकार में आए और हम सोनिया और राहुल गांधी के हाथों को मजबूत करें। हमारे यहां तो सब लोग देखते हैं कि अंतर्विरोध है लेकिन भाजपा में क्या है, वहां तो बेचारे मंत्री कहते हैं कि अधिकारी हमारी नहीं सुन रहे हैं। विधायक कहते हैं कि सीएम हमारी नहीं सुन रहे हैं। अब सीएम कह रहे हैं कि मैं विकास कार्यों को लेकर विधायकों से संवाद स्थापित करूंगा। अरे अब तो विदाई की बेला है, अब आप विकास की बात कर रहे हैं। राज्य की जनता 2022 में सरकार की विदाई का इंतजार कर रही है।

उत्तराखंड में दो राजनीतिक दलों के बीच सीधा मुकाबला रहता है, अब एक और पार्टी जोर लगा रही है, कैसे देखते हैं?

उत्तराखंड राज्य के अंदर कटु सत्य है कि हमेशा कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से रहा है। पहले भी कई दल यूकेडी, बसपा जैसे आए, सब समाप्त हो गए। आप भी आ गई, ये भी समाप्त हो जाएगी। आम आदमी पार्टी का कोई जनाधार उत्तराखंड में नहीं है।

क्या चुनाव में चेहरा न घोषित करने का असर पड़ेगा?

इस राज्य के अंदर जितने चुनाव हुए, क्या किसी ने चेहरा घोषित किया है। 2002, 2007, 2012, 2017 में कोई चेहरा नहीं था। ये कहना कि चेहरे घोषित होने से ज्यादा असर होगा सही नहीं है। भाजपा ने तो 2017 में कोई चेहरा घोषित नहीं किया था। हमारे पास तो सबसे बड़ा चेहरा सोनिया और राहुल, प्रियंका गांधी का है।

उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष प्रीतम सिंह सबसे पहले वर्ष 1993 में चकराता विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। उत्तराखंड गठन के बाद से वह लगातार चकराता सीट से विधायक हैं। वर्ष 2002 की एनडी तिवारी सरकार, वर्ष 2012 की विजय बहुगुणा और हरीश रावत सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे हैं। प्रीतम सिंह को उत्तराखंड सरकार में गृह, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, लघु सिंचाई और पिछड़ा क्षेत्र विकास जैसे अहम मंत्रालयों को संभालने का व्यापक अनुभव है। प्रदेश और केंद्रीय संगठन में भी प्रीतम सिंह ने कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी निभाई हैं। उनके नाम अपनी विधानसभा क्षेत्र में कई उपलब्धियां दर्ज हैं। उन्होंने जौनसार-बावर के त्यूणी, चकराता और कालसी में तीन तहसीलों का निर्माण,  चकराता, त्यूणी व क्वांसी में तीन डिग्री कॉलेज की स्थापना करवाई। त्यूणी में नियमित पुलिस थाना और कांडोई-भरम में पशु चिकित्सालय की स्थापना का श्रेय भी उन्हीं के नाम दर्ज है। इसके अलावा महासू मंदिर हनोल, लाखामंडल और चकराता के टाइगर फॉल में भी उन्होंने पर्यटन विकास के कई कार्य करवाए। त्यूणी, क्वांसी, पजिटीलानी, लाखामंडल, लखवाड़, अटाल और धिरोई में मिनी स्टेडियम का निर्माण कराने की उपलब्धि भी प्रीतम सिंह के नाम पर दर्ज है। इसके अलावा, उनके समय में क्वांसी और साहिया में दो पॉलीटेक्निक संस्थान तथा लाखामंडल एवं कालसी में आईटीआई की स्थापना हुई।  प्रीतम सिंह का जन्म 1958 में देहरादून में एक राजपूत परिवार में हुआ था। प्रीतम सिंह उत्तर प्रदेश विधानसभा के आठ बार विधायक रहे स्वर्गीय गुलाब सिंह के सबसे बड़े पुत्र हैं। उनके पिता उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सरकार के दौरान मंत्री थे। सन 1985 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के निर्विरोध सदस्य के रूप में भी चुने गए। प्रीतम सिंह ने अपनी सियासी पारी 1988 में चकराता के ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य के रूप में शुरू की।  वर्ष 1993 में वह कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चकराता से विधायक चुने गए। वर्ष 2009 में चकराता विधायक प्रीतम सिंह को उत्तराखंड राज्य के उत्कृष्ट विधायक के रूप में चुना गया।

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