प्रोफेसर ए. पी. डिमरी ने खुद को भारतीय विंटर मॉनसून के संदर्भ में सर्दियों की बारिश पर अपनी विशेषज्ञता को साबित किया है। वह विंटर-ट्रॉपिकल साइक्लोन, पश्चिमी विक्षोभ और हिमालय की स्थलाकृति को समझने वाले दुनिया के प्रमुख विशेषज्ञों में गिने जाते हैं।
उत्तराखंड के बेटे प्रोफेसर ए. पी. डिमरी की गिनती मौसम के मिजाज और पर्यावरण की सेहत को बारीकी से समझने वाले वैज्ञानिकों में होती है। नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर डिमरी की ख्याति देश-विदेश में फैली हुई है। जलवायु परिवर्तन, भारत के विंटर मॉनसून, विंटर एक्स्ट्रा-ट्रॉपिकल साइक्लोन और पश्चिमी विक्षोभ, हिमालयी स्थलाकृति जैसे गूढ़ विषयों में उन्हें महारत हासिल है।
दुनिया के प्रसिद्ध स्टैंनफोर्ड विश्वविद्यालय ने भारत के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की एक सूची प्रकाशित की है, जिसमें प्रोफेसर डिमरी का भी नाम है। इसके जरिये साल 2019 के लिए क्लाइमेट साइंसेज के टॉप विशेषज्ञों के उल्लेखनीय योगदान को स्वीकार किया गया है। यह सूची प्रमाणित उद्धरण संकेतों पर आधारित है। इसमें उद्धरणों, लेखन और एक समग्र संकेतक जैसी जानकारियों को शामिल किया गया है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रो. डिमरी ने हिल-मेल से कहा कि वह इस सूची में आने पर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। यह जलवायु विज्ञान के क्षेत्र में काम कर रहे असंख्य वैज्ञानिकों का सम्मान है।
चमोली के कर्णप्रयाग के डिम्मर से ताल्लुक रखने वाले प्रोफेसर डिमरी उत्तराखंड के युवाओं के लिए आदर्श हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गोपेश्वर, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी से की है। आगे की पढ़ाई उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, जेएनयू और आईआईटी दिल्ली से की। उन्हें नागोया यूनिवर्सिटी जापान से फेलोशिप भी मिल चुकी है।
उनके परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटी और एक बेटा है। टॉप साइंटिस्टों की स्पेशल लिस्ट में जगह मिलने पर प्रोफेसर डिमरी के सहयोगियों और उन्हें जानने वाले लोगों ने बधाई दी है।
प्रोफेसर ए. पी. डिमरी ने खुद को भारतीय विंटर मॉनसून के संदर्भ में सर्दियों की बारिश पर अपनी विशेषज्ञता को साबित किया है। वह विंटर-ट्रॉपिकल साइक्लोन, पश्चिमी विक्षोभ और हिमालय की स्थलाकृति को समझने वाले दुनिया के प्रमुख विशेषज्ञों में गिने जाते हैं।
इसके अलावा हिमालयी क्षेत्रों में बादल फटने की घटना का उन्होंने गहराई से विश्लेषण किया है। इसके माध्यम से उन्होंने दुनिया को क्लाउडबर्स्ट की सही परिभाषा भी उपलब्ध कराई है। आगे उन्होंने पहाड़ों पर अलग-अलग जगहों के तापमान का अध्ययन करने के लिए एक नई विधि सामने रखी है।
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