जखोली में हुआ लस्या कौथिग का रंगारंग आगाज, पहाड़ की सांस्कृतिक विरासत को किया गया जीवंत

जखोली में हुआ लस्या कौथिग का रंगारंग आगाज, पहाड़ की सांस्कृतिक विरासत को किया गया जीवंत

रुद्रप्रयाग जिले के विकासखंड जखोली में आयोजित चार दिवसीय लस्या कौथिग मेले का भव्य शुभारंभ ब्लॉक परिसर, जखोली में किया गया। मेले का उद्घाटन रुद्रप्रयाग के विधायक भरत चौधरी द्वारा किया गया, जहां छोलिया नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र बना।

इस अवसर पर कार्यक्रम में पूर्व ब्लॉक प्रमुख एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष महावीर नेगी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। मेले में विभिन्न सरकारी विभागों एवं स्वयं सहायता समूहों द्वारा विभिन्न योजनाओं के प्रचार-प्रसार हेतु स्टॉल लगाए गए।

इन स्टॉलों के माध्यम से स्थानीय लोगों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई, जिससे वे इनका अधिकतम लाभ उठा सकें। इस दौरान मेले में स्थानीय स्कूलों एवं स्वयं सहायता समूहों द्वारा शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। विशेष रूप से उत्तराखंड की पारंपरिक कला और संस्कृति से जुड़ी झांकियों एवं नृत्य नाटिकाओं की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस दौरान टीम पिंटू द्वारा रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसी क्रम में उत्सव ग्रुप द्वारा मा नंदा देवी नृत्य नाटिका की शानदार प्रस्तुति दी गई।

मेले के उद्घाटन समारोह में पहुंचे रुद्रप्रयाग के विधायक भरत चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि लस्या कौथिग उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने कहा कि मेले के जरिए महिलाओं और स्कूल के छात्र-छात्राओं को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक उचित मंच मिल रहा है, जिससे उनकी कला निखर रही है।

उन्होंने कहा कि जनपद रुद्रप्रयाग में विभिन्न सरकारी योजनाओं का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को सीधा लाभ मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा क्षेत्र में सड़कों के निर्माण कार्यों में तेजी आई है, जिससे विकास को नई गति मिल रही है। साथ ही, युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सरकार की इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।

लस्या कौथिग मेले के संयोजक भूपेंद्र भंडारी ने बताया कि इस वर्ष मेले में उत्तराखंड की संस्कृति को नए स्तर पर ले जाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने बताया कि हिमालय की अधिष्ठात्री देवी नंदा देवी की भव्य झांकी प्रस्तुत की गई। उत्तराखंड के कुमाऊं अंचल के प्रसिद्ध छोलिया नृत्य के माध्यम से भी लोगों को अवगत कराया गया। उन्होंने कहा कि पूर्व के वर्षों की भांति ही इस बार भी मेले का आयोजन किया गया, जो चार दिनों तक चलेगा।

भूपेंद्र भंडारी ने बताया कि मेले के आयोजन का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति को संजोना और उसे नई ऊंचाइयों तक ले जाना है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को मंच देने से उनकी कला और संस्कृति को नया जीवन मिल रहा है, जिससे वे अपनी पारंपरिक कला को संवारने और प्रदर्शित करने का अवसर पा रही हैं।

इस दौरान जय मां रानी कीर्तन मंडली पोखरी, नारी शक्ति कोटी, सांस्कृतिक कला मंच तिलवाणा, राज राजेश्वरी धुराणा गांव की महिला मंगल दलों की टीमों द्वारा अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। कार्यक्रम में अर्जुन गहरवार, बलदेव राणा सहित भारी संख्या में क्षेत्रीय जनता मौजूद रही।

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