लॉकडाउन: 80 साल के कोरोना वॉरियर्स आनंद बल्लभ पपनै, कुमाऊंनी रचनाओं से कर रहे लोगों को जागरुक

लॉकडाउन: 80 साल के कोरोना वॉरियर्स आनंद बल्लभ पपनै, कुमाऊंनी रचनाओं से कर रहे लोगों को जागरुक

ठेठ कुमाऊंनी लहजे में अपनी बात कहने वाले एक वरिष्ठ साहित्यकार ने लोगों का ध्यान खींचा है। उनके वीडियो ‘यखी छौ’ को काफी पसंद किया जा रहा है। उसे अच्छे व्यूज मिल रहे हैं। वह कहते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी ही सूझबूझ के साथ लॉकडाउन का फैसला लिया है। हमें उसका पालन करना चाहिए।

कुमाऊंनी साहित्य और कुमाऊंनी रामलीला में रुचि रखने वाले आनंद बल्लभ पपनै के नाम से भलीभांति परिचित हैं। हिंदी और कुमाऊंनी में साहित्यिक रचनाएं करने वाले आनंद बल्लभ द्वारा रचित कुमाऊंनी रामलीला का देश के अनेक मंचों पर मंचन किया जा चुका है। वर्ष 1999 में शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हो चुके आनंद बल्लभ पपनै इन दिनों अपने ट्यूब चैनल को लेकर चर्चा में हैं। देशभर में कोरोना संक्रमण के समय में वह किसी कोरोना वॉरियर्स की तरह कुमाऊंनी भाषा में लिखी कविताओं से लोगों को जागरुक कर रहे हैं।

80 साल के आनंद बल्लब रानीखेत के तिमिला गांव के रहने वाले हैं। इन दिनों परिवार के साथ हल्द्वानी में रहते हैं। इस अवस्था में देश के लिए कुछ करने की इच्छा से उन्होंने अपने बेटे कुंवर पपनै और बहू अनु पपनै की मदद से एक यू-ट्यूब चैनल शुरू किया। कोशिश यह है कि लोगों को कोरोना वायरस के खतरे के प्रति आगाह किया जाए। परिवार ने घर के सबसे वरिष्ठ सदस्य की इच्छा का सम्मान किया और कुछ ही दिन पहले उनका यू-ट्यूब चैनल एके पिक्चर्स भी शुरू हो गया। ठेठ कुमाऊंनी लहजे में अपनी बात कहने वाले एक वरिष्ठ साहित्यकार ने लोगों का ध्यान खींचा है। उनके वीडियो ‘यखी छौ’ को काफी पसंद किया जा रहा है। उसे अच्छे व्यूज मिल रहे हैं। वह कहते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी ही सूझबूझ के साथ लॉकडाउन का फैसला लिया है। हमें उसका पालन करना चाहिए। इससे हम कोरोना के संक्रमण से बचे रहेंगे। हम एकता के दम पर कोरोना जैसी महामारी से लड़ सकते हैं। उनका मानना है कि आप समाज के लिए किस तरह से योगदान देते हैं, यह आप पर ही निर्भर करता है।

Please accept YouTube cookies to play this video. By accepting you will be accessing content from YouTube, a service provided by an external third party.

YouTube privacy policy

If you accept this notice, your choice will be saved and the page will refresh.

 

आनंद बल्लभ पपनै पिछले कई वर्षों से हिंदी और कुमाऊंनी साहित्य साधना कर रहे हैं। उनकी रचनाएं आकाशवाणी से भी प्रसारित हुई हैं। कविता, गीत-संगीत और नाटकों के मंचन में  बचपन से ही रूचि रही। साल 1999 में राजकीय इंटर कालेज देवलीखेत से शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए। नौकरी के दौरान रचनात्मक गतिविधियां आगे बढ़ती रहीं। रामलीला के मंचों पर लगातार अभिनय किया।। उनके द्वारा रचित कुमाऊंनी रामलीला का मंचन देहरादून, अल्मोड़ा तथा रानीखेत में कई बार हुआ है। श्रीकृष्ण-सुदामा प्रसंग पर उनकी विपदु सुदामा गीत नाटिका भी काफी चर्चित रही। उनके लिखे एक नाटक “पेड़ की पुकार” का प्रसारण ऑल इंडिया रेडियो पर हुआ। उन्होंने कई हिंदी और कुमाऊंनी गीत भी लिखे हैं।

 

 

2 comments
Hill Mail
ADMINISTRATOR
PROFILE

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

2 Comments

विज्ञापन

[fvplayer id=”10″]

Latest Posts

Follow Us

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this