धमाके में उड़े दोनों हाथ, पर आज लाखों के लिए प्रेरणा बन चुकीं है मालविका

धमाके में उड़े दोनों हाथ, पर आज लाखों के लिए प्रेरणा बन चुकीं है मालविका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्विटर हैंडल से आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रेरक महिलाओं की कहानियों का सिलसिला जारी है। पीएम के ट्विटर प्लैटफॉर्म से दूसरी कहानी आई है राष्ट्रपति सम्मान से नवाजी गईं मालविका अय्यर की। सचमुच, लाख मुश्किल हालात में भी हिम्मत और

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्विटर हैंडल से आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रेरक महिलाओं की कहानियों का सिलसिला जारी है। पीएम के ट्विटर प्लैटफॉर्म से दूसरी कहानी आई है राष्ट्रपति सम्मान से नवाजी गईं मालविका अय्यर की। सचमुच, लाख मुश्किल हालात में भी हिम्मत और आशावादी जज्बे का नाम है मालविका।

उन्होंने एक वीडियो शेयर करते हुए बताया है कि 13 साल की उम्र में ही बीकानेर बम धमाके में उनके दोनों हाथ उड़ गए और पैरों को भी गंभीर चोट आई पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पीएचडी तक पढ़ाई की। वह लिखती हैं कि हिम्मत हार जाना कभी भी विकल्प नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि अपनी सीमाओं को भूल जाइए और आत्मविश्वास तथा उम्मीद के साथ दुनिया में आगे कदम बढ़ाइए।

कभी खुद पर दया नहीं की

वह कहती हैं कि शिक्षा से मुझे मेरा आत्मविश्वास वापस मिला। मैंने प्राइवेट कोचिंग सेंटर से पढ़ाई की और एक राइटर की मदद से परीक्षाएं दीं। मैंने 3 महीने की तैयारी से फाइनल एग्जाम में 97 प्रतिशत अंक हासिल किए। इसके बाद मैंने कभी वापस मुड़कर नहीं देखा और कभी खुद पर दया नहीं की।

कलाम से मिलकर मैंने ठाना…

मालविका ने कहा कि जब मुझे राज्य स्तर पर अच्छे अंक मिले तब तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से मिलने का मौका मिला। उसी दिन मैंने ठान लिया था कि अब मैं कभी पीछे मुड़कर नहीं देखूंगी।

#SheInspiresUs के साथ अपने बारे में मालविका ने लिखा, ‘मेरा मानना है कि परिवर्तन के लिए शिक्षा अपरिहार्य है। हमें भेदभावपूर्ण रवैये को लेकर युवा दिमाग को संवेदनशील बनाना होगा। हमें दिव्यांग जनों को कमजोर और आश्रित दिखाने की बजाय रोल मॉडल के रूप में दिखाने की जरूरत है।’

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