उत्तराखंड के लोग देश में अपनी प्रतिभा का डंका बजा रहे हैं। राजस्थान के बाद अब पश्चिम बंगाल के प्रशासनिक मुखिया के रूप में पहाड़ मूल के आईएएस मनोज पंत को नियुक्त किया गया है। वह 1991 बैच के आईएएस अधिकारी हैं उन्हें उनके अनुभव और विशेषज्ञता के कारण यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पहाड़ के मेधावियों ने अपनी प्रतिभा के बलबूते पूरी दुनिया में डंका बजाया है। देश की प्रशासनिक, पुलिस सेवाओं में पहाड़ मूल के अफसरों की धाक रही है। बिहार कैडर के अफसर रहे विनोद पांडे, भैरब दत्त पांडे ढोलीगांव ओखलकांडा निवासी कमल पांडे देश के कैबिनेट सचिव, बीडी सनवाल व मुकुल सनवाल उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, एनपी नवानी, रघुवर डंगवाल सहित अन्य दूसरे राज्यों में पुलिस व प्रशासनिक मुखिया रह चुके हैं। वर्तमान में नैनीताल के ही सुधांश पंत राजस्थान के मुख्य सचिव हैं। इससे पहले नैनीताल निवासी भास्कर खुल्बे बंगाल में मुख्य सचिव जबकि मुख्य सूचना आयुक्त अनिल पुनेठा आंध्र प्रदेश में मुख्य सचिव रह चुके हैं।
कुमाऊं विश्वविद्यालय के डी.एस.बी. परिसर, नैनीताल के पूर्व छात्र एवं 1991 बैच के आईएएस अधिकारी मनोज पंत को पश्चिम बंगाल का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है। मनोज पंत उत्तराखंड के निवासी हैं और उन्होंने अपनी शिक्षा डी.एस.बी. परिसर, नैनीताल से प्राप्त की। उन्होंने साल 1990 में यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की थी। आईएएस प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें 1991 बैच के आईएएस अधिकारियों की सूची में शामिल किया गया और पश्चिम बंगाल कैडर अलॉट किया गया।
इस अवसर पर कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि पहाड़ के मेधावियों ने अपनी प्रतिभा के बलबूते पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि देश की प्रशासनिक और पुलिस सेवाओं में पहाड़ मूल के अधिकारियों की हमेशा से एक विशेष पहचान रही है। 1991 बैच के आईएएस अधिकारी मनोज पंत को उनके अनुभव और विशेषज्ञता के कारण यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनका पश्चिम बंगाल का मुख्य सचिव बनना कुमाऊं विश्वविद्यालय के लिए गर्व का क्षण है। बेरीनाग निवासी आईएएस मनोज पंत के मुख्य सचिव पद पर तैनाती की खबर से राज्य में खुशी का माहौल है, राज्य के लोग इसे एक गौरव के रूप में देख रहे हैं।
आईएएस मनोज पंत का एक लंबा समय नैनीताल में गुजरा है, उन्होंने नैनीताल से अपनी शुरुआती शिक्षा ग्रहण की है। हालांकि इसके बाद मनोज पंत ने जियोलॉजी में मास्टर करते हुए यूपीएससी परीक्षा पास कर लिया और आईएएस अधिकारी के रूप में बंगाल कैडर में विभिन्न पदों पर काम किया। मनोज पंत वैसे तो विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी देख चुके हैं। लेकिन उन्हें विशेषतौर पर वित्त का जानकार माना जाता है। मुख्य सचिव मनोज पंत साल 2009 में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के भी निजी सचिव रहे हैं। करीब 2 साल तक इस पद पर रहने के बाद मनोज पंत ने वर्ल्ड बैंक वाशिंगटन में भी आर्थिक सलाहकार के रूप में काम किया। करीब 2 साल तक इस पद पर काम करते हुए उन्होंने भारत और पड़ोसी देशों से आर्थिक मामलों को करीब से देखा। खास बात यह है कि मनोज पंत भारत सरकार में भी सचिव पद पर सूचीबद्ध किए गए, जिस पर काम करने के लिए उनके पास विकल्प मौजूद था, लेकिन राज्य सरकार उनका उपयोग पश्चिम बंगाल में करना चाहती थी।
आईएएस मनोज पंत के पश्चिम बंगाल में मुख्य सचिव बनने पर उत्तराखंड में भी खुशी की लहर है। मनोज पंत ने अपनी शुरुआती शिक्षा उत्तराखंड से की है। इसके बाद वो शैक्षणिक कार्यों के लिए राज्य से बाहर चले गए। मनोज पंत को पश्चिम बंगाल में मुख्य सचिव की जिम्मेदारी ऐसे समय पर मिली है, जब कई ज्वलंत मुद्दे पश्चिम बंगाल सरकार के लिए मुसीबत बने हुए हैं। ऐसे में मनोज पंत के लिए इस पद पर काम करना चुनौती भरा होगा।
2009 में आईएएस मनोज पंत को केंद्रीय वित्त मंत्री का निजी सचिव बनाया गया था। 2011 में उन्होंने वॉशिंगटन में विश्व बैंक मुख्यालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर काम किया था। फिर साल 2014 में पश्चिम बंगाल लौटकर जैव प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त सचिव के पद पर थे। वह करीब 2 साल तक वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव भी रहे। 30 अगस्त (शुक्रवार) को उन्हें सिंचाई विभाग के सचिव का पदभार सौंपा गया था और 31 अगस्त (शनिवार) को मुख्य सचिव बना दिया गया। मनोज पंत की नियुक्ति से कुमाऊं विश्वविद्यालय के शिक्षकों, छात्रों और पूर्व छात्रों में गर्व और खुशी की लहर दौड़ गई है। विश्वविद्यालय के अन्य पूर्व छात्रों ने भी उन्हें शुभकामनाएं दी हैं और उनके इस नए पद पर कामयाबी की उम्मीद जताई है।
मुख्य सचिव के तौर पर गोपालिका का कार्यकाल 31 मई को खत्म हो गया था। मनोज पंत ऐसे समय में राज्य के मुख्य सचिव का पद संभाल रहे हैं, जब राज्य सामाजिक अशांति से गुजर रहा है। उनका प्रभाव राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में भी महसूस किया जाता रहा है। प्रशासन के में कई लोगों का मानना है कि इस समय मनोज के लिए इस स्थिति से निपटना सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।
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