दिल्ली से देहरादून के बीच प्रस्तावित एक्सप्रेसवे से दूरी 4 घंटे तक कम होने वाली है। इससे पूरे क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा। सड़कों को न्यूनतम 100 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड के हिसाब से बनाया गया है। पर्यटन के लिहाज से भी उत्तराखंड को फायदा होने वाला है।
दिल्ली में गर्मी पड़ रही हो तो वीकेंड पर लोग उत्तराखंड चल पड़ते हैं। वैसे भी देहरादून आना-जाना लगा ही रहता है। पर्यटकों के लिए भी देश की राजधानी से देवभूमि पहुंचना रहता है। आप भी दिल्ली से देहरादून आते-जाते रहते हैं तो एक अच्छी खबर है। नया कॉरिडोर बनने के बाद दिल्ली और देहरादून और करीब आ जाएंगे। कैसे? आइए जानते हैं।
अभी आप दिल्ली से देहरादून 6.5 घंटे में पहुंचते हैं। दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून आर्थिक गलियारा (Delhi-Saharanpur-Dehradun Economic corridor) बनने के बाद दोनों शहरों के बीच की दूरी कम हो जाएगी और आप मात्र 2.5 घंटे में पहुंच जाएंगे। यह देश का पहला ऐसा हाइवे होगा, जहां वन्यजीव के संरक्षण के लिए 12 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनेगा।
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इस कॉरिडोर पर ड्राइविंग की न्यूनतम स्पीड 100 किमी प्रति घंटे होगी। रास्ते पर सुविधाओं की बात करें तो हर 25-30 किमी पर यह उपलब्ध होंगी। इस कॉरिडोर के बनने से क्षेत्र में आर्थिक स्थिति बेहतर होने की संभावना है, खासतौर से उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
अक्षरधाम से देहरादून तक पूरा मार्ग 4 चरणों में पूरा होगा।
चार हिस्से समझिए
पहला हिस्सा 31 किमी का अक्षरधाम से गीता कॉलोनी, खजूरी खास से होकर ईपीई जंक्शन तक पहुंचेगा। पूर्वोत्तर दिल्ली और यूपी की मंडोला विहार योजना के पास के क्षेत्र को इससे फायदा होगा। दूसरा हिस्सा बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर वाला होगा। 118 किमी लंबी ईपीई जंक्शन से सहारनपुर बाईपास की दूरी इससे कवर होगी। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। मार्च 2021 तक प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा।
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तीसरा हिस्सा सहारनपुर बाइपास से शुरू होकर गणेशपुर पर समाप्त होता है। इसकी दूरी 41 किमी होगी। जरूरी अंडरपास और सर्विस रोड की योजना बन रही है। चौथा हिस्सा यूपी और उत्तराखंड के रिजर्व फॉरेस्ट से होकर गुजरता है। गणेशपुर से देहरादून तक 20 किमी के हिस्से में एलिवेटेड वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर (12 किमी) होगा।
इस सड़क के बनने से दिल्ली से उत्तराखंड के बीच की दूरी 25 किलोमीटर तक कम हो जाएगी। अभी जहां 235 किलोमीटर का सफर करने में साढ़े 6 घंटे का समय लगता है। एक्सप्रेसवे बनने से दूरी घटकर 210 किलोमीटर रह जाएगी।
6 लेन का हाइवे एशिया के सबसे बड़े वन्यजीव कॉरिडोर से होकर गुजरेगा। इसमें सुरंग भी बनेगी। दो साल में यह रोड बनकर तैयार हो जाएगी।
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