देश के पूर्वोत्तर राज्यों की बात हो, जम्मू-कश्मीर, पंजाब या फिर सरहदों के पार, अजीत डोभाल हर जगह एक्शन में नजर आते हैं। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद, अनुच्छेद 370, दिल्ली दंगों से लेकर चीन तक NSA डोभाल हर मर्ज की दवा हैं। देश में राष्ट्रवाद की भावना का नए सिरे से संचार करने वाले अजीत डोभाल का आज जन्मदिन है।
आने वाले समय में देश को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, दुश्मन देशों के ‘चक्रव्यूह’ का तोड़ क्या है, भारत पर होने वाले किसी भी वार का पलटवार क्या होगा, इन सभी सवालों का एक ही जवाब है, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल। हर संभावित खतरे से निपटने की रणनीति तैयार रखने की कला उन्हें दूसरे से अलग खड़ा करती है। भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना का नए सिरे से संचार करने की रणनीति का चाणक्य एनएसए अजीत डोभाल को माना जाता है।
साल 2019 में मोदी सरकार की केंद्र में वापसी के साथ ही उन्हें फिर पांच साल के लिए एनएसए की जिम्मेदारी दी गई। लद्दाख में घुसने की फिराक में बैठे चीन ने कभी यह उम्मीद नहीं की होगी कि भारत इतनी मजबूती से उसे जवाब देगा। गलवान की घटना के बाद भारत की रक्षा तैयारियों से चीन हैरान है, इसकी रणनीति तैयार करने में एनएसए डोभाल की अहम भूमिका रही है। यह नहीं वह भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का अहम हिस्सा हैं। यही नहीं नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के सबसे बड़े फैसले जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को प्रभावी ढंग से धरातल पर उतारकर अजीत डोभाल ने साबित किया कि पीएम मोदी उन इतना भरोसा क्यों करते हैं।
2014 से अब तक नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में कई ऐसे लम्हे आए जब भारतीयों ने महसूस किया कि एक ताकतवर देश होना क्यों जरूरी है, क्यों दक्षिण एशिया में शांति के लिए भारत को शक्तिशाली बनना होगा। मोदी सरकार की कूटनीतिक सफलताओं का तानाबाना बुनने का श्रेय अजीत डोभाल को है। देश के भीतर आतंकियों के नेटवर्क की कमर तोड़नी हो या अंदरूनी-बाहरी सुरक्षा को लेकर देश को अलर्ट मोड में रखना, डोभाल ने सभी को पूरे पेशेवर तरीके से अंजाम दिया। 370, चीन विवाद, पड़ोसी देशों से संबंध, दिल्ली दंगे, सर्जिकल स्ट्राइक, डोकलाम या फिर कूटनीति स्तर पर लिए जाने वाले तमाम फैसले, अजीत डोभाल पीएम मोदी की उम्मीदों पर हमेशा खरे उतरे हैं। दिल्ली दंगों के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार के खुद जमीन पर जाकर हालात का जायजा लेने और लोगों में भरोसा बहाल करने की तस्वीरों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा।
पाकिस्तान से चीन तक हर मर्ज की दवा
लद्दाख गतिरोध के बाद चीन की किसी भी आक्रामकता पर भारत की प्रतिक्रिया क्या होगी एनएसए डोभाल की टीम के पास इसका पूरा खाका तैयार है। यही वजह है कि भारत ने लद्दाख में जिस तरह से लंबे समय तक जमे रहने की तैयारी की, उसने चीन को हैरान कर दिया। चीन को जवाब सैन्य मोर्चे पर भी दिया जा रहा है और कूटनीतिक तरीके से भी। फिर चाहे वह पड़ोसी देशों केसाथ निरंतर संपर्क हो या अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के साथ मालाबार अभ्यास। शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य देशों के एनएसए स्तर की वर्चुअल बैठक में पाकिस्तान के गलत नक्शा दिखाने पर अजीत डोभाल का वॉकआउट साल 2020 की सुर्खियां बना। देश के भीतर आतंकियों के नेटवर्क को ध्वस्त करना हो या अंदरूनी-बाहरी सुरक्षा को लेकर देश को अलर्ट मोड में रखना, डोभाल ने सभी को पूरे पेशेवर तरीके से अंजाम दिया। डोभाल का काम ही उनकी पहचान है।
पौड़ी के घीड़ी गांव में हुआ जन्म
अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के बनेलस्यूं पट्टी के घीड़ी गांव में हुआ। एनएसए डोभाल परिवार के साथ कुल देवी की पूजा करने के लिए निरंतर अपने गांव आते रहते हैं। वह 1968 के केरल बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं। जनवरी 2005 में खुफिया ब्यूरो के प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए डोभाल को 1988 में कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। वह इस मेडल को प्राप्त करने वाले पहले पुलिस अधिकारी हैं। इससे पहले यह सम्मान सिर्फ सैन्यकर्मियों को दिया जाता था। एनएसए डोभाल का करियर कई हैरतअंगेज कारनामों से भरा पड़ा है। यही वजह है कि भारतीयों के मन में उनकी छवि ‘जेम्स बांड’ की है।
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