चकराता के प्रगतिशील किसान प्रेम चंद शर्मा और मेडिसिन के लिए डा. भूपेंद्र कुमार सिंह को पद्मश्री

चकराता के प्रगतिशील किसान प्रेम चंद शर्मा और मेडिसिन के लिए डा. भूपेंद्र कुमार सिंह को पद्मश्री

प्रेम चंद शर्मा को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, मृदा संरक्षण, देहरादून द्वारा ‘किसान सम्मान’, महिंद्रा समृद्धि इंडिया एग्री अवॉर्ड्स-2016में मिले‘कृषक सम्राट सम्मान’,. गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर ने‘प्रगतिशील कृषक सम्मान भी मिल चुका है।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश में दिए जाने वाले नागरिक सम्मानों का ऐलान कर दिया गया है। उत्तराखंड के चकराता के प्रगतिशील किसान प्रेम चंद्र शर्मा और मेडिसिन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए डा. भूपेंद्र कुमार सिंह को पद्मश्री पुरस्कार दिया गया है। इस बार 7 हस्तियों को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्मश्री पुरस्कार देने का ऐलान किया गया है। पद्म विभूषण पाने वालों में जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे और सिंगर एस पी बालासुब्रमण्यम (मरणोपरांत) का भी नाम है। वहीं तरुण गोगोईऔर राम विलास पासवान (मरणोपरांत), सुमित्र महाजन को पद्म भूषण से नवाजा जाएगा। 102 हस्तियों को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

कौन हैं प्रेम चंद शर्मा…

जौनसार बावर क्षेत्र के अटाल और सैज-तराणु पंचायतों के 200 से ज्यादा किसानों ने कामयाबी की एक नई इराबत लिखी। अपने संसाधनों और खेती-बागवानी कर ये किसान आज लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। यहां बड़े पैमाने पर अनार की खेती की जा रही है। यह पर्यावरण संरक्षण के लिए काफी मददगार है। इस किसानों के लिए प्रेरणा बने प्रगतिशील किसान प्रेम चंद शर्मा। उन्होंने जौनसार बावर क्षेत्र में पारंपरिक खेती के साथ-साथ अनार की खेती और सब्जी उत्पादन की पहल की। जौनसार बावर 50 लाख की आबादी वाला जनजातीय क्षेत्र हैं। यहां के लोगों की आजीविकी कृषि, बागवानी और पशुपालन पर आधारित है। त्यूणी एक सीमावर्ती तहसील है। अब यहां के बावर, शिलगांव, फनार, कांडोई-भरम, लखौं और देवधार खत के सैकड़ों किसान बड़े पैमाने पर सेब और अनार उत्पादन पर जोर दे रहे हैं। इस इलाके में इस बदलाव का श्रेय हटाल गांव के प्रेम चंद्र शर्मा को जाता है।

प्रेम चंद शर्मा ने इस इलाके की पारंपरिक खेती को छोड़कर सब्जियों का उत्पादन शुरू किया। कद्दू, रंगीन मिर्च, आलू, फूलगोभी, बंदगोभी, प्याज, लहसुन खीरा, लालगोभी जैसी सब्जियों ने उन्हें अच्छा मुनाफा दिया। इसके बाद उन्होंने अटाल पंचायत में अनार का बागीचा तैयार करवाया। 30 बीघा इलाके में उन्होंने कई प्रजातियों के अनार के पौधे लगाए। आज इनसे उन्हें बड़े पैमाने पर अनार का उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा प्रेम चंद्र शर्मा ने खेती में बड़े प्रयोग किए। उन्होंने बागवानी में मलचिंग तकनीक का प्रयोग किया, कांटेदार पौधों (बोगनबिला) के माध्यम से बगीचों की पशुओं एवं जंगली जानवरों से सुरक्षा, गौ-मूत्र, गुड़, जंगली पत्तों एवं मैदा से जैविक कीटनाशक का उत्पादन और गोबर, गुड़ एवं जंगली पत्तियों से जैविक खाद का उत्पादन जैसे सफल प्रयोग भी किए।

साल 2018 में अटाल में 200 किसानों को इकट्ठा कर फल एवं सब्जी उत्पादन समिति का गठन किया। ग्राम स्तर पर कृषि सेवा केंद्र की शुरुआत कर फल एवं कृषि उत्पादों की बिक्री सुनिश्चित करने के प्रबंध किए। कृषि के क्षेत्र में अभिनव प्रयोगों और पारंपरिक खेती से अलग रोजगार परक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रेम चंद्र शर्मा को वर्ष 2018 के लिए भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद द्वारा जगजीवन राम अभिनव किसान सम्मान प्रदान किया गया है।

प्रेम चंद शर्मा को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, मृदा संरक्षण, देहरादून द्वारा ‘किसान सम्मान’, महिंद्रा समृद्धि इंडिया एग्री अवॉर्ड्स-2016में ‘कृषक सम्राट सम्मान’,. गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर ने‘प्रगतिशील कृषक सम्मान’, उत्तराखंड सरकार द्वारा सपोर्ट टू स्टेट एक्सटेंशन प्रोग्राम फॉर एक्सटेंशन रिफॉर्म्स योजना, उत्तराखंड कृषि विभाग द्वारा प्रदत्त ‘किसान भूषण’ सम्मान एवं ‘सर्वश्रेष्ठ कृषक पुरुस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने फलो के उत्पादन के लिए विशिष्ट उपलब्धि सम्मान पत्र और उत्तराखंड के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय, अल्मोड़ा द्वारा सम्मान प्रदान किया गया है।

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