रंगों का त्योहार अपने चरम पर है। होली के मौके पर होल्यारों की गीत सुन भावुक हुईं महिलाएं, छलका पलायन का दर्द। इस बार देहरादून जाकर राठ क्षेत्र के लोगों को भी जागरूक किया गया है।
देवभूमि में इन दिनों रंगों का त्योहार होली का खुमार चढ़ा हुआ है। कहीं होली के गीत गूंज रहे हैं तो कहीं रंग और गुलाल उड़ रहे हैं। कहीं होल्यारों की टोली जमकर माहौल बना रही है। पौड़ी में भी त्रिपट्टी राठ क्षेत्र की होल्यारों की टीम अपने पारंपरिक गीतों और प्रस्तुतियों के जरिए उत्तराखंड की संस्कृति को जीवंत बनाए रखने का प्रयास कर रही है। खास बात ये है कि ये टीम पलायन की पीड़ा भी उठा रही है।
त्रिपट्टी राठ से होल्यारों की टीम पौड़ी पहुंची। जहां उन्होंने विधायक कार्यालय में पौड़ी विधायक राजकुमार पोरी के साथ होली मनाई। इस दौरान विधायक राजकुमार ने उन्हें पहाड़ी टोपी पहनाकर सम्मानित भी किया। विधायक पोरी ने कहा कि ये युवा उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
जिस तरह से वे पौड़ी से लेकर देहरादून तक जाकर संदेश देने का काम रहे हैं, वो काफी सराहनीय है। इसके अलावा समय-समय पर अपने पैतृक घरों के रखरखाव और पारंपरिक त्योहारों में शामिल होने गांव आने की अपील भी कर रहे हैं। ताकि, वो अपनी जड़ों से जुड़े रहे।
होल्यार टीम से जुड़े लोगों का कहना है कि वो लंबे समय से हर साल होली पर विभिन्न क्षेत्रों में जाकर अपने पारंपरिक गीतों के माध्यम से लोगों को रिवर्स पलायन के लिए जागरूक कर रहे हैं। होल्यारों की गीत सुन भावुक हुईं महिलाएं, छलका पलायन का दर्द। इस बार देहरादून जाकर राठ क्षेत्र के लोगों को भी जागरूक किया गया है। जिसमें कुछ महिलाएं काफी भावुक हो गईं। क्योंकि, वो चाहती हैं कि वो पहाड़ में बही रहे, लेकिन बेहतर शिक्षा और रोजगार के लिए मैदानी इलाकों की तरफ जाना और वहां रहना मजबूरी है। वहीं, होल्यार टीमों ने उनसे समय-समय पर अपने गांव जाकर अपनी परंपराओं को जीवित रखने की अपील की।
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