गंगा सिर्फ नदी नहीं है, यह जीवनदायिनी माता है। लोगों की इसके प्रति अटूट आस्था है लेकिन पिछले दिनों हरिद्वार में गंगा के तट पर हुक्का पार्टी, केक काटने जैसी तस्वीरें जब सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तो लोगों को काफी दुख और गुस्सा आया। इसी पर हुई चर्चा जिसमें दो संतों और एक पुलिस अधिकारी ने शिरकत की।
कोरोना काल में पिछले दिनों में उत्तराखंड में जैसे ही थोड़ी सी छूट मिली, कई हैरान और परेशान करने वाली तस्वीरें सामने आईं। हिल मेल और ओहो रेडियो ने इसी को विषय बनाया- आस्था का अनादर क्यों? नहीं चाहिए ऐसे सैलानी। इस लाइव चर्चा में हमारे साथ जुड़े स्वामी चिदानंद सरस्वती, परमाध्यक्ष परमार्थ निकेतन, स्वामी वीरेंद्रानंद गिरि जी महाराज, महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा और एसएसपी हरिद्वार सेंथल अबुदई।
हरिद्वार की पवित्र धरती से लोगों का विशेष जुड़ाव है। यह आस्था का केंद्र है। यहां लोग पूजा-पाठ, साधना, तप, ध्यान, योग के लिए आते हैं। गंगा नदी नहीं जीवनदायिनी माता समान है। ऐसे में बाहर से आने वाले सैलानी इस बात को क्यों भूल कर अनादर कर रहे हैं।
स्वामी चिदानंद ने बताया हरकी पैड़ी का महत्व
स्वामी चिदानंद ने धर्म और आस्था से जुड़े इस गंभीर विषय पर चर्चा के लिए हिल मेल और ओहो रेडियो की टीम को धन्यवाद देते हुए कहा कि लोगों के बीच जागरूकता लाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पौराणिक और प्रमाणिक जो मान्यताएं हैं, उस पर चिंतन से समाज को दिशा मिलेगी। स्वामी चिदानंद ने हरकी पैड़ी का महत्व भी समझाया। उन्होंने बताया कि समुद्र मंथन के बाद जब अमृत कलश निकला और उसे लेकर जा रहे थे तो पृथ्वी पर अमृत की कुछ बूंदें गिरीं, और जहां गिरीं उन पवित्र स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है। उसी अमृत की कुछ बूंदें हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर गिरीं।
इसलिए कहा जाता है कि हरकी पैड़ी पर स्नान, ध्यान, पूजन और वंदन और मोक्ष की प्राप्ति के लिए लोग आते हैं। वैसे तो, मां गंगा का उद्भव ही सबके उद्धार के लिए हुआ है लेकिन वहां बैठकर लोग हुक्का पिएं….. जब मुझे पता चला तो आश्चर्य हुआ कि लोग मर्यादा ही भूल गए। गंगा केवल नदी नहीं है, मां है। मैं बहुत छोटा 8 साल का था। गंगाजी से मेरा नाता जुड़ा। मां के प्यार को समझा, जाना है और जिया है। वह केवल भारत के लिए नहीं, पूरे विश्व के लिए मां का रूप है।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि जिस दिन लोग गंगा के महत्व, उसके जल का गुण, उसके किनारे की गई जप, तप और साधना और आध्यात्मिकता, संस्कृति को समझ लेंगे तो लोगों का जीवन और जीविका भी बनी रहेगी। सबसे पहले जागरूकता लाना है। नदी को सिर्फ नदी न समझा जाए यह 2525 किमी का जीता जागता, चलता फिरता मंदिर है। जिसने 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को जीविका दी है वह श्याम हो सलीम हो, साइमन हो या कोई और…सबके खेतों को भी सींचा है और दिलो को भी। ऐसी मां गंगा के तट पर जब आप आएं तो पर्यटन के लिए नहीं, पर्यटन के लिए तो गोवा है। गंगा जी के पास आएं तो गंगत्व का दर्शन करें। सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करें। जल के संरक्षण का संकल्प लें और पेड़ लगाने की बात करें। स्वामी चिदानंद ने कहा कि जितनी नदियां सुरक्षित रहेंगी उतना जीवन सुरक्षित होगा।
स्वामी वीरेंद्रानंद का जागरूकता पर जोर
स्वामी वीरेंद्रानंद ने कहा कि हरकी पैड़ी में जो हुड़दंग या नशाबाजी चल रही है, यह किसी को भी बर्दाश्त नहीं है। उत्तराखंड ऋषि-मुनियों, संतों, भगवद्गीता की भूमि और गंगा की भूमि है। जरूरत इस बात की है कि लोग समझदार और जिम्मेदार बनें। हमने नारा दिया है। हिमालय बचाओ देश बचाओ। उन्होंने कहा कि जब पेड़ नहीं बचेंगे तो ऑक्सीजन कहां से मिलेगी। उन्होंने सरकार की ओर जारी एसओपी का पालन करने पर जोर दिया। उन्होंने जागरूकता लाने पर जोर दिया। कहा कि 12 साल से 20 साल के बच्चों में चेतना लानी होगी, जिससे वे गंगा के महत्व को समझ सकें।
कानून-व्यवस्था का भी सवाल है…
एसएसपी सेंथल ने कहा कि मैं 99 में हरिद्वार में पहली बार आया था। उसके बाद 2009, 2010 में ड्यूटी के दौरान सेवा करने का मौका मिला। गंगा जी लोगों की आस्था का केंद्र है। ऐसे में किसी भी हरकत से लॉ एंड ऑर्डर की भी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में हम इसके सभी पहलुओं को गंभीरता से ले रहे हैं।
हाल में 3-4 वीडियो वायरल हुए जिसमें पुलिस ने तुरंत ऐक्शन लिया। आज ही 13 लोगों पर ऐक्शन लिया है जो कुछ गलत कर रहे थे, उन्हें गिरफ्तार किया गया। हम यह लोगों को संदेश दे रहे हैं कि गंगा जी की पवित्रता और आस्था को हमें बरकरार रखना है। यह पिकनिक स्पॉट नहीं है।
पूरी चर्चा देखने के लिए यहां क्लिक करें…
Topic – आस्था का अनादर क्यों?…नहीं चाहिए ऐसे सैलानी https://t.co/T2cWQfTfSa
— Hill Mail (@hillmailtv) July 10, 2021
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