PM मोदी ने ‘मन की बात’ में की बागेश्वर के जगदीश कुनियाल की तारीफ, पढ़िए उनकी क्या है कहानी

PM मोदी ने ‘मन की बात’ में की बागेश्वर के जगदीश कुनियाल की तारीफ, पढ़िए उनकी क्या है कहानी

पीएम नरेंद्र मोदी ने हर महीने होने वाले अपने मन की बात कार्यक्रम के तहत आज देशवासियों से कई अहम मुद्दों पर बात की। इस दौरान उन्होंने देश के कई ऐसे लोगों का जिक्र किया, जो अपने स्तर पर समाज के हित में बड़े काम कर रहे हैं और लोगों का जीवन सुखमय बना रहे हैं। इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड की भी बात की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में बागेश्वर के जगदीश कुनियाल की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि जगदीश कुनियाल जी का काम बहुत कुछ सिखाता है। उनका गांव और आसपास का क्षेत्र पानी की जरूरतों के लिए एक प्राकृतिक स्रोत पर निर्भर था लेकिन कई साल पहले वह स्रोत सूख गया। इससे पूरे इलाके में पानी का संकट गहरा गया। जगदीश जी ने इस संकट का हल वृक्षारोपण से करने की ठानी।

उन्होंने पूरे इलाके में गांव के लोगों के साथ मिलकर हजारों पेड़ लगाए। पीएम ने बताया कि आज उनके इलाके का सूख चुका वह जल स्रोत फिर से भर गया है। पीएम ने कहा कि साथियो, पानी को लेकर हमें इसी तरह अपनी सामूहिक जिम्मेदारियों को समझना होगा।

 

बाद में उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट करते हुए कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में श्री कुनियाल जी की सक्सेस स्टोरी का विशेष जिक्र किया है। मेरी ओर से श्री कुनियाल जी को इस महान कार्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं। जिद जब जुनून में बदल जाए तो उसके सार्थक परिणाम जरूर मिलते हैं। उत्तराखंड के जनपद बागेश्वर निवासी श्री जगदीश कुनियाल जी ने अपने भगीरथ प्रयासों से कई साल पहले सूख चुके स्थानीय गदेरे को पुनः रिचार्ज कर तमाम गांवों में न केवल पेयजल संकट बल्कि सिंचाई की समस्याओं को भी दूर किया है।

मन की बात में पीएम ने आगे हरिद्वार में कुंभ के आयोजन की चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिए जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है। पानी एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है। वैसे ही पानी का स्पर्श जीवन के लिए जरूरी है।

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कहां कमी रह गई, मोदी ने बताया
पीएम ने आज अपनी एक कमी की भी चर्चा की। दरअसल उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा रेड्डी ने उनसे ऐसा ही एक सवाल पूछा था। उन्होंने कहा कि – आप इतने साल से पी.एम. हैं, इतने साल सी.एम. रहे, क्या आपको कभी लगता है कि कुछ कमी रह गई। पीएम ने इसका जवाब देते हुए कहा कि अपर्णा जी का सवाल बहुत सहज है लेकिन उतना ही मुश्किल भी। मैंने इस सवाल पर विचार किया और खुद से कहा मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा – तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया। यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है।

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