प्रख्यात रंगकर्मी, अभिनेता और पत्रकार विश्व मोहन बडोला का निधन, 84 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस

प्रख्यात रंगकर्मी, अभिनेता और पत्रकार विश्व मोहन बडोला का निधन, 84 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस

विश्व मोहन बडोला ने अक्षय कुमार की फिल्म जॉली एलएलबी-2 में एक यादगार रोल निभाया था। उन्होंने स्वदेश, मुन्ना भाई एमबीबीएस, जोधा-अकबर, लेकर हम दीवाना दिल, प्रेम रत्न धन पायो, मिक्की वायरस, मिसिंग, जलपरीः द डेर्जट मरमेड समेत कई फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया।

उत्तराखंड के एक छोटे से गांव से निकलकर अपनी अलग पहचान बनाने वाले प्रख्यात रंगकर्मी, अभिनेता और पत्रकार विश्व मोहन बडोला नहीं रहे। सोमवार देर शाम उनका मुंबई में 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। विश्व मोहन बडोला के निधन की जानकारी उनके बेटे और अभिनेता वरुण बडोला की पत्नी राजेश्वरी सचदेव ने दी। 1936 में पौड़ी के द्वारीखाल ब्लॉक ग्राम ठठोली गांव में जन्मे विश्व मोहन बडोला ने प्रारंभिक शिक्षा के बाद 1962 में दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में बीए ऑनर्स किया। इसके बाद वह वॉयस ऑफ अमेरिका रेडियो से जुड़े। टाइम्स ऑफ इंडिया के लखनऊ संस्करण के संपादक रहने के अलावा वह टीवी, रंगमंच और फिल्मों के मंझे हुए कलाकार थे। विश्व मोहन बडोला थिएटर में काफी सक्रिय रहे। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो के लिए करीब 400 नाटकों में काम किया था।

विश्व मोहन बडोला ने अक्षय कुमार की फिल्म जॉली एलएलबी-2 में एक यादगार रोल निभाया था। उन्होंने स्वदेश, मुन्ना भाई एमबीबीएस, जोधा-अकबर, लेकर हम दीवाना दिल, प्रेम रत्न धन पायो, मिक्की वायरस, मिसिंग, जलपरीः द डेर्जट मरमेड समेत कई फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया। आखिरी बार उन्हें मनोज वाजपेयी और तब्बू की फिल्म मिसिंग में देखा गया था। वह 1965 से 1993 तक विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं और दूरदर्शन के जरिये पत्रकारिता से जुड़े रहे।

वरुण बडोला ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर पिता की पुरानी तस्वीर साझा करते हुए एक पोस्ट लिखा है। उन्होंने लिखा, ‘बहुत से लोग ये कहते हैं कि उनके बच्चे उनकी बात नहीं सुनते। लेकिन वे भूल जाते हैं कि बच्चे हमेशा उन्हें देख रहे हैं। मेरे पिता ने मुझे कभी भी सिखाने के लिए नहीं बैठाया। उन्होंने मेरे लिए सीखने का एक तरीका बनाया। उन्होंने ऐसी मिसाल पेश की कि मेरे सामने उसे मानने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। अगर आपको लगता है कि मैं अच्छा कलाकार हूं, तो इसके लिए वही जिम्मेदार हैं। अगर मैं लिखता हूं तो इसका श्रेय उन्हें जाता है। अगर मुझमें गायकी का थोड़ा सा भी हुनर होता तो मैं सिंगर बन जाता।’

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