ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन में पहाड़ को काटकर 20 किमी लंबी टनल बनाई जा रही है। हिमालय के क्षेत्र में यह सबसे लंबी टनल होने वाली है। परियोजना के तहत बनने वाले 12 रेलवे स्टेशनों में से 10 पुलों के ऊपर और सुरंग के अंदर होंगे। 125.20 किमी लंबी रेलमार्ग परियोजना का 84.24 फीसदी हिस्सा (105.47 किमी) भूमिगत है।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग नई रेल लाइन का इंतजार प्रदेश के लोग बड़ी बेसब्री से कर रहे हैं। अब रेल मंत्रालय ने परियोजना पर अपडेट दिया है। तस्वीरें शेयर करते हुए रेल मंत्रालय ने बताया है कि 5 किलोमीटर सुरंग बनकर तैयार हो गई है।
आरवीएनएल ने हर दिन 100 मीटर सुरंग बनाने का लक्ष्य रखा है। आपदा से निपटने के लिए सुरंगों को सुरक्षित बनाया गया है। तस्वीरों में सुरंगों का डिजाइन भी देखा जा सकता है।
126 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के 9 पैकेज में 80 (फेस) प्रवेश द्वार तैयार हो रहे हैं। इसमें से 31 मार्च तक 50 प्रवेश द्वार बनकर तैयार हो जाएंगे।
भूकंप, बाढ़ और आग जैसी आपदा से निजात पाने के लिए आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों की ओर से विशेष पहल की गई है। इसमें विदेश के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों से भी मदद ली गई है। भूस्खलन से बचने के भी इंतजाम किए गए हैं।
Making swift progress:
Rishikesh-Karnaprayag new railway line has crossed the total 5 Km tunnelling mark. This includes main railway, escape tunnels & Adits.This project is being executed by #RVNL, it will provide rail connectivity to the interiors of Garhwal, Uttrakhand. pic.twitter.com/eVWkxX6BuN
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) February 20, 2021
इस नई रेल लाइन के बनने से गढवाल क्षेत्र के सुदूर इलाके में भी कनेक्टिविटी बेहतर हो जाएगी। यही वजह है कि लोग इस सुरंग के बनने और जल्द छुकछुक गाड़ी दौड़ने की राह देख रहे हैं।
रास्ते अपने साथ विकास और खुशहाली के मार्ग भी खोलते हैं। यह प्रोजेक्ट पर्यटन के लिहाज से भी उत्तराखंड के लिए फायदेमंद होगा।
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