ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में तेजी से काम चल रहा है। जिसके तहत पांच महीने में ही 25 किलोमीटर की सुरंग तैयार हो चुकी है। इसकी जानकारी रेलमंत्रालय ने अपने ट्विटर पर जारी की है।
ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के कार्य में कार्यदाई संस्थाओं ने विभिन्न फेस में पांच माह के भीतर 25 किलोमीटर टनलिंग का काम पूरा कर लिया। रेल मंत्रालय ने शनिवार देर रात अपने ट्विटर हैंडल पर यह जानकारी जारी की।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के कार्य में रोज नए आयाम स्थापित हो रहे हैं।
इस बार कर्णप्रयाग रेल परियोजना के कार्य में रेल विकास निगम की कार्यदाई संस्थाओं ने विभिन्न फेस में पांच माह के भीतर 25 किलोमीटर टनलिंग का काम पूरा कर नई कामयाबी हासिल की है।इसके साथ ही परियोजना में अब तक कुल 50 किलोमीटर टनलिंग का काम पूर्ण किया जा चुका है।
यह जानकारी रेल मंत्रालय ने शनिवार देर रात अपने ट्विटर हैंडल पर जारी की। रेल मंत्रालय के इस वीट के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस ट्वीट को पसंद किया और शेयर भी किया है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना भारतीय रेलवे की सबसे चुनौतीपूर्ण रेल परियोजना है। 125 किलोमीटर लंबी इस परियोजना पर 105 किलोमीटर रेल लाइन सुरंगों के भीतर से होकर गुजरेगी। परियोजना पर कुल 17 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा हैइस परियोजना में लंबी सुरंग तक पहुंचने के लिए सात एडिट टनल बनाई जाएंगी, जिनकी लंबाई करीब चार किलोमीटर है।
छह किलोमीटर से अधिक लंबी सुरंग के समांतर उतनी ही लंबाई की एस्केप चैनल भी बनाए जाएंगी, जिनकी कुल लंबाई 98 किलोमीटर है।जबकि मुख्य टनल और एस्केप चैनल को जोड़ने के लिए 375 मीटर की दूरी पर क्रास पैसेज बनाए जा रहे हैं। इन क्रास पैसेज की कुल लंबाई करीब पाच किलोमीटर है। वर्तमान में इन सभी तरह की सुरंग के निर्माण का कार्य जारी है।
शनिवार रात रेल मंत्रालय ने एक ट्वीट जारी कर बताया कि कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर अब तक कुल 50 किलोमीटर सुरंग का निर्माण पूर्ण हो चुका है। यहा यह बताना जरूरी है कि यह 50 किलोमीटर सुरंग का निर्माण सिर्फ मुख्य सुरंग नहीं, बल्कि इससे जुड़ी एडिट टनल, क्रास टनल और समातर टनल भी शामिल है।
मंत्रालय के ट्वीट में खास बात यह बताई गई है कि परियोजना के निर्माण में विगत पाच माह में इतनी तेजी आई है कि इस अवधि में रिकार्ड कुल 25 किलोमीटर टनल का निर्माण पूरा हो पाया है। वास्तव में टनलिंग के कार्य में यह गति बेहद तेज कही जा सकती है।
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