‘साधु से सेवक’ पुस्तक की एक विशेषता यह भी है कि इसकी प्रस्तावना गृहमंत्री अमित शाह ने लिखी है। उनके ही शब्दों को दोहराएं तो ‘साधु में सेवक पुस्तक हमें एक ऐसे अद्वितीय प्रतिभाशाली बालक की जीवंत कथा बताती है, जो आदर्श और परिश्रमी माता-पिता के सद्संस्कारों, समाज एवं राष्ट्र के लिए समर्पण का संकल्प लेने वाले वैचारिक अधिष्ठान की सीख के साथ राष्ट्र का समर्पित सेवक सिद्ध हुआ है।’
वरिष्ठ पत्रकार लेखक और आज तक के संपादक मनजीत नेगी ने अपनी पुस्तक ‘साधु से सेवक’ की प्रति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी को भेंट की। सीएम धामी को यह पुस्तक उनके दिल्ली दौरे के दौरान दी गई। वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ को लखनऊ में मनजीत नेगी ने यह पुस्तक भेंट की थी। इस वर्ष 15 मार्च को उन्होंने पुस्तक की पहली प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट की थी। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा के कई अनसुने पहलुओं को साझा किया था। पीएम मोदी ने अपने उत्तराखंड से जुड़ाव और शुरुआती सफर को याद करते हुए कई आध्यात्मिक स्थलों का जिक्र किया था। साथ ही पिथौरागढ़ जिले के नारायण आश्रम, रामकृष्ण कुटीर अल्मोड़ा, केदारनाथ स्थित गरूड़चट्टी और दयानंद आश्रम ऋषिकेश से जुड़ी कई बातें साझा कीं।
‘साधु से सेवक’ पुस्तक की एक विशेषता यह भी है कि इसकी प्रस्तावना गृहमंत्री अमित शाह ने लिखी है। उनके ही शब्दों को दोहराएं तो ‘साधु में सेवक पुस्तक हमें एक ऐसे अद्वितीय प्रतिभाशाली बालक की जीवंत कथा बताती है, जो आदर्श और परिश्रमी माता-पिता के सद्संस्कारों, समाज एवं राष्ट्र के लिए समर्पण का संकल्प लेने वाले वैचारिक अधिष्ठान की सीख के साथ राष्ट्र का समर्पित सेवक सिद्ध हुआ है।’
मनजीत नेगी बताता हैं कि पीएम मोदी पर पुस्तक को लिखने की प्रेरणा वर्ष 2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव कवर करने के दौरान वडनगर में नरेंद्र मोदी जी के शुरुआती जीवन पर डॉक्यूमेंट्री बनाते वक्त मिली। इसके बाद मैंने उनकी आध्यात्मिक यात्रा में सभी पड़ावों का सफर किया। वहां से मिले अनुभव और नरेंद्र मोदी के करीब रहे महानुभावों के साक्षात्कार के आधार पर ही यह पुस्तक तैयार हुई है।
पीएम मोदी के जीवन में उत्तराखंड का अहम योगदान है। उन्होंने ऋषिकेश स्थित शीशमझाड़ी के दयानंद आश्रम में स्वामी दयानंद सरस्वती से अध्यात्म की शिक्षा ली। स्वामी दयानंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रिश्ता काफी पुराना है। जब भी नरेंद्र मोदी के सामने कोई मुश्किल समस्या आई तब-तब उन्होंने गुरु से मार्गदर्शन लिया। स्वामी दयानंद सरस्वती का मोदी के जीवन पर गहरा प्रभाव रहा। परंपरा और आधुनिकता का मेल पीएम को अपने गुरु से मिला है। इन सब चीजों को हिंदू धर्म आचार्य सभा के महासचिव और समन्वयक स्वामी परमात्मानंद ने करीब से देखा है। वह कहते हैं, नरेंद्र मोदी को अपने गुरू से जो मिला, वही समाज को लौटा रहे हैं। स्वामी परमात्मानंद ने प्रधानमंत्री मोदी को दो दशकों से भी ज्यादा समय से जानते हैं। वह कहते हैं कि पीएम मोदी बचपन से ही साधु पुरुष हैं। उनका किसी चीज से लगाव या उनमें ‘मैं कुछ हूं’, जैसा भाव नहीं है क्योंकि आत्मगौरव बहुत है।
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