कोरोना काल में जिसकी नौकरी चली जाए, जिसे मुसीबत के कारण अपने गांव लौटना पड़े या घर बैठना पड़े तो निराशा आ जाती है। लोगों को लगेगा कि सब रास्ते बंद हो गए हैं जबकि ऐसा नहीं है। आपका काम, हुनर और अनुभव आपको कहीं भी रोजगार दिला सकते हैं। कोरोना काल की प्रेरक कहानी इसी पर…।
कोरोना फैला तो लोगों के रोजगार छूट गए। कंपनियां बंद हुईं तो घर बैठना पड़ा और खाने की भी दिक्कत होने लगी। पिछले ढाई महीनों में आपने ऐसी कई कहानियां पढ़ी, देखी और सुनी होंगी लेकिन इस दौर में भी अगर आपने हिम्मत नहीं हारी और आपमें हुनर है तो पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं है। आपके बुलंद हौसले हालात को भी हरा देंगे। जी हां आज की हमारी कहानी ऐसे ही एक ऊर्जावान युवा के बारे में है।
उत्तराखंड के पौड़ी जिले के कोटगी गांव के रहने वाले हैं रोपेंद्र सिंह रावत। घर और आसपास के लोग उन्हें बॉबी के नाम से बुलाते हैं। वह 2015 में नौकरी की तलाश में घर से निकल गए थे। बेकरी और कन्फेक्शनरी में उनकी रुचि थी और उन्होंने काफी कुछ सीख लिया था। उन्होंने पहले पुणे और फिर मुंबई के होटलों में काम किया। इस दौरान वह विदेश जाने की कोशिश करते रहे। आखिरकार वह जर्मनी के लिए सिलेक्ट कर लिए गए। वह 2 साल तक जर्मनी रहे और बेकरी, केक जैसी चीजें बनाने में महारत हासिल कर ली। हालांकि इसी दौरान कोरोना ने दस्तक दे दी।
वह बताते हैं कि भारत से काफी बुरे हालात जर्मनी में हो गए थे। ऐसे में वह मार्च में भारत में लॉकडाउन शुरू होने से दो दिन पहले ही स्वदेश आ गए। सब कुछ भारत में भी बंद होने लगा था। कुछ समय घर में बैठने के बाद उनके दोस्तों ने कहा कि तुम्हें काम आता है तो क्यों नहीं यहीं पर अपना काम शुरू करो। थोड़ा सा प्रोत्साहन मिला तो उन्होंने केक बनाना शुरू कर दिया।
बॉबी बताते हैं कि आज काम अच्छा चल रहा है। दिन में 6-7 केक रोज बिक जाते हैं। गांव के लोग पेस्ट्री आदि खाने आ जाते हैं। वह पहले जर्मनी में 2.75 लाख रुपये हर महीने कमाते थे। कोरोना काल में जब कइयों के रोजगार बंद हो गए हैं, ऐसे मुश्किल वक्त में भी वह अपने हुनर की मदद से करीब 5 हजार रुपये रोज कमा लेते हैं।
हिल-मेल से बातचीत में बॉबी अपने गांव आकर काफी संतुष्ट लगे। यह पूछने पर कि कामकाज शुरू होगा तो वह फिर से जर्मनी जाना चाहेंगे तो उन्होंने कहा कि वहां के हालात सोचकर अब जाने का मन नहीं करता है। मैंने काफी कुछ सीखा है और अपने घर पर ही अच्छी कमाई हो जा रही है तो अब विदेश या किसी और शहर जाने के बारे में नहीं सोच रहा हूं।
पौड़ी के जिलाधिकारी धीरज सिंह गर्ब्याल को जब बॉबी के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने दूसरे युवाओं को भी उनसे प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित किया है। बॉबी ने अपने हाथ से बनाए केक और बेकरी के आइट्म्स की तस्वीरें हिल-मेल से साझा की हैं, जिसे देखकर किसी के भी मुंह में पानी आ जाए।
बॉबी की कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि परेशानियां लाख आएं पर हमें हिम्मत नहीं हारना है और खुद पर भरोसा रखते हुए आगे बढ़ना है। सफलता जरूर मिलेगी।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *