CM तीरथ सिंह रावत से मिले स्वामी वीरेंद्रानंद जी महाराज, कुंभ पर विस्तार से हुई बात, देखें तस्वीरें

CM तीरथ सिंह रावत से मिले स्वामी वीरेंद्रानंद जी महाराज, कुंभ पर विस्तार से हुई बात, देखें तस्वीरें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर हरिद्वार महाकुंभ में अब आगे के कार्यक्रम प्रतीकात्मक रूप से चलेंगे। साधु-संतों ने इस दिशा में कदम बढ़ा भी दिया है। कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए जूनाअखाड़ा की ओर से कुम्भ का विधिवत विसर्जन-समापन किया गया है। इस बीच, स्वामी वीरेंद्रानंद जी महाराज ने सीएम तीरथ से मुलाकात की है।

जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद जी महाराज ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मुलाकात कर महाकुंभ को लेकर लंबी वार्ता की। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में बताया कि आज मुख्यमंत्री कार्यालय देहरादून में सीएम तीरथ सिंह रावत से औपचारिक भेंट हुई। इस दौरान महाकुम्भ से संबंधित विषयों पर वार्तालाप की। साथ ही धारचूला-मुनस्यारी विधानसभा की विभिन्न समस्याओं के बारे में विस्तृत चर्चा हुई।

हिमालयन पीठाधीश्वर हिमालयन योगी स्वामी वीरेंद्रानंद ने मुख्यमंत्री को 21 अप्रैल को जूना अखाड़ा मायादेवी मंदिर में दर्शन के लिए निमंत्रण भी दिया। इस अवसर पर गौरीशंकर माला भेंट कर उनका अभिनंदन किया। स्वामी जी ने सीएम को कुछ धार्मिक पुस्तकें भी उपहार में दीं। सीएम ने भी स्वामी जी का सहर्ष स्वागत किया।

उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से स्वामी वीरेंद्रानंद काम कर रहे हैं। वह सुदूर क्षेत्रों के बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने एशियन सत्कर्मा मिशन की स्थापना की है।

स्वामी वीरेंद्रानंद जी ने कोरोना काल में भी लोगों की काफी मदद की। उन्होंने आपदा से प्रभावित लोगों की मदद के लिए अभियान चलाया। स्वामी जी ने खुद घूम-घूमकर लोगों की मदद की। सुदूर इलाकों में भी उनके सत्कर्मा मिशन के स्वयंसेवकों ने मदद पहुंचाई। आपदा में भी वह लोगों का दुख दर्द बांटते दिखे। सत्कर्मा मिशन गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद करने के साथ ही जल संरक्षण और पर्यावरण बचाने के मिशन में भी जुटा है।

उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में एशियन सत्कर्मा मिशन के संस्थापक स्वामी वीरेंद्रानंद पर्यावरण को लेकर विशेष अभियान चला रहे हैं। उन्होंने कोरोना संकट, उत्तराखंड के विकास, प्रकृति के महत्व, पलायन, स्वरोजगार और पहाड़ में संभावनाओं के हर क्षेत्र में अपने मिशन के माध्यम से काम किया है। हरेला पर्व के अवसर पर उनके मिशन ने ढाई लाख से ज्यादा पौधे लगाए।

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