वैश्विक फलक पर आस्था व चमत्कार का विख्यात तीर्थ स्थल ‘श्री कैची धाम’ का 60वां भव्य स्थापना दिवस सम्पन्न

वैश्विक फलक पर आस्था व चमत्कार का विख्यात तीर्थ स्थल ‘श्री कैची धाम’ का 60वां भव्य स्थापना दिवस सम्पन्न

उत्तराखंड नैनीताल जनपद स्थित समुद्र तट से चौदह सौ मीटर की ऊंचाई पर प्रवाहमान शिप्रा नदी के तट पर किस्मत बदलने वाले आस्था व चमत्कार के विश्व विख्यात तीर्थ स्थल, ‘श्री कैची धाम’ का 60वां भव्य स्थापना दिवस समारोह 15 जून को देश-विदेश से पहुंचे परम पूज्य बाबा श्री नीब करोरी महाराज के लाखों अनुयाइयों की उपस्थिति में हर्षोल्लास और भक्ति के वातावरण में सम्पन्न हुआ।

सी एम पपनैं

14 जून की रात्रि से ही बाबा के हजारों भक्तजन सड़क पर रात्रि गुजार लाइन में लगे देखे गए। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में बाबा के धाम में विशेष पूजा अर्चना और भोग लगने के बाद भक्तों के लिए धाम का मुख्य द्वार खोल दिया गया था। बाबा के जयकारों के साथ ’कैची धाम’ गूंज उठा था। भक्तिपूर्ण भाव से लाखों की संख्या में लाइन में लगे भक्तजन देर रात्रि तक अपनी बारी का इंतजार, महाराज के दर्शन व प्रसाद में मालपुआ ग्रहण कर अपने को धन्य समझ रहे थे। मेले में विभिन्न प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया था जिसमें नृत्य, संगीत और भजन संध्या शामिल थे। इस वर्ष मंदिर परिसर में फोटो, मोबाइल रील पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया गया था।

12 जून से ही ‘कैची धाम’ में अखंड पाठ का आयोजन शुरू कर दिया गया था। भट्टी पूजन के बाद देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मथुरा से आए कारीगरों द्वारा प्रसाद बनाना शुरू कर दिया गया था। स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा के नेतृत्व में करीब पांच सौ जवान दिनभर श्रद्धालुओं की भीड़ के मध्य व्यवस्था को सुव्यवस्थित बनाएं रखने के लिए मुस्तैद देखे गए।

15 जून, 1964 को पहली बार ’कैची धाम’ का स्थापना दिवस मनाया गया था। विगत कुछ वर्षों से यहा आ रहे बाबा के श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ के बाद ’कैची धाम’ विश्व मानचित्र पर तेजी से उभरा है। विगत 59 वर्षो में बाबा के देश-विदेश के बढ़ते अनुयाइयों के कारण इस स्थापना दिवस ने धीरे-धीरे एक विशाल भव्य मेले का रूप धारण कर लिया है। स्थापना दिवस के बाद भी वर्षभर महाराज के अनुयाई बडी संख्या में कैची धाम दर्शन हेतु आते रहते हैं। मंगलवार, शनिवार व रविवार को सुबह से ही दर्शनार्थियों का बडी संख्या में हुजूम उमड़ पड़ता है। करीब तीस पैंतीस हजार श्रद्धालुओं को दर्शन करते देखा जा सकता है। कैची धाम से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर अक्सर लम्बे जाम व अव्यवस्था का आलम देखा जाता रहा है।

कैची धाम मंदिर प्रशासन द्वारा स्थापना दिवस की तैयारी इस वर्ष भी बडी सिद्धत से की गई थी। पुलिस प्रशासन द्वारा 14 से 16 जून तक यातायात व्यवस्था के लिए एक माह पूर्व से ही तैयारी करनी शुरू कर दी गई थी। रूट प्लान जारी किया गया था। ’कैची धाम’ से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग का ट्रैफिक अन्य सम्पर्क मार्गो को मोड़ दिया गया था। ‘कैची धाम’ से कई किलोमीटर पहले ही हर रूट पर कार, स्कूटर, मोटर साइकिल व बस पर्किंग स्थल बनाऐ गए थे। कैची धाम तक पहुंचने के लिए उचित दरों पर टैक्सी व शटल सेवा की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई थी।

मान्यता है, कोई भी भक्त ‘कैची पावन धाम’ में पहुंच कर खाली हाथ नहीं लौटता है। सच्चे मन से सोची उसकी जटिल से जटिल मुराद भी पूरी हो जाती है। विश्व की जानी-मानी हस्तियां इस सु-विख्यात पावन धाम में पहुंच, आशीर्वाद लेकर धन्य होती रही हैं। पावन धाम की महिमा श्रद्धालुओ के लिए अत्यंत श्रद्धेय और अनुकरणीय रही है। विगत महीनों में ही क्रिकेटर विराट कोहली व महेंद्र सिंह धोनी, बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल, प्रसिद्ध सिने व टीवी कलाकार चंकी पांडे, भारती, राहुल देव तथा अनेकों जाने माने नेताओं के साथ-साथ देश के उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इत्यादि इत्यादि ने कैची धाम पहुंच कर मनोकामना पूर्ण हेतु बाबा के दर्शन किए थे।

1961 में पहली बार श्री हनुमान जी के अनन्य भक्त परम पूज्य बाबा श्री नीब करौरी महाराज ने नैनीताल जनपद के इस रमणीक व शांतिप्रिय स्थल की प्राकृतिक छटा को निहार उक्त स्थान पर एक आश्रम बनाने का विचार किया था। अपने एक स्थानीय सहयोगी की मदद से 15 जून 1964 को महाराज द्वारा श्री हनुमान जी का भव्य मंदिर निर्माण करवा कर ’कैची पावन धाम’ की स्थापना की गई थी। स्थापित धाम में सुबह और सांय प्रार्थना का आयोजन, नव रात्रियों में विशेष पूजन व दिव्य चमत्कारी संत, महापुरुष परम पूज्य बाबा श्री नीब करौरी महाराज के चमत्कारों की बदौलत ’कैची धाम’ की महत्ता देश-विदेश के भक्तो के मध्य बढ़ते चली गई थी। उक्त धाम श्रद्धालुओ की आस्था का प्रतीक बन कर ख्याति के चरम पर उभरता चला गया।

अकबर पुर, जिला फिरोजाबाद, (उ.प्र.) के किरहीन गांव के नजदीक निवासरत दुर्गा प्रसाद शर्मा के सम्पन्न ब्राह्मण कुल में सन् 1900 के आसपास नीब करौरी महाराज जी का जन्म हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा किरहीन गांव के स्कूल में हुई थी। बीसवीं शताब्दी के इस सु-प्रसिद्ध महान संत के बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। ग्यारह वर्ष की छोटी उम्र में ही विवाह के बाद संसारिक वस्तुओं से मोह छूट जाने से जल्द ही उन्होंने घर छोड़ दिया था। पिता द्वारा सात-आठ वर्ष की निरंतर खोज के बाद सीधे-सादे स्वभाव के पुत्र को गुजरात के बवानिया मोरबी नामक गांव के एक आश्रम में साधना करते हुए ढूंढ लिया गया था, जहा महाराज तलैया वाले बाबा के नाम से मशहूर थे। पिता द्वारा पुत्र को गृहस्त जीवन के पालन की हिदायत दिए जाने के बाद महाराज द्वारा गृहस्त, धार्मिक व सामाजिक जीवन को एक साथ तन-मन से जीने का काम निभाने की जुगत भिड़ाई गई थी। उनके गृहस्त जीवन में दो बेटे व एक बेटी हुई।

पुनः कुछ समय बाद गृहस्त जीवन से महाराज को विरक्ति हो गई थी। 1958 के इर्दगिर्द महाराज ने अपना घर त्याग दिया था। उत्तर भारत में साधुओं की तरह वे अलग-अलग जगहों पर विचरण करने लगे थे। उन्हे भ्रमण के दौरान विभिन्न स्थानों में अलग-अलग नामों लक्ष्मण दास, हांडी वाला बाबा, तिकोनिया वाला बाबा, चमत्कारी बाबा इत्यादि नामों से जाना जाने लगा था। नीब करौरी नामक गांव जिला फरुखाबाद (उ.प्र.) के रेलवे स्टेशन पर महाराज द्वारा दिखाए गए चमत्कार के बाद महाराज को नीब करौरी नाम से जाना गया। यही नाम बाद के दिनों में नीम करौली नाम से भी पुकारा जाने लगा। इस नाम से भी महाराज को बहुतायत में वैश्विक फलक पर जाना जाता है।

जन मान्यतानुसार 17 वर्ष की उम्र में महाराज को ज्ञान प्राप्त हो गया था। बचपन से ही संत बन चुके नीब करौरी महाराज जहां भी गए भक्तों से यज्ञ भगवान को प्रसन्न करने और भंडारा लोगों को खिलाने व प्रसन्न रखने के लिए करवाते रहते थे। देश के विभिन्न स्थानों में श्री हनुमान जी के मंदिर निर्मित करवाने में वे तत्पर रहा करते थे।

9 सितंबर 1973 को अंतिम बार महाराज जी ने ‘कैची पावन धाम’ से आगरा को प्रस्थान किया था। 11 सितंबर 1973 को महाराज ने वृंदावन में शरीर त्याग दिया था। महाराज की समाधि वृंदावन में निर्मित की गई। साथ ही ‘कैची धाम’ भवाली (नैनीताल), वीरा पुरम (चैन्नई) तथा लखनऊ (उ.प्र) में भी महाराज के अस्थिकलश को भू-समाधि दी गई थी। भक्तों की महाराज के प्रति आस्था ही है कि वे लाखों की संख्या में आज भी उनकी समाधि की तरफ खिंचे चले आते हैं, बाबा के अदृश्य आशीर्वाद ग्रहण करने के लिए।

आम आदमी की तरह जिंदगी जीने व आडंबरो से दूर रहने वाले परम पूज्य बाबा श्री नीब करौरी महाराज माथे पर तिलक व गले में कंठी माला डालने से परहेज किया करते थे। किसी को अपने पैर नही छूने देते थे। कहते थे श्री हनुमान जी के पैर छुओ। हनुमान के उपासक, जप मे केवल राम-राम का नाम अनवरत जपने वाले बीसवीं शताब्दी के दिव्य संतो व प्रचंड क्षमताओं वाले भारतीय महापुरुषों में नीब करौरी महाराज की चमत्कारिक सिद्धियां व महिमाऐ अत्यंत श्रद्धेय व अनुकरणीय रही हैं। सिद्ध आत्मा के साथ-साथ कई प्रकार की सिद्धियों के वे स्वामी रहे हैं। बिना शिक्षा के बोझ मुक्त दिव्यदर्शी होने से भक्तों द्वारा समस्या व्यक्त करने से पूर्व उनकी समस्याओं का निदान करने की वे अलौकिक सिद्धि प्राप्त संत थे। अपनी देवीय ऊर्जा से अचानक कही भी भक्तों के मध्य प्रकट हो जाते थे, उसी प्रकार लुप्त भी।

महाराज जी का मुख्य उद्देश्य मानव जाति का कल्याण करना था। उनके कल्याणकारी व चमत्कारी कार्यो के अनगिनत किस्सों ने उन्हे देश-विदेश में ख्याति अर्जित करवाई थी। महाराज के प्रति आस्था ही मुख्य कारण रहा, प्रतिवर्ष उनके आम आदमी से लेकर अरबपति तक लाखों भक्त ’कैची पावन धाम’ में दर्शन करने के लिए आते हैं। देश-विदेश की बडी-बडी हस्तियां खुद को यहां आने से नहीं रोक पाती हैं, महाराज की प्रेरणा पाने हेतु।

हिंदू आध्यात्मिक गुरु के रूप में पूजे जाने वाले और श्रीराम का नाम जपने वाले परम पूज्य श्री नीब करौरी महाराज को हनुमान का अवतार माना जाता रहा है। महाराज जी को श्री हनुमान जी की उपासना से अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थी। महाराज द्वारा स्थापित धाम श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। महाराज के लाखों भक्त हैं जिनकी मुराद ’कैची पावन धाम’ में आकर पूरी होती है।

‘कैची पावन धाम’ में महाराज का समाधि स्थल भव्य मूर्ति के साथ-साथ अन्य कई देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। देश-विदेश में 108 मंदिर व आश्रम स्थापित हैं। इन सब में सबसे बड़ा ‘श्री कैची धाम’ भवाली (नैनीताल) व अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित ‘टाउस आश्रम’ है। ‘कैची पावन धाम’ में कनाडा, यूएस, जर्मनी, फ्रांस समेत अनेकों देशों से भक्त आते रहते हैं। विदेशी भक्तों में सबसे अधिक संख्या अमेरिकन की होती है।

महाराज के श्रद्धालु भक्तों में अमेरिकन, एप्पल सीईओ स्टीव जाब्स, सबसे बडी सोशल साइड फेसबुक संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, सु- विख्यात लेखक, रिचर्ड अल्बर्ट, हालिवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्टस इत्यादि का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। रिचर्ड अल्बर्ट ने महाराज जी के चमत्कारी कार्यो व विचारों से प्रभावित होकर महाराज के सानिध्य मे 1967 के आसपास कुछ वक्त गुजार अपने जीवन की दशा व दिशा में अप्रत्याशित बदलाव कर महाराज के व्यक्तित्व व कृतित्व पर ‘मिरेकल आफ लव’ नामक शीर्षक से पुस्तक की रचना की थी जिसमे महाराज के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन किया गया है। महाराज द्वारा ही रिचर्ड अल्बर्ट को ’रामदास’ नाम दिया गया था जिस नाम से वैश्विक फलक पर इस लेखक को अपार ख्याति अर्जित हुई थी।

पश्चिमी दुनिया में बाबा रामदास और बाबा भगवान दास द्वारा नीब करौरी महाराज के विचारों, कार्यो व चमत्कारों को अपने वक्तव्यों तथा प्रभावशाली लेखनी से इतना प्रचारित व प्रसारित किया कि महाराज की महिमा को वैश्विक फलक पर बडी संख्या में जाना पहचाना गया। महाराज के भक्तों की संख्या में अपार वृद्धि होती चली गई। महाराज के अनुयाई उनके द्वारा बताए सिद्धांतों से आज भी मार्ग दर्शन प्राप्त कर प्रगति के पथ पर अग्रसर होते नजर आते हैं।

असाधारण काबिलियत, अनमोल विचारों के धनी, एक अद्भुत गुरु, अलौकिक रूप से अपने भक्तों के साथ सदैव विराजमान रहने वाले परम पूज्य बाबा श्री नीब करौरी महाराज द्वारा स्थापित ‘श्री कैची धाम’ में भक्तों द्वारा केवल कंबल चढ़ाने की परम्परा का निर्वाह किया जाता है। धाम की रसोई में शाकाहारी भोजन भक्तों के लिए बनाया जाता है। बाबा का पसंदीदा चना अनुयायियों को प्रसाद स्वरूप दिया जाता है। कैची धाम की बढ़ती मान्यता व प्रसिद्धि के फलस्वरूप ही यह धाम वैश्विक फलक पर तेजी से उभरा है, लाखों श्रद्धालु बाबा के अनुयाई हैं जो प्रतिवर्ष 15 जून को लाखों की संख्या में कैची धाम पहुंच कर अपने आप को धन्य समझते हैं।

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