केदारनाथ धाम का कायाकल्प हो चुका है पर 7 साल पुरानी वो खौफनाक यादें अब भी लोगों के जेहन में जिंदा है। अब कोर्ट के निर्देश पर एक अहम तलाश शुरू हुई है। उन लोगों पर एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जो आपदा में लापता हो गए और क्या उनके शव अब भी मलबे में दफन हैं?
साल 2013 की उस आपदा को उत्तराखंड आज भी नहीं भूल सका है। वह दर्द आज भी रह-रहकर कचोटता है। देशभर के कोने-कोने से लोग यहां थे पर उस त्रासदी ने हजारों को निगल लिया। हालांकि अब भी कुछ परिवार ऐसे हैं जिनके अपनों की कोई खबर नहीं है। मामला कोर्ट तक पहुंचा और यह मांग उठी कि पता किया जाए कि करीब 3 हजार लोग कहां गए।
अब 7 साल के बाद एक बड़ा मिशन शुरू होने जा रहा है। केदारनाथ आपदा में लापता तीन हजार से अधिक तीर्थयात्रियों की तलाश के लिए एसडीआरएफ के आईजी की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय विशेष विशेषज्ञ कमेटी बनी है। इसमें जीएसआई देहरादून, वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि सदस्य होंगे।
पढ़ें- कोरोना काल में केदारनाथ धाम जाने वालों के लिए यह काम होगा जरूरी
यह कमेटी 2 महीने के भीतर लापता तीर्थयात्रियों व स्थानीय लोगों की तलाश करेगी और हाईकोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करेगी। राज्य सरकार ने कहा है कि वह इस कमेटी को अपनी तरफ से हरसंभव मदद देगी। राज्य सरकार की ओर से इस आशय का हलफनामा दायर करने के बाद उच्च न्यायालय ने केदारनाथ आपदा में शवों की तलाश को लेकर दायर जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि कुमार मलिमथ व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में दिल्ली के रहने वाले अजय गौतम की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि आपदा के बाद केदार घाटी में से करीब 4200 लोग लापता थे, जिसमें से 600 के कंकाल बरामद किए गए।
आज भी 3600 लोग केदारघाटी में दफन हैं, जिनको निकालने को लेकर सरकार कोई कार्य नहीं कर रही है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अपील की कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और केदारघाटी में दफन शवों को निकलवाकर उनका विधि-विधान से अंतिम संस्कार करवाए। अब उम्मीद की जा रही है 2 महीने बाद आने वाली रिपोर्ट में इस बाबत कोई पुख्ता समाधान निकल सकता है।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *