हर साल की तरह इस साल भी उत्तराखंड में मॉनसून का कहर देखने को मिल रहा है। उत्तराखंड में आफत की बारिश रूकने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश के कई जिलों में सोमवार से ही मूसलाधार बारिश जारी है। मंगलवार रात को भी भारी बारिश के कारण कई जिलों में आपदा जैसे हालत बन गए थे। इस साल मॉनसून सीजन में 54 लोगों की मौत हो चुकी है।
हरीश चन्द्र अन्डोला
बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान टिहरी और रुद्रप्रयाग जिले में हुआ है। टिहरी और रुद्रप्रयाग जिले में हुई बारिश के कारण काफी नुकसान हुआ है। बारिश के बाद आए सैलाब में कई सड़कें बह गई। कई गांवों का संपर्क जिला और तहसील मुख्यालय से कट गया है। ऐसे हालत में ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग राहत के कार्यों में लगा हुआ है। इससे पहले हाल ही में टिहरी जिले के ही बूढ़ा केदार में बारिश ने जमकर तबाही मचाई थी। देर रात आई इस आपदा में गांव को काफी नुकसान पहुंचा था। खेतों की जमीन भी पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी।
मौसम की ऐसी ही कुछ मार नैनीताल जिले में भी देखने को मिली थी। यहां कालाढूंगी नैनीताल हाईवे पर पहाड़ी का एक हिस्सा भरभरा कर नीचे गिर गया था, जिससे मार्ग पूरी तरह से बंद हो गया था। हाईवे बंद होने पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों को भी काफी दिक्कते उठानी पड़ी थी। पुलिस-प्रशासन की तरह से अपील की जा रही है कि मौसम देखकर ही सफर कर रहे है। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में कम से कम जाए। उत्तरकाशी जिले से भी एक वीडियो सामने आया है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि पहले तो एक व्यक्ति खुद नदी में उतरता है और धीरे-धीरे तेज बहाव की तरफ बढ़ने लगता है। इसके बाद युवक नदी में डूबने लगता है और कुछ ही देर बाद वो आंखों से ओझल हो जाता है। ये घटना उत्तरकाशी के इंद्रावती गार्ड संगम के पास की बताई जा रही है।
वहीं देहरादून में दो लोग नदी में बह गए थे, जिन्हें मौके पर मौजूद लोगों ने बचाने का प्रयास किया। इस दौरान एक व्यक्ति को तो बचा लिया गया, लेकिन दूसरा पानी के तेज बहाव में बह गया। भारी बारिश के कारण मोटर मार्गों पर लैंडस्लाइड हो रहा है, जिस कारण हाईवे जगह-जगह बाघित हो रहा है। केदारनाथ नेशनल हाईवे 107 भी रुद्रप्रयाग जिले में कई जगहों पर अवरुद्ध है। इसके अलावा नैनीताल जिले में एक राज्य मार्ग और 13 ग्रामीण मोटर मार्ग बंद है। रुद्रप्रयाग जिले में भारी बारिश से बने हालत को देखते हुए वायु सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर तैनात किया गया है। वहीं, कम विजिबिलिटी होने के कारण केदारनाथ हेली सेवा भी प्रभावित हो रही है।
उत्तराखंड में आसमानी आफत से फिलहाल मुक्ति मिलती हुई नजर नहीं आ रही है। मौसम विभाग ने 23 अगस्त तक प्रदेश में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। उत्तराखंड में अगस्त महीने में 881.7 मिमी बारिश हुई है। पहले से ही आपदा की मार झेल रहे टिहरी जिले के भिलंगना ब्लाक में मंगलवार रात भारी वर्षा आफत बनकर टूटी। भिलंग पट्टी में बादल फटने से 13 गांवों में भूस्खलन से तबाही मच गई। नदी नालों ने गांव का रुख किया तो घरों में मलबा और पानी घुस गया।देखते ही देखते गांव बोल्डर और मलबे से पट गए। दो मकान पूरी तरह और तीन आंशिक रूप से ध्वस्त हो गए। ग्रामीणों ने किसी तरह भागकर जान बचाई। पांच गोशालाओं के ध्वस्त होने से 14 मवेशी भी मलबे में दब गए।
भिलंगना ब्लाक के तिनगढ़, तोली और जखन्याली गांव के नौताड़ गांव में जुलाई अंतिम सप्ताह में आपदा ने कहर बरपाया था। आपदा प्रभावितों का अब तक विस्थापन नहीं हो पाया है। भिलंग पट्टी के कई गांवों में भूस्खलन और मलबा आने से तबाही मच गई। रात करीब 11 बजे गांवों के आसपास बहने वाले गदेरों में पानी उफनाने लगा। इस पानी ने मलबे के साथ मकानों की ओर रुख कर दिया। हालांकि ग्रामीण अपने घरों से बाहर आ गए थे, जिस कारण बड़ा हादसा होने से टल गया। 13 गांवों में अधिक नुकसान हुआ है। आसपास के नौ अन्य गांवों के लोग भी डर के साए में सो नहीं सके। आपदा से दहशत में आई 15 हजार की आबादी रातभर जागती रही। सात बजे से ही भारी वर्षा शुरू हो गई थी, देर रात तक पानी बरसने का सिलसिला जारी रहा। लगातार वर्षा के कारण ग्रामीणों ने पहले ही घरों से निकलना शुरू कर दिया था। बादल फटने की घटना और अब तक गांव के हालात ने ग्रामीणों को इस कदर डरा दिया है कि ग्रामीण शासन प्रशासन से उन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करने की मांग करने लगे हैं। यहां जैंती डांग, जैंती चक्र, मगरौं समेत कई गांव में बादल फटने की घटना से काफी नुकसान हुआ है।
(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।)
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