डोबरा-चांठी: 11 साल से ‘लटके-भटके’ प्रोजेक्ट को सीएम त्रिवेंद्र ने 3.5 साल में बनाया ‘रफ्तार’ की मिसाल

डोबरा-चांठी: 11 साल से ‘लटके-भटके’ प्रोजेक्ट को सीएम त्रिवेंद्र ने 3.5 साल में बनाया ‘रफ्तार’ की मिसाल

ये वही डोबरा-चांठी पुल है, जो किसी दौर में खराब इंजीनियरिंग और कथित भ्रष्टाचार के लिए बदनाम रहा। लेकिन 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने इस पुल के निर्माण को रफ्तार और प्राथमिकता दी। लंबे समय से अटके इस पुल के लिए सीएम त्रिवेंद्र ने 88 करोड़ रुपये का एकमुश्त बजट जारी किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि पुल का काम तेजी से पूरा हुआ।

8 नवम्बर 2020 का दिन टिहरी जिले के तीन लाख से ज्यादा लोगों के लिए ऐतिहासिक होगा। उत्तराखंड के स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इन लोगों को एक ऐसी सौगात देने जा रहे हैं, जिसका 14 साल से इंतजार हो रहा है। टिहरी के प्रतापनगर क्षेत्र को सड़क मार्ग से जोड़ने वाला देश का सबसे लंबा झूला पुल डोबरा-चांठी 8 नवंबर को जनता के लिए खोल दिया जाएगा। त्रिवेंद्र सिंह सरकार ने प्रतापनगर के लोगों की समस्या को देखते हुए 11 साल से लटके-भटके डोबरा-चांठी पुल प्रोजेक्ट को अपनी प्राथमिकता में रखा। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम है कि 2017 के बाद इसके निर्माण कार्य में अभूतपूर्व तेजी आई और अब यह बनकर तैयार है। इस साल के राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रमों में इसका लोकार्पण सबसे बड़ा आकर्षण होगा।

विशाल टिहरी झील के ऊपर 440 मीटर लंबे इंजीनियरिंग के इस शाहकार का विहंगम नजारा देखते ही बनता है। यह पुल भारत, दक्षिण कोरिया और चीन के इंजीनियरों के हुनर की देन है। देखने से ही लगता है कि इस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारना आसान काम नहीं था। पुल के टावर की ऊंचाई कुतुबमीनार से महज 34 फीट कम है। इतनी ऊंचाई से इस पुल को बनाने में इंजीनियरों ने अपना समूचा ज्ञान और अनुभव झोंक दिया।

ये वही डोबरा-चांठी पुल है, जो किसी दौर में खराब इंजीनियरिंग और कथित भ्रष्टाचार के लिए बदनाम रहा। लेकिन 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने इस पुल के निर्माण को रफ्तार और प्राथमिकता दी। लंबे समय से अटके इस पुल के लिए सीएम त्रिवेंद्र ने 88 करोड़ रुपये का एकमुश्त बजट जारी किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि पुल का काम तेजी से पूरा हुआ।

इस परियोजना को सबसे पहले 17 अप्रैल 2006 को मंजूरी मिली। टिहरी बांध पुनर्वास निदेशालय को इसका जिम्मा सौंपा गया। पुल निर्माण के लिए करीब 89 करोड़ रुपये मंजूर हुए। फिर आठ दिसंबर 2008 को लागत बढ़ाकर 128.53 करोड़ रुपये कर दी गई। कुल मिलाकर लगभग 3 अरब की लागत से तैयार डोबरा-चांठी अब लोगों के लिए तैयार है। शुरुआत में इस मोटर झूला पुल की लंबाई 532 मीटर प्रस्तावित थी। अब डोबरा-चांठी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है,  जिसमें 440 मीटर सस्पेंशन ब्रिज हैं तथा 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड एवं 25 मीटर स्टील गार्टर चांठी साइड है।

इस पुल का महत्व इस बात से ही लगा लीजिए कि प्रतापनगर से टिहरी पहुंचने में अभी 5 से 6 घंटे का समय लगता है जो अब डेढ़ से 2 घंटे में संभव हो जाएगा। टिहरी झील पर डोबरा चांठी पुल से 3 लाख से ज्यादा आबादी को जिला मुख्यालय तक आने के लिए 100 किमी की दूरी अब तय नहीं करनी पड़ेगी। इस पुल के बनने से स्थानीय लोग इतने खुश हैं कि सोशल मीडिया पर तस्वीरें डालते हुए सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं।

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