पंचूर से लखनऊ तक, अपने लोकप्रिय नेता को बधाई दे रहे लोग, जन्मदिन पर पढ़िए CM योगी की पूरी कहानी

पंचूर से लखनऊ तक, अपने लोकप्रिय नेता को बधाई दे रहे लोग, जन्मदिन पर पढ़िए CM योगी की पूरी कहानी

अनाथ बच्चों के पालन-पोषण से पढ़ाई तक का जिम्मा उठाएगी सरकार, रात्रिकालीन कर्फ्यू का कड़ाई से पालन, ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं… ऐसे न जाने कितने फैसले सीएम योगी ने लिए जिसकी बदौलत आज देश के सबसे बड़े प्रदेश में कोरोना काबू में आ गया है। जन्मदिन पर पढ़िए योगी स्पेशल

पहाड़ के सपूत और देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर आज देहरादून से लेकर लखनऊ तक बधाइयों का सिलसिला जारी है। गोरखपुर में पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन कर योगी के प्रशंसक और अनुयायी अपने ‘महाराज’ के दीर्घायु होने और स्वास्थ्य की कामना कर रहे हैं। उधर, पहाड़ के गांवों में भी रौनक है। हमारे संवाददाता ने खबर दी है कि योगी के गांव में आज के दिन लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। जी हां, देश की राजनीति के फलक पर चमक रहे पौड़ी के लाल की जन्मभूमि उत्तराखंड के लिए आज गौरव का दिन है। आज ही के दिन पौड़ी-गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में अजय सिंह बिष्ट का जन्म हुआ था, जो आगे चलकर योगी आदित्यनाथ के नाम से जाने गए।

जिस उम्र में लोग नौकरी, शादी और युवा जीवन के सपने देखते हैं अजय बिष्ट ने अलग राह चुनी। बताते हैं कि 22 साल की उम्र में वह अचानक अपने परिवार, सगे-संबंधियों से दूर हो गए थे। एक इंटरव्यू में योगी आदित्यनाथ ने बताया था- सच है, जीवन का कुछ तो लक्ष्य होना चाहिए। वह क्षण कठिन होता है लेकिन मैंने निर्णय लिया। मैंने अपने कॉलेज के दिनों में एबीवीपी और दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यपद्धति और राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव को देखा तो मुझे लगा कि इसी दिशा में काम करना चाहिए।

उसी दौरान उनका संपर्क रामजन्मभूमि मुक्त समिति के अध्यक्ष गोरक्ष पीठाधीश्वर पूज्य महंत विद्यानाथ जी महाराज से हुआ। उन्होंने गोरखपुर बुलाया। राम जन्मभूमि आंदोलन तेजी से बढ़ रहा था तो वह गोरखपुर चले गए। वह गोरक्ष पीठाधीश्वर के शिष्य बने। उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली और फिर नाथ योगी के रूप में जाने गए।

योगी ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि संन्यास से पहले उन्होंने गुरुदेव से कई सवाल पूछे थे। संन्यास का मतलब क्या पलायन है? अगर पलायन है तो मैं जीवन में पलायन का रास्ता नहीं अपनाना चाहता। उन्होंने अपने गुरुदेव से कहा था कि वह संन्यासी बनकर सेवा करना चाहते हैं।

आगे चलकर वह एक योगी के रूप में और फिर देश के दिग्गज नेता के रूप में अपनी चमक बिखेरते गए और फिर साल आया 2017, तारीख 19 मार्च, लखनऊ में योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वहां से करीब 600 किमी दूर पौड़ी-गढ़वाल उनके गांव पंचूर में जश्न मना। कोरोना के कारण आज वैसे भीड़भाड़ तो नहीं पर घर-घर में जश्न का माहौल है।

हर तरफ योगी की चर्चा है। ऐसे समय में योगी के संस्कारों की भी बात हो रही है। जी हां, यह उनके बचपन के संस्कार ही थे कि उन्होंने परिवार हित को समाज से पीछे रखा। कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, यूपी में हालात को काबू में करने के लिए योगी दिन-रात जुटे हुए थे। इस बीच उनके पिता की तबीयत खराब होने और एम्स में भर्ती होने की खबर आई।

पिता आखिरी सांसें गिन रहे थे और योगी अपने फर्ज को तवज्जो देते हुए हजारों, लाखों लोगों की जिंदगियों को बचाने के लिए लखनऊ में बैठकें करते रहे। वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी नहीं जा सके और लखनऊ से ही अपने पिता को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने अपनी मां को भावुक संदेश भेजा था।

लोगों ने उस समय एक घटना बताई थी और यह कहा था कि योगी अपने पिता से किए वादे का ही पालन कर रहे थे। दरअसल, योगी जब सीएम बने थे तो लोग उनके पिता और मां को बधाइयां दे रहे थे। कुछ लोगों ने पिता को कंधे पर उठा लिया था। हर कोई खुश था। लोग योगी की बातें कर रहे थे कि कैसे वह 22 साल की उम्र में गोरखपुर चले गए थे। पिता ने तब कहा था कि वह चाहते हैं कि सीएम बनने के बाद वह जनता की खूब सेवा करें। उनकी बहन ने बताया था कि अजय बिष्ट यानी योगी आदित्यनाथ पिताजी से अक्सर कहा कहते थे कि जब वह बड़े हो जाएंगे तो जनता की सेवा करेंगे।

कोरोना से जंग में आगे रहे योगी

कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। ऐसे में सबसे बड़े प्रदेश में हालात कितने भयावह हुए होंगे, समझा जा सकता है। योगी ने एक तरफ संक्रमण फैलने से रोकने के लिए पाबंदियां लगाईं तो दूसरी तरफ मौतों के आंकड़े को कम करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। लगातार बैठकों के बाद उन्होंने प्रभावित जिलों का दौरा करना शुरू कर दिया। सैनिटाइजेशन, कोविड सेंटर, हेल्पलाइन, ऐंबुलेंस, ऑक्सीजन की पर्याप्त सप्लाई जैसे प्रयासों से ही उन्होंने यूपी में कोरोना के आंकड़े को एक हजार के करीब पहुंचाने में सफलता हासिल की।

हालात काबू में होता देख अब उन्होंने प्रभावित लोगों के परिवार को सहायता देने का ऐलान शुरू किया है। कोरोना के चलते जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों के परिजनों को नौकरी और 30-30 लाख रुपये के ऐलान, मृतक पत्रकारों के परिजनों को मदद जैसी कई घोषणाएं यह बताती हैं कि योगी की हर क्षेत्र के लोगों की चिंता है।

शिखर पर योगी

पिछले साल के आखिर में जब हिल मेल ने शिखर पर उत्तराखंडी टॉप-50 रैंकिंग जारी की थी तो पहले पायदान पर और कोई नहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही थे। आज के समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बाद भाजपा के दूसरी पीढ़ी के नेताओं में लोकप्रियता के पैमाने पर योगी आदित्यनाथ सबसे आगे नजर आते हैं। भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए को दूसरी पारी के लिए मिले ऐतिहासिक जनादेश में पहाड़ के बेटे और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी तरह से योगदान दिया था।

हाल में हुए बंगाल समेत लगभग सभी राज्यों के विधानसभा चुनावों में उन्हें भाजपा के लिए प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई। वह सोशल मीडिया पर काफी पॉपुलर हैं। लोग आज ट्विटर पर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दे रहे हैं। उनके पुराने वीडियो शेयर किए जा रहे हैं।

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