कांग्रेस पर कई जगह सीटों को ‘बेचने’ तक के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस अब 11 उम्मीदवारों की सूची में परिवर्तन करने जा रही है। यही वजह है कि पार्टी ने दूसरी लिस्ट के प्रत्याशियों को पार्टी सिंबल नहीं बांटे। बुधवार को पार्टी की संशोधित लिस्ट आ सकती है।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए जहां एक तरफ नामांकन पत्र भरने की सिलसिला तेज हो रहा है, वहीं कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए कई सीटों पर घोषित प्रत्याशियों का विरोध बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है। सबसे असहज स्थिति कांग्रेस के लिए पैदा हो गई है। ऐसे में पार्टी की चुनाव कैंपेन कमेटी के मुखिया हरीश रावत की सीट बदलने पर विचार किया जा रहा है। उन्हें पार्टी द्वारा जारी 11 उम्मीदवारों की लिस्ट में रामनगर सीट से प्रत्याशी बनाया गया है। लेकिन इस सीट पर उनका भारी विरोध हो रहा है। यहां तक कि कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व विधायक रणजीत रावत खुलकर इस सीट पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं। यहां कई कांग्रेस नेता हरीश रावत के विरोध में निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। पार्टी पर कई जगह सीटों को ‘बेचने’ तक के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस अब 11 उम्मीदवारों की सूची में परिवर्तन करने जा रही है। यही वजह है कि पार्टी ने दूसरी लिस्ट के प्रत्याशियों को पार्टी सिंबल नहीं बांटे। बुधवार को पार्टी की संशोधित लिस्ट आ सकती है। इस बीच, कांग्रेस आलाकमान ने रणजीत रावत को दिल्ली बुला लिया है। सूत्र बताते हैं कि मोहन राकेश की रिपोर्ट के बाद रणजीत रावत को दिल्ली बुलाया गया है।
रामनगर सीट से रणजीत रावत निर्दलीय चुनाव लड़ने को तैयार हैं। सूत्रों के अनुसार, पार्टी की ओर से उन्हें मनाने का अंतिम प्रयास करने के बाद भी स्थिति नहीं बदली तो हरीश रावत को हरिद्वार ग्रामीण भेजा जा सकता है। यहां वह अपने बच्चों में से किसी एक को उतारना चाहते थे। अगर हरीश रावत कुमाऊं रीजन से ही चुनाव लड़ने पर अड़ गए तो पार्टी उन्हें लालकुआं से चुनाव लड़ाने के लिए इस सीट पर प्रत्याशी को बदल सकती है। दूसरी सूची में पार्टी ने लालकुआं सीट से संध्या डालाकोटी को टिकट दिया है।
दरअसल, शुरुआत से यह माना जा रहा था कि हरीश रावत की जिम्मेदारी पार्टी को चुनाव लड़वाकर सरकार बनाने की है। लेकिन अंतिम दौर में कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत को भी चुनाव मैदान में उतारने का इरादा रख दिया। दलील यह दी गई कि उनके चुनाव लड़ने से कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश जाएगा और करीबी मुकाबला मानी जा रही 2022 की सियासी बिसात में कांग्रेस को मजबूती मिलेगी। इससे पहले, तक हरीश रावत अपने परिवार से बेटे या बेटी में से किसी एक को चुनाव लड़ाना चाह रहे थे। ऐसे कयास थे कि वह हरिद्वार की किसी सीट से किसी एक का सियासी डेब्यू करवा देंगे। लेकिन मैदानी इलाकों में आम आदमी पार्टी अच्छी पैठ बनाती दिख रही है। परंपरागत वोट में सेंध लगने का सीधा मतलब हुआ कि यहां की सीट सुरक्षित नहीं है। ऐसे में हरीश रावत को अपने बेटे या बेटी का डेब्यू सक्सेसफुल बनाने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती। यही स्थिति उनके खुद के चुनाव लड़ने पर भी बनती। हरीश रावत को भी पहले से आभास हो गया था कि आगे चलकर उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहा जा सकता है, इसलिए उन्होंने रामनगर में अपनी सक्रियता बढ़ाई। स्थानीय नेताओं को यह समझ आ गया था कि हरीश रावत रामनगर जैसी सुरक्षित सीट पर नजर लगाए बैठे हैं। तमाम विरोध के बावजूद रामनगर में रणजीत रावत की जगह हरीश रावत को प्रत्याशी बना दिया गया। कभी हरीश रावत के ‘हनुमान’ कहे जाने वाले रणजीत अब उनके मुखर विरोधी हैं। ऐसे में उनके समर्थकों ने खुलकर हरीश रावत के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी। हरीश रावत के लिए यह स्थिति तब और भी असहज हो गई जब उनका एक ऑडियो मीडिया में वायरल हो गया। इसमें एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने हरीश रावत से दो टूक कह दिया अगर वह प्रचार करने आएंगे तो उनका स्वागत है, बाकी यहां प्रत्याशी तो रणजीत रावत है। बताते हैं कि कोरोना काल में यहां रणजीत रावत ने लोगों के बीच में काफी काम किया। यही वजह है कि यहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है।
सूत्रों के अनुसार, रणजीत को नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का समर्थन हासिल है। यही नहीं दिल्ली में राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी इस पर कुछ शीर्ष नेताओं ने चर्चा की है। रामनगर की कांग्रेस इकाई भी इस मामले पर खुलकर रणजीत रावत का समर्थन कर रही है। रामनगर नगर पालिका अध्यक्ष मो. अकरम पूर्व विधायक रणजीत रावत के साथ खड़े हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री किशोरी लाल ने भी रामनगर से रणजीत रावत को टिकट नहीं देने पर पर खुद नामांकन करने का एलान किया है।
उधर, यह स्थिति महज रामनगर सीट पर नहीं है, कई जगह कांग्रेस के घोषित प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है। लैंसडाउन में हरक सिंह रावत की पुत्रवधु अनुकृति गुसाईं को प्रत्याशी बनाए जाने का खुलकर विरोध हो रहा है। पार्टी के इस कदम से प्रमुख दावेदार में शुमार रहे रघुबीर सिंह बिष्ट और ज्योति रौतेला नाराज बताए जाते हैं। स्थानीय स्तर पर भी कांग्रेसी अनुकृति की दावेदारी का विरोध कर रहे हैं। देहरादून में भी मंगलवार को कांग्रेस दफ्तर में काफी हंगामा हुआ। बताया जाता है कि इस सीट पर स्क्रीनिंग कमेटी को गए नामों को दरकिनार कर अनुकृति को टिकट दिया गया। ऋषिकेश सीट पर भी टिकट बदलने की मांग तेज हो रही है। यहां से शूरवीर सिंह सजवाण मुख्य दावेदार थे लेकिन उनकी जगह जयेंद्र चंद्र रमोला को प्रत्याशी बना दिया गया।
#Election2022 | उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए हुए टिकट बंटवारे पर घमासान मचा हुआ है। चर्चा का केंद्र बनी लैंसडाउन सीट पर अनुकृति गुसाईं को टिकट देने का कुछ ऐसा विरोध कर रहे कार्यकर्ता। @INCUttarakhand pic.twitter.com/X34fF77MTb
— Hill Mail (@hillmailtv) January 25, 2022
गंगोलीहाट से नारायण राम आर्य अपना टिकट कटने से बेहद आहत हैं। घनसाली से दावेदार रहे पूर्व विधायक भीमलाल आर्य का कहना है कि कांग्रेस ने धोखा किया है, इसलिए वह निर्दलीय मैदान में उतरेंगे। यमुनोत्री सीट से टिकट न मिलने से नाराज संजय डोभाल ने चिन्यालीसौड़ में समर्थकों के साथ बैठक कर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। यमुनोत्री विधानसभा सीट से कांग्रेस ने जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण को टिकट दिया है। संजय डोभाल का आरोप है कि पार्टी ने पांच करोड़ रुपये में यह टिकट बेचा है। धनोल्टी में डॉ वीरेंद्र सिंह रावत के अलावा देहरादून, सहसपुर, राजपुर, हरिद्वार सीट लगभग अधिकतर सीटों पर नेता नाराज बताए जाते हैं।
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