रैणी गांव के पास ऋषिगंगा पर 90 मीटर लंबा बैली ब्रिज था, जो ऋषिगंगा में आई आपदा में ध्वस्त हो गया। उफान में पुल के साथ ही दोनों तरफ एबडमेंट और आसपास की जमीन भी बह गई। इसके बाद नई जगह पर ब्रिज बनाने पर सहमति बनी।
चमोली में आई विनाशकारी आपदा में जोशीमठ-मलारी रोड पर रैणी गांव के पास बैली ब्रिज के बह जाने से संपर्क कट गया था। बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन इस संपर्क को फिर से बहाल करने के अंतिम चरण में है। यहां पर बीआरओ की ओर से एक नया बैली ब्रिज बनाया जा रहा है। इसके 5 मार्च को पूरा हो जाने की उम्मीद है। ब्रिज के न होने के चलते जिन इलाकों का सड़क संपर्क कट गया है, उन्हें एक बार फिर सड़क संपर्क से जोड़ दिया जाएगा।
नीति घाटी में रैणी गांव के निकट ऋषिगंगा नदी पर सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चीन सीमा को जोड़ने वाला बैली ब्रिज अब नई जगह पर बनाया जा रहा है। आपदा से पहले जिस स्थान पर यह ब्रिज बना था, वहां काफी हिस्सा उफान में बह जाने से नदी की चौड़ाई अधिक हो जाने के कारण ऐसा करना पड़ रहा है। ब्रिज टूटने से सीमावर्ती दर्जनभर गांवों संपर्क कटा रहा। बीआरओ चौबीसों घंटे काम करके इस ब्रेज को तैयार करने में जुटा है।
रैणी गांव के पास ऋषिगंगा पर 90 मीटर लंबा बैली ब्रिज था, जो ऋषिगंगा में आई आपदा में ध्वस्त हो गया। उफान में पुल के साथ ही दोनों तरफ एबडमेंट और आसपास की जमीन भी बह गई। इससे वहां पर नदी की चौड़ाई दो सौ मीटर हो गई। ऐसे में वहां बैली ब्रिज बनाना संभव नहीं था। तमाम विकल्पों पर विचार करने के बाद नई जगह पर बैली ब्रिज बनाने पर सहमति बनी।
बीआरओ चीफ इंजीनियर एएस राठौड़ के मुताबिक, यह पुल मौजूदा जगह से कुछ दूरी पर है। वहां इसे मुख्य हाईवे से जोड़ा जाएगा। इसके लिए ऋषिगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट के बैराज से करीब ढाई सौ मीटर लंबा नया मार्ग बनाया जा रहा है।
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