अनिल बलूनी ने सोशल मीडिया पर हरीश रावत के साथ चली इस सियासी भिड़ंत को फिलहाल एक दिन के लिए टाल दिया। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, ‘आदरणीय रावत जी, राजनीतिक मतभेदों के बाद भी आपके प्रति आदर भाव है। आप वरिष्ठ हैं, अनुभवी हैं। यह लोकतंत्र का धर्म युद्ध है। रात हो चुकी है। सूर्योदय की प्रतीक्षा करते हैं। कल जरूर प्रत्युत्तर दूंगा।’
उत्तराखंड में सियासी रणनीति के दो दिग्गज इस समय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आमने-सामने हैं। हाल ही में कांग्रेस द्वारा चुनाव अभियान समिति के प्रमुख बनाए गए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जहां एक तरफ मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों का जवाब देते हुए भाजपा को घेरते नजर आए वहीं राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने पुराने पन्नों को फिर से पलटते हुए हरीश रावत को मुस्लिम तुष्टिकरण पर लपेट लिया। जवाब में हरीश रावत ने सीधे बलूनी को निशाने पर लिया लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी ने अगले दिन के इस सियासी घमासान टाल दिया।
दरअसल, हरीश रावत ने जुमे की नमाज की छुट्टी घोषित करने के आरोपों पर सफाई देते हुए एक लंबा पोस्ट लिखा। फेसबुक पर लिखे इस पोस्ट में वह कहते हैं, ‘#भाजपा का सफेद झूठ। मैंने कभी भी जुम्मे की नमाज़ के लिए छुट्टी का ऐलान नहीं किया और न किसी ने मुझसे जुम्मे की नमाज़ के लिए छुट्टी मांगी। हां, #हरीश_रावत ने सूर्य देव के आराधना के पर्व #छठ पर छुट्टी दी। हमारी बहनें #करवा_चौथ का व्रत रखती हैं, मैंने उस पर छुट्टी दी। मैंने दो महापुरुषों की जयंती पर छुट्टी दी, यहां तक की यदि भाजपाई झूठ न चल पड़ा होता है तो #परशुराम_जयंती पर भी मैं छुट्टी करने के विषय में अपनी सहयोगियों से विमर्श कर रहा था। भाजपा के लोगों, #काठ_की_हांडी एक ही बार चढ़ती है, 2017 में तुम्हारा यह झूठ चल गया। मगर अब के तुम समय पर सामने आ गये हो तो मेरे झूठ का प्रतिवाद भी लोगों तक पहुंचेगा और लोग पढ़े-लिखे हैं, स्वयं रिकॉर्ड तलाश कर लेंगे, क्या मेरी सरकार ने #जुम्मे की नमाज़ का जुम्मा मतलब शुक्रवार की नमाज़ के लिए छुट्टी का ऐलान किया है?’
हरीश रावत के इस दावे पर जवाब देते हुए अनिल बलूनी ने लिखा, ‘आदरणीय रावत जी,आज आपने फिर बड़ी सफाई के साथ कांग्रेस की डूबती नैया बचाने के लिए हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेला है। इस कार्ड को आप अपनी ‘राजनीतिक संजीवनी’ मानते आए हैं। स्वाभाविक है सत्ता पाने के लिए कांग्रेस हर बार इस धार्मिक कार्ड का उपयोग करती आई है। इसके अनगिनत उदाहरण हैं। जनता जनार्दन सब कुछ जानती है। जनता जानती है कि भाजपा ‘सबका साथ , सबका विकास’ में विश्वास करती है , जबकि कांग्रेस विशुद्ध तुष्टिकरण की राजनीती करती रही है और इसके ज्वलंत उदाहरण आप हैं। जनता को याद है जब आपने मुख्यमंत्री रहते हुए जुमे की नमाज के लिए छुट्टी का आदेश निकाला था। जनता को याद है जब आप बार-बार विशेष संदेश देने के लिए निरन्तर मुस्लिम धार्मिक स्थानो की यात्रा करते रहते थे, मदरसों का गुणगान करते थे।
हम सभी को देश का नागरिक मानते हैं, सबके लिए बराबर मनोभाव और सम्मान रखते हैं। आज देश मे एक ऐसी सरकार हैं जो बिना भेद-भाव और तुष्टीकरण के के विकास के लिए संकल्पबद्ध है। आपकी तुष्टिकरण की चालों और नीतियों की जनता को याद दिलाने की जरूरत नहीं है किंतु आप जैसे वरिष्ठ नेता से अपेक्षा रहती है कि उत्तराखंड के विकास के मुद्दे पर आप सार्थक बहस करते, उसका चौतरफा स्वागत होता।’
बलूनी के जवाब के बाद हरीश रावत कहां मानने वाले थे, उन्होंने फिर पोस्ट लिखा, ‘#बलूनी जी आपकी पोस्ट पढ़ने के बाद मैं आपसे कहना चाहता हूं कि ये आपकी पार्टी की सोशल मीडिया टीम के लोग थे, जिन्होंने एक रोजा इफ्तार पार्टी में मेरी पहनी हुई टोपी को लेकर मेरी फोटो वायरल कर धार्मिक प्रदूषण फैलाने की कुचेष्टा की। 2017 के चुनाव में आपकी पार्टी के लोगों ने घर-घर मेरी टोपी पहने हुई फोटो को लोगों को दिखाकर उनकी धार्मिक भावनाओं को उकेरने का कुप्रयास किया। इस बार भी उस कहानी को दोहराना चाहते थे। मेरी नजर में हर वो पहनावा, हर वो टोपी और हर वो पगड़ी हमारी राष्ट्रीय पहचान है जिसको हमारे लोग धारण करते हैं, उसके साथ विद्वेष नहीं जोड़ा जाना चाहिए और आपके जिन नेतागणों की फोटोज टोपी पहने हुये हैं, उनके उस टोपी को पहनने पर मुझे खुशी है कि उन्होंने भारत की समरचता का, सर्वधर्म समभाव का, मिली-जुली संस्कृति का संदेश है उसको मजबूत करने का काम किया है, मेरी नजर में संदेश का काम किया है। आपको अपने घर में जरा तथ्यों को ढूंढ लेना चाहिए बजाय मुझ पर दोषारोपण करने के। दूसरा आपने मुझसे कहा कि मैं, दरगाह-२, मस्जिद-मस्जिद के चक्कर लगाता हूं। बलूनी जी, हरिद्वार का कोई अखाड़ा, कोई आश्रम, कोई मंदिर ऐसा नहीं है जहां हरीश रावत ने माथा न टेका हो, आप इस तथ्य की भरपाई कर सकते हैं। जितनी बार मैंने केदारनाथ की यात्रा की है और जो कुछ मेरी सरकार ने अभूतपूर्व काम केदारनाथ नगरी के पुनर्निर्माण और वहां के पुनर्वास का किया है, वो सारी दुनिया के सामने है। मैं अपने धर्म का पालन करता हूं, निष्ठा से करता हूं, मैं धार्मिक व्यक्ति हूं, मगर मेरा धर्म सहिष्णुता की मुझे शिक्षा देता है, मैं दूसरे धर्मों का भी आदर करता हूं और उनका भी समान भाव से सम्मान करता हूं। आपने मुझ पर आरोप जड़ दिया कि मैंने जुम्मे की छुट्टी की है, जुम्मे का मतलब शुक्रवार की छुट्टी की है ताकि मुसलमान भाई नमाज़ अदा कर सकें। आप उस नोटिफिकेशन को तो मुझे दिखाइए, जिस नोटिफिकेशन में ये छुट्टी की हो, क्योंकि सरकार की छुट्टियां कोई मौखिक नहीं होती हैं, उसका नोटिफिकेशन होता है और कहां छुट्टी हुई है वो जरा सा मुझे बता दीजिये और ये भी आपकी पार्टी का जो मेरे खिलाफ दुष्प्रचार था, 2017 में उसका हिस्सा था। होना तो यह चाहिए था उस दुष्प्रचार के लिए आप क्षमा मांगते बजाय उसके आपने मुझ पर तौहमते जड़ दी। क्योंकि चुनाव में आप इन मुद्दों को हवा देना चाहते थे, मैंने इन मुद्दों की हवा निकाल दी है, अब आपकी पार्टी इन मुद्दों का चुनाव में उपयोग नहीं कर सकती है क्योंकि सारे उत्तराखंड ने हकीकत देख ली है और उन्होंने आपने आपकी हकीकत पहचान भी ली है। आपका जो नारा है, अच्छा हो उस नारे के अनुसार ही आचरण दिखाई दे, तो फिर लोगों को शिकायत कहां रह जाएगी! फिर लड़ाई केवल राजनैतिक हो जाएगी। आप राजनैतिक लड़ाई को धार्मिक विद्वेष के आधार पर लड़ना चाहते हैं, हम राजनैतिक लड़ाई को विकास के प्लेटफार्म पर लड़ना चाहते हैं और मुझे आपकी ये बात बहुत पसंद आई और एक होनहार नौजवान के तौर पर आपके इस कथन का मैं स्वागत करता हूं कि 2022 का चुनाव विकास के प्लेटफार्म पर होना चाहिये। मुझे यकीन है कि आपकी पार्टी, आपके इस सार्वजनिक घोषणा पर टिकी रहेगी। “जय हिंद”।’
हालांकि बलूनी ने सोशल मीडिया पर चली इस सियासी भिड़ंत को एक दिन टाल दिया। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, ‘आदरणीय रावत जी, राजनीतिक मतभेदों के बाद भी आपके प्रति आदर भाव है। आप वरिष्ठ हैं, अनुभवी हैं। यह लोकतंत्र का धर्म युद्ध है। रात हो चुकी है। सूर्योदय की प्रतीक्षा करते हैं। कल जरूर प्रत्युत्तर दूंगा।’
ऐसे हुई सोशल मीडिया पर ‘दंगल’ की शुरुआत….
दरअसल, इन दिनों फेसबुक के जरिये अपने प्रतिद्वंद्वियों पर हमले बोल रहे हरीश रावत ने एक पोस्ट में लिखा, ‘#भाजपाई_दोस्तो, नीचे के कुछ चित्र देखिये। दरगाह में गोल टोपी पहनने से हरीश रावत तो मौलाना हरीश रावत हो गये और घर-घर में आपने वो टोपी वाली मेरी तस्वीर पहुंचा दी। अब जरा मुझे बताइए क्या Rajnath Singh जी भी मौलाना राजनाथ सिंह हो गये हैं? #अटल_बिहारी_वाजपेई जी की एक पुरानी फोटो है, क्या इनको भी आप मौलाना अटल बिहारी वाजपेई कहना पसंद करेंगे? #मोदी जी की भी एक फोटो है, आपके हिंदुत्व के आईकॉन की, क्या इनको भी आप उसी संबोधन से नवाजेंगे जो संबोधन आपने केवल-केवल मेरे लिए रिजर्व करके रखा है। हिम्मत है तो मेरे साथ इनको भी उसी नाम से पुकारिये।’
पीएम मोदी की फोटो पर चूक गए रावत
हरीश रावत ने अपनी पोस्ट में दावा किया कि भाजपा के ‘हिंदुत्व के सितारे’ नरेंद्र मोदी की भी तस्वीर है. उन्होंने पूछा कि पार्टी में उन्हें भी इस तरह संबोधित करने की हिम्मत है। हालांकि उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की जो फोटो शेयर की, उसे सोशल मीडिया यूजर्स ने फेक बताया। इसके बाद हरीश रावत सोशल मीडिया के यूजर्स के निशाने पर आ गए। यूजर्स ने फेक फोटो शेयर करने पर हरीश रावत को ट्रोल करना शुरु कर दिया। जिसके बाद हरीश रावत ने अब ये फोटो अपनी पोस्ट से डिलीट कर दी।
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