अल्मोड़ा के रानीखेत के बिल्लेख में जीएस ऑर्गेनिक एप्पल फॉर्म में गोपाल उप्रेती ने पूर्ण रूप से जैविक धनिये की फसल बिना पॉलीहाउस के उगाई, जिसमें पौधे की अधिकतम लंबाई 7 फुट 1 इंच रिकॉर्ड की गई। गोपाल उप्रेती के फॉर्म में 7 फुट तक की लंबाई के बहुत सारे पौधे रिकॉर्ड किए गए।
आप जानते हैं, विश्व में सबसे ऊंचे धनिये के पौधे की लंबाई क्या रही होगी? जवाब है 1.8 मीटर। लेकिन अब यह पौधा दुनिया का सबसे ऊंचा धनिये का पौधा नहीं रहा। अब यह रिकॉर्ड उत्तराखंड के रानीखेत में उगाए गए धनिये के नाम आ गया है। यह कारनामा अल्मोड़ा के रानीखेत के बिल्लेख के जैविक किसान गोपाल उप्रेती ने अंजाम दिया है। उन्होंने जैविक तरीके से 2.16 मीटर लंबा धनिये का पौधा उगागर अपना नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज करा लिया है।
अल्मोड़ा के रानीखेत के बिल्लेख में जीएस ऑर्गेनिक एप्पल फॉर्म में गोपाल उप्रेती ने पूर्ण रूप से जैविक धनिये की फसल बिना पॉलीहाउस के उगाई, जिसमें पौधे की अधिकतम लंबाई 7 फुट 1 इंच रिकॉर्ड की गई। गोपाल उप्रेती के फॉर्म में 7 फुट तक की लंबाई के बहुत सारे पौधे रिकॉर्ड किए गए।
अल्मोड़ा के मुख्य उद्यान अधिकारी टी एन पांडे तथा उत्तराखंड ऑर्गेनिक बोर्ड के रानीखेत मजखाली इंचार्ज डॉक्टर देवेंद्र सिंह नेगी तथा उद्यान सचल दल केंद्र बिल्लेख प्रभारी राम सिंह नेगी द्वारा पौधों की लंबाई रिकॉर्ड की गई। गोपाल उप्रेती ने बताया कि उन्होंने लगभग 10 नाली क्षेत्र में धनिया की फसल उगाई थी। सभी पौधों की लंबाई साडे 5 फुट से ऊपर की। धनिया के पौधे की औसत गोलाई 5 से 10 फुट तक भी देखी गई। पौधे के तने की मोटाई आधे इंच से लेकर एक इंच तक भी देखी गई।
उप्रेती ने बताया कि उन्होंने यह फसल पूर्ण रूप से परंपरागत तरीके से उगाई गई है। पौधों की अधिक लंबाई की वजह से धनिया के पौधे में सुगंध तथा अन्य चीजों में कोई फर्क नहीं पड़ा है। गोपाल उप्रेती ने बताया कि हमारे बगीचे में सेब, आडू़, खुमानी, पोलम के साथ-साथ सभी तरह के सब्जियों का उत्पादन भी पूर्ण जैविक तरीके से किया जाता है। गोपाल उप्रेती ने 21 अप्रैल 2020 को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में विश्व के सर्वाधिक ऊंचे धनिये के पौधे को रिकॉर्ड करने के लिए आवेदन एप्लिकेशन reference no 200423121023tcp द्वारा किया था। उन्होंने बताया कि उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होना, समस्त भारत के किसानों का सम्मान है। खासतौर पर जैविक कृषि के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि है। उत्तराखंड में जैविक कृषि की अपार संभावनाएं हैं, धनिये की फसल ने इस बात को सिद्ध कर दिया है। गोपाल उप्रेती ने बताया कि जैविक कृषि के लिए उनको पत्नी वीना उप्रेती ने प्रेरित किया।
गोपाल उप्रेती ने कहा कि मैं अपनी इस उपलब्धि को संपूर्ण उत्तराखंड और देश के जैविक खेती करने वाले किसानों को समर्पित करता हूं। मेरा नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज होने से देश के किसानों में जागरूकता बढ़ेगी और प्रतिस्पर्धा की भावनाएं पैदा होंगी, जो देश की कृषि के लिए शुभ संकेत होंगे।
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