चमोली आपदाः सीएम त्रिवेंद्र राहत कार्यों की निगरानी को फिर पहुंचे जोशीमठ, 20 करोड़ रुपये जारी

चमोली आपदाः सीएम त्रिवेंद्र राहत कार्यों की निगरानी को फिर पहुंचे जोशीमठ, 20 करोड़ रुपये जारी

सीएम रावत ने सचिवालय में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों, आपदा प्रबंधन, पुलिस, सेना एवं आईटीबीपी के अधिकारियों के साथ बैठक कर जोशीमठ के रेणी क्षेत्र में आई आपदा में राहत एवं बचाव कार्यों की अपडेट ली।

चमोली में ग्लेशियर से टूटने के बाद आई आपदा के बाद चलाए जा रहे राहत एवं बचाव कार्यों की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एक बार फिर जोशीमठ पहुंचे हैं।

तपोवन के लिए रवाना होने से पहले सीएम रावत ने ट्वीट कर बताया कि देहरादून से प्रभावित क्षेत्रों में जा रहा हूं और रात्रि प्रवास करूँगा। राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं और सरकार इसमें कोई भी कसर नहीं छोड़ रही है। केंद्र की हमें पूरे मदद मिल रही है। मेरा आप सभी से अनुरोध है कि इस हादसे को विकास के खिलाफ प्रोपेगैंडा का कारण ना बनाएं।

इससे पहले सीएम रावत ने सचिवालय में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों, आपदा प्रबंधन, पुलिस, सेना एवं आईटीबीपी के अधिकारियों के साथ बैठक कर जोशीमठ के रेणी क्षेत्र में आई आपदा में राहत एवं बचाव कार्यों की अपडेट ली। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि क्षेत्र में खाद्य सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो। राहत एवं बचाव कार्यों में लगे कार्मिकों को भी सभी आवश्यक सामग्री समय पर उपलब्ध हो। राहत एवं बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ मद से 20 करोड़ रूपये की धनराशि जारी की गई है।

 

 

संवेदनशील स्थानों का समय-समय पर सर्वे के निर्देश

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों का समय-समय पर सर्वे कराया जाए। एसडीआरएफ की टीमें भी संवेदनशील स्थानों के निकट तैनात की जाएं। आईआरएस के निदेशक डा. प्रकाश चौहान ने जानकारी दी कि ताजी बर्फ के स्खलन से आपदा की संभावना जताई जा रही है। इसकी वजह से नदी के जल स्तर में तेजी से वृद्धि हुई। अब स्थिति सामान्य है।

 

बैठक में जानकारी दी गई प्रभावित क्षेत्र के आस-पास बिजली एवं पानी की आपूर्ति सुचारू हैं। तत्काल राहत के लिए एक हजार राशन के पैकेट एवं अन्य सामग्री भेजी गई है। रेस्क्यू का कार्य जारी है। मुख्य सचिवओमप्रकाश ने बताया कि सरकार की मंशा है कि लापता लोगों के परिजनों को भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा सके। इसकी प्रक्रिया तय करने के लिए जल्द ही एक एसओपी जारी की जाएगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सैन्य सलाहकार ले.जनरल (रिटा.) जेएस नेगी, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आनंद वर्द्धन, सचिव अमित नेगी, नितेश झा, शैलेष बगोली, दिलीप जावलकर, एसए मुरूगेशन, सुशील कुमार, दीपेंद्र चौधरी, कर्नल एस. शंकर, आईटीबीपी के कमाडेंट शेंथिल कुमार, आईजी संजय गुंज्याल, डीआईजी श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल आदि उपस्थित थे।

केंद्रीय मंत्रियों ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया

उधर, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, सांसद तीरथ सिंह रावत, उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री और चमोली जिले के प्रभारी मंत्री डा. धन सिंह रावत ने भी तपोवन आदि क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और स्थानीय लोगों से बात की। विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट, विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी ने भी तपोवन एवं रैणी मे आपदा प्रभावित क्षेत्र का जायजा लिया।

सर्च एवं रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से जारी

चमोली जिले में रविवार को आई आपदा के दूसरे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन पूरे दिनभर जारी रहा। आपदा मे सड़क पुल बह जाने के कारण नीति वैली के जिन 13 गांवों से संपर्क टूट गया है, उन गांवों में जिला प्रशासन चमोली द्वारा हेलीकॉप्टर के माध्यम से राशन, मेडिकल एवं रोजमर्रा की चीजें पहुंचाई जा रही है। जिलाधिकारी चमोली ने बताया कि जब तक यहां पर वैकल्पिक व्यवस्था या पुल तैयार नहीं हो जाता तब तक हैली से यहां पर रसद पहुंचाने का काम जारी रहेगा और जल्द से जल्द क्षेत्र के लोगो की परेशानियां दूर करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। गांवों मे फंसे लोगों को राशन किट के साथ 5 किलो चावल, 5 किग्रा आटा, चीनी, दाल, तेल, नमक, मसाले, चायपत्ती, साबुन, मिल्क पाउडर, मोमबत्ती, माचिस आदि राहत सामग्री भेजी जा रही हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र के साथ ही अलकनंदा नदी तटों पर जिला प्रशासन की टीम लापता लोगों की खोजबीन में जुटी हैं।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 70, एनडीआरएफ के 129, आईटीबीपी के 425 जवान एसएसबी की 1 टीम, आर्मी के 124 जवान, आर्मी की 02 मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग उत्तराखण्ड की 02 मेडिकल टीमें लगी हुई हैं। घटना के बाद 18 शव मिल गए हैं जबकि 202 लोग लापता हैं। एनटीपीसी से 12 और ऋषिगंगा प्रोजेक्ट से 15 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है।

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