उत्तराखंड सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बताया है कि बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, आईसीयू आदि आवश्यक संसाधन जुटा लिए गए हैं। मुख्य सचिव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रवासियों के आने, उद्योगों के शुरू होने और अन्य व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी साझा की है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि सामाजिक दूरी का पालन करें और जरूरी होने पर ही बाहर निकलें।
उत्तराखंड में कोरोना के मामले 300 पार पहुंच गए हैं। ऐसे में सरकार ने लोगों को आश्वस्त करने की कोशिश की है कि घबराने की कोई बात नहीं है, इससे निपटने के लिए तैयारी पूरी है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह रविवार शाम में कहा कि वर्तमान में बढ़ते मामलों को देखते हुए घबराने की आवश्यकता नहीं है। पूरे देश के साथ ही उत्तराखंड में भी केस बढ़ रहे हैं। शासन-प्रशासन इसके लिए पूरी तरह से तैयार है।
उन्होंने कहा कि हमारे यहां बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, आईसीयू आदि आवश्यक संसाधन पर्याप्त मात्रा में हैं। हमारे चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। हमारे यहां मृत्यु दर कम है। बस कुछ सावधानियां रखने की आवश्यकता है, जरूरी होने पर ही घर से निकलें, निर्धारित व्यक्तिगत दूरी बनाकर रखें, मास्क का अनिवार्यता से प्रयोग करें, कार्यस्थल पर सेनेटाइजेशन की व्यवस्था हो और क्वारंटीन के नियमों का अक्षरक्षः पालन करें।
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मुख्य सचिव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि पिछले कुछ दिनों में कोरोना की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। उत्तराखण्ड के प्रत्येक जिले में एक्टिव केस हैं। उत्तराखंड में सैंपल के पॉजिटिव पाए जाने की दर 1.75 प्रतिशत है। हमारे यहां संक्रमित मामलों में से मृत्यु की दर भी अन्य बहुत से राज्यों की तुलना में कम है। अभी इन कुछ दिनों में पॉजिटिव केस सामने आए हैं। भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार इनका अगले 10 दिनों तक परीक्षण किया जाएगा। अगर इस दौरान इनमें कोई सिम्पटम नहीं पाए जाते हैं और 7वें दिन से 10 दिन के तक बुखार नहीं है तो इन्हें डिस्चार्ज किया जा सकता है।
मुख्य सचिव ने बताया कि 2 लाख 47 हजार से अधिक लोगों ने उत्तराखंड वापस आने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है, इनमें से 1 लाख 54 हजार से अधिक लोगों को विभिन्न माध्यमों से वापस लाया जा चुका है। अगले कुछ दिनों में गुजरात, तेलंगाना, पुणे, दिल्ली, जयपुर से ट्रेन से प्रवासी लोगों को लाने की योजना तैयार की जा रही है। त्रिवेन्द्रम से एक स्पेशल ट्रेन हरिद्वार आएगी। चेन्नई से भी ट्रेन की व्यवस्था की जा रही है। जयपुर से काठगोदाम भी प्रस्तावित है।
उत्तराखंड के 200 व्यक्ति 24 देशों से भारत वापस आ चुके है। इनमें से तीन क्वारंटीन अवधि को पूरा कर चुके हैं जबकि शेष अभी क्वारंटीन में हैं। मुख्य सचिव ने बताया कि घरेलू उड़ानें भी शुरू होने जा रही हैं। दिल्ली-देहरादून, मुम्बई-देहरादून और पंतनगर-देहरादून के लिए उडानें संचालित होंगी। इसके लिए एसओपी जारी की जा चुकी है। पूरी सावधानी से सारी व्यवस्थाएं रखी जाएंगी। जो भी इन उड़ानों से आएंगे, उन्हें क्वारंटीन रखा जाएगा। होटल में क्वारंटीन का भुगतान स्वयं करना होगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि बहुत सारे उद्योग व व्यवसाय चालू हो गए हैं। इनके संचालन के लिए कई बार तकनीकी विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। ऐसे लोगों को अल्प समय के लिए अनुमति दी जाएगी। वे एक निर्धारित स्थान पर रुकेंगे। वहां से कार्यस्थल पर जाएंगे और फिर वापस चले जाएंगे। इसमें उनकी जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाएगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि बाहर से आए लोगों को क्वारंटीन का पालन करना है। इसका उल्लंघन करने पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई की भी गई है। उन्होंने वापस लौटे प्रवासी लोगों से अपील की कि धैर्य और संयम बनाए रखें। क्वारंटीन का उल्लंघन न करें, स्वयं भी सुरक्षित रहें और अपने परिवार और समाज को भी सुरक्षित रखें।
मुख्य सचिव ने कहा कि दूसरे राज्यों से उत्तराखण्ड के प्रवासी लोगों को वापस लाने में सभी आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है। निर्धारित नियमों के अनुसार आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
आने वाले व्यक्तियों की सूचना, जिला प्रशासन और ग्राम स्तर तक तैनात कार्मिकों को भी दी जा रही है। इसके अलावा वापस आए लोगों से फोन पर भी कंट्रोल रूम द्वारा निरंतर सम्पर्क रखा जाता है। प्रत्येक जिले में रिस्पांस टीमों का गठन किया गया है जो कि लगातार फील्ड में जाकर क्वारंटीन किए गए लोगों पर नजर रखते हैं। मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य में 4500 से अधिक औद्योगिक इकाइयां शुरू की गई हैं। 6 हजार से अधिक कन्स्ट्रक्शन साइटों पर काम शुरू हुआ है। आर्थिक गतिविधियां प्रारम्भ हुई हैं।
मनरेगा में 2 लाख 20 हजार से अधिक लोगों को काम मिला है। 8 हजार नए लोगों ने मनरेगा में पंजीकरण कराया है। इनमें से 5 हजार से अधिक लोगों को काम मिल चुका है। मुख्य सचिव ने बताया कि दिसम्बर में आस्ट्रेलिया से 240 मेरिनो भेड़ें मंगाई गई थीं। इन्हें टिहरी में रखा गया था। इन भेड़ों की ऊन की कटाई की गई है। इसके बेहतर परिणाम मिले हैं। अंतरराष्ट्रीय क्वालिटी की ऊन मिली है। भेड़ से सामान्यतः 1.5 से 2 किग्रा ऊन मिलती है।
इन मेरिनो भेड़ से 5 से 6 किग्रा ऊन प्रति भेड़ प्राप्त हुई है। अब इनके माध्यम से भेड़ नस्ल सुधार का काम किया जाएगा। प्रदेश के भेड़पालकों को इससे बहुत लाभ होगा।
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कोरोना संकट में देश, एक साल तक 50 हजार रुपये दान करेंगे CDS बिपिन रावत - Hill-Mail | हिल-मेल
May 25, 2020, 9:37 am[…] […]
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