कोरोना काल में शहरों से गांव आए लोगों को सरकार विभिन्न माध्यमों से रोजगार के अवसर प्रदान कर रही है। स्वरोजगार के साथ ही खेती-किसानी में उन्नत विधि के जरिए नई-नई फसलें उगाने पर जोर दिया जा रहा है, जो कम समय में आमदनी कराए। इनमें से एक है औषधीय खेती।
केंद्र की मोदी सरकार के साथ मिलकर उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। कोरोना काल में भी किसानों को सहूलियतें देने की कोशिश हुई हैं।
सरकार चाहती है कि खेती-किसानी में लोगों की रुचि बढ़े और अन्नदाता को उसकी फसल का पूरा दाम मिले। हालांकि उत्तराखंड के भूभाग, मौसम आदि को देखते हुए खेती थोड़ी अलग है। यहां पारंपरिक फसलों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता इसलिए सरकार बागवानी, फूलों की खेती, औषधियों के साथ ही कई अलग तरह की कैश क्रॉप पर जोर देती है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया है कि सरकार हर्बल खेती को बढ़ावा दे रही है क्योंकि इसकी देश ही नहीं विदेशों में भी काफी मांग है। इससे किसानों को अच्छी आमदनी भी हो सकती है।
सीएम रावत ने आज अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘किसानों की खुशहाली से ही राज्य की खुशहाली का रास्ता निकलता है। किसानों की आय को दोगुना करने के लिए हमारी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। ऐसे ही प्रयासों के तहत हर्बल खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। हर्बल उत्पादों की देश-विदेश में बड़ी मांग है। परम्परागत खेती की तुलना में इसमें प्रति हेक्टेयर रिटर्न कई गुना अधिक होता है।
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सीएम ने बताया कि जनपद टिहरी के विकासखंड नरेंद्रनगर, जाखणीधार एवं कीर्तिनगर के 34 ग्राम पंचायतों में 40 स्वयं सहायता समूहों द्वारा बरसों से बंजर पड़े खेतों में मनरेगा के अंतर्गत रोज़मैरी और डंडेलियोन का पौधरोपण वर्ष 2017-18 में 2 हेक्टेयर से आरम्भ किया गया। वर्तमान तक पौधरोपण कुल 39 हेक्टेयर में किया जा रहा है और इस वर्ष इसे 51 हेक्टेयर कर लिया जाएगा। इससे प्रति हेक्टेयर लगभग ₹14.50 लाख का उत्पादन होगा। साथ ही कुछ कंपनियों के साथ बाय-बैक एग्रीमेंट करवाया गया है।