उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में भूरे भालू, मध्य हिमालीय क्षेत्र में काले भालू और निचले क्षेत्र में स्लोथ भालू पाए जाते हैं। बद्रीनाथ, चंपावत और नैनीताल में भी 100 से ज्यादा काले भालू हैं, वहीं टिहरी, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ मेें लगभग 200 से ज्यादा काले भालू हैं।
उत्तराखंड में वन्यजीव और मानवों में संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। हाल के दिनों में उत्तराखंड में तेंदुए और भालुओं के हमले में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसे देखते हुए वन विभाग ने भालुओं के लिए दो रेस्क्यू सेंटर खोलने की घोषणा की है। एक सेंटर चमोली और दूसरा पिथौरागढ़ में खोला जाएगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजपुर रोड स्थित उत्तराखंड वन विभाग मुख्यालय में ई-आफिस कार्यप्रणाली का शुभारंभ करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा इसके अलावा बंदरों के लिए चार रेस्क्यू सेंटर बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है।
मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि ई-आफिस प्रणाली को जल्द ही जिला एवं क्षेत्रीय कार्यालयों में भी विस्तारित किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यों में तेजी और पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल इंडिया की जो शुरूआत की है, उसके बेहतर परिणाम आज सबके सामने हैं।
उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में भूरे भालू, मध्य हिमालीय क्षेत्र में काले भालू और निचले क्षेत्र में स्लोथ भालू पाए जाते हैं। पहले भालू, मनुष्यों के लिए हिंसक नहीं होते हैं लेकिन अब इनके हिंसक होने के मामले सामने आने लगे हैं। जानकारों का कहना है कि बद्रीनाथ, चंपावत और नैनीताल में भी 100 से ज्यादा काले भालू हैं और टिहरी, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ मेें लगभग 200 से ज्यादा काले भालू हैं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अगले वर्ष हरेला पर्व पर एक करोड़ फलदार वृक्ष लगाए जायेंगे। इसके लिए वन विभाग द्वारा अभी से तैयारियां शुरू की जाए। ये फलदार वृक्ष जंगलों में भी लगाये जाएंगे, जिससे जंगली जानवर आबादी वाले क्षेत्रों में कम आएंगे। जंगली जानवरों को आहार की उपलब्धता जंगलों में पूरी हो सके।
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