पुलिस के मुताबिक, भास्कर पांडे ने देश के कई हिस्सों में माओवाद से जुड़ी ट्रेनिंग ली। उसने कई साथियों के साथ मिलकर यहां अपने क्रियाकलापों को अंजाम देने की कोशिश की। वह उत्तराखंड का आखिरी वांटेड माओवादी है, जिसे पुलिस ने दबोच लिया है। 2017 के इलेक्शन में उसने धारी तहसील की जीप जलाई थी।
उत्तराखंड पुलिस ने एक बड़ी सफलता अर्जित करते हुए सूबे के मोस्ट वांटेड माओवादी को गिरफ्तार कर लिया है। अल्मोड़ा पुलिस और एसटीएफ ने एक संयुक्त अभियान में माओवादी भास्कर पांडे को दबोचने में सफलता हासिल की। उत्तराखंड पुलिस लंबे समय से इस वांटेड माओवादी को पकड़ने का प्रयास कर रही थी। अल्मोड़ा के पुलिस कप्तान पंकज भट्ट ने भास्कर पांडे को पकड़ने के लिए कई टीमें बनाई थीं। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने माओवादी पांडे को गिरफ्तार करने वाली टीम को 20000 का ईनाम तथा मेडल देने की घोषणा की गई है।
भास्कर पांडे पर 2017 के अल्मोड़ा और नैनीताल के लोक संपत्ति अधिनियम और विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत था। माओवादी पांडेय की गिरफ्तारी के लिए शासन को 50000 का इनाम बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया था।
पुलिस के मुताबिक, भास्कर पांडे हल्द्वानी में एक कोरियर को पेनड्राइव तथा कुछ लिखित मैटेरियल देने जा रहा था। हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास पुलिस की टीम ने पांडे को दबोच लिया। पूछताछ में उनसे कोरियर का नाम राजेश बताया है। भास्कर पांडे इस दौरान किसान आंदोलन में भी काफी सक्रिय था। भास्कर पांडे खीम सिंह बोरा का सबसे खास साथी माना जाता है, जिसे यूपी एसटीएफ ने पकड़ा था।
पुलिस के मुताबिक, भास्कर पांडे ने देश के कई हिस्सों में माओवाद से जुड़ी ट्रेनिंग ली। उसने कई साथियों के साथ मिलकर यहां अपने क्रियाकलापों को अंजाम देने की कोशिश की। वह उत्तराखंड का आखिरी वांटेड माओवादी है, जिसे पुलिस ने दबोच लिया है। 2017 के इलेक्शन में उसने धारी तहसील की जीप जलाई थी।
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