कोरोना की निराशा से बाहर निकलिए, उत्तराखंड पुलिस के इस जज्बे को सलाम करेंगे आप

कोरोना की निराशा से बाहर निकलिए, उत्तराखंड पुलिस के इस जज्बे को सलाम करेंगे आप

यह मुश्किल वक्त है। लगभग हर परिवार कोरोना संक्रमण से प्रभावित है। किसी ने अपनों को खो दिया तो कोई अस्पताल या घर में जंग लड़ रहा है। ऐसे माहौल में लोगों में दहशत होना स्वाभाविक है। हालात ऐसे हो गए हैं कि निधन पर अपने 4 लोग भी कंधा देने नहीं आ रहे। ऐसे में कैसे पुलिसवाले कर रहे हैं मदद। देखिए पॉजिटिव कहानियां…

कोरोना काल में लगातार दुखद खबरें आ रही हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट दर्द और मदद की पुकार से झकझोर दे रही हैं। संक्रमण के डर से अपने भी जब साथ नहीं निभा रहे तो वर्दी वाले उत्तराखंड पुलिस के जवान देवदूत बनकर लोगों की मदद कर रहे हैं। कुछ ऐसी ही प्रेरक कहानियां पुलिस के जवानों के जज्बे को बताती हैं। कोरोना के निराशा भरे माहौल में पढ़िए पॉजिटिव और पुलिसकर्मियों को सलाम करती कुछ कहानियां—

1- मां की मौत, तो कंधा देने भी नहीं आए अपने

यह दर्दनाक घटना देहरादून के रानीपोखरी की है। कोरोना काल में मां ने दम तोड़ दिया तो चार कंधे देने के लिए आस-पड़ोस और परिजन तैयार नहीं हुए। सबको अपने जान की फिक्र थी। ऐसे में बेटे ने पुलिस को फोन किया। जवानों ने पूरे ऐहतियात के साथ फौरन इंसानियत का फर्ज निभाने निकल पड़े। पुलिस ने शव के लिए गाड़ी की व्यवस्था करवाई और विधि-विधान से अंतिम संस्कार संपन्न कराया।

2. एक कॉल में घर पर पहुंचाया ऑक्सीजन सिलेंडर

कोरोना काल में बुजुर्गों ही नहीं जवानों को भी ऑक्सीजन की दिक्कत हो रही है। गंगानगर निवासी ऋषिकेश गणेश दास ने थाना ऋषिकेश को फोन कर अपनी परेशानी बताई। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी को सांस लेने में परेशानी हो रही है। पुलिस ने क्षेत्र के समस्त ऑक्सीजन स्पलायर्स से बात कर उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराया।

https://twitter.com/uttarakhandcops/status/1388040733316182016?s=20

3. प्लाज्मा डोनेट कर बचाई जान

उत्तराखंड पुलिस के जवान कोरोना काल से पहले रक्तदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। अब जवान प्लाज्मा डोनेट कर कोरोना संक्रमित मरीजों का जीवन बचाने में योगदान दे रहे हैं। उधमसिंह नगर पुलिस के कांस्टेबल हेम चन्द फुलारा ने सुशीला तिवारी अस्पताल, हल्द्वानी में प्लाज्मा डोनेट कर कोरोना संक्रमित दो मरीजों को जीवनदान दिया।

4. अपनों ने किया किनारा, तो खाकी बनी सहारा

हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज शवगृह में रखे 7 लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के लिए अपनों ने भी किनारा कर लिया। कई बार सूचना देने पर भी परिवार वाले नहीं पहुंचे। ऐसे में पुलिस मददगार बनकर आगे आई और उन शवों का अंतिम संस्कार किया।

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5. कोरोना से संक्रमित बुजुर्ग को पहुंचाया अस्पताल

ऋषिकेश में करोना पॉजिटिव बुजुर्ग की तबीयत ख़राब थी। पुलिस के दो जवान एंबुलेंस के साथ उनके घर पहुंचे। स्ट्रेचर न होने पर अपनी परवाह न करते हुए कोविड प्रोटोकाॅल का पालन किया। पीपीई किट पहनी, बुजुर्ग को गोद में उठाकर एंबुलेंस तक लाए और अस्पताल में भर्ती किया।

6. ऑक्सीजन टैंकर पहुंचाने के लिए दिन-रात काम

कोरोना के मामले बढ़े तो अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगी। एक तरफ कालाबाजारी पर रोक लगाई गई तो दूसरी तरफ पुलिस सुरक्षा में एस्कॉर्ट करते हुए ऑक्सीजन टैंकरों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है।

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