लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत का जन्म 25 मार्च 1985 को उत्तराखंड के भिकियासैंण में हुआ। उन्होंने अपनी स्कूलिंग नई दिल्ली के सरोजनी नगर स्थित ग्रीन फील्ड्स स्कूल और नवयुग स्कूल से की। उन्हें सेना की पैराशूट रेजीमेंट (विशेष बल) की पहली बटालियन में कमीशन मिला।
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पुरस्कारों का ऐलान किया गया है। लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत, मेजर अनिल उर्स और हवलदार आलोक कुमार दुबे को जम्मू-कश्मीर में अलग-अलग जगह पर अदम्य साहस और वीरता के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है।
पहाड़ के सपूत लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत नियंत्रण रेखा पर आतंकियों के घुसपैठ को रोकने के लिए टीम लीडर के रूप में तैनात थे। घुसपैठ की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने घुसपैठ रोकने की कोशिश की और 2 आतंकियों को मार गिराया, जबकि एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया।
सेना के प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि ले. कर्नल रावत जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर (एलओसी) घुसपैठ और आतंकवाद रोधी अभियानों के लिए तैनात एक टीम का नेतृत्व कर रहे थे। उसी दौरान खुफिया सूचना मिली कि आतंकवादी घुसपैठ की कोशिश कर सकते हैं। ले. कर्नल रावत ने अपनी टीम का नेतृत्व किया और खराब मौसम में करीब 36 घंटे के बाद उनकी टीम ने आतंकवादियों के समूह को देखा। इसके बाद हुई गोलीबारी के बावजूद वह अपनी टीम के सदस्यों को निर्देश देते रहे और इसके परिणामस्वरूप दो आतंकवादी मारे गए।
इसके बाद उन्होंने शेष आतंकवादियों के स्थान की पहचान की और उस आधार पर की गई कार्रवाई में दो और आतंकवादी मारे गए और तीसरा आतंकवादी घायल हो गया। प्रशस्ति पत्र में कहा गया है कि पूरे ऑपरेशन के दौरान दृढ़ और अनुकरणीय नेतृत्व के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत को शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाता है।
लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत का जन्म 25 मार्च 1985 को उत्तराखंड के भिकियासैंण में हुआ। उन्होंने अपनी स्कूलिंग नई दिल्ली के सरोजनी नगर स्थित ग्रीन फील्ड्स स्कूल और नवयुग स्कूल से की। उन्हें सेना की पैराशूट रेजीमेंट (विशेष बल) की पहली बटालियन में कमीशन मिला। उन्हें 2010 में वीरता के लिए सेना मेडल प्रदान किया गया। उनके पिता नई दिल्ली में स्टॉफ ऑफ एंटीग्रेटेड डिफेंस हेड क्वार्ट्स में एंटीग्रेटेड फाइनेंशियल एडवाइजर के निजी सचिव के पद से रिटायर हैं।
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