स्मिता देवरानी की कामयाबी पर पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लाक के डुंडेख गांव के लोग बहुत खुश हैं। डूंडेख निवासी शंभू प्रसाद देवरानी की पुत्री स्मिता देवरानी का परिवार भले ही दशकों पूर्व दिल्ली में बस गया हो, लेकिन देवरानी अपने गांव के लोगों से जुड़ी हैं। उनके चाचा सुरेश देवरानी नागालैंड से प्रमुख सचिव के पद से सेवानिवृत्त हैं और वर्तमान में देहरादून के बसंत विहार में रहते हैं।
उत्तराखंड के पौड़ी की बेटी मेजर जनरल स्मिता देवरानी ने 01 अक्टूबर 2021 को सैन्य नर्सिंग सेवा की अतिरिक्त महानिदेशक का पदभार संभाल लिया। यह संयोग ही है कि इस दिन एमएनएस का 96वां गौरवपूर्ण स्थापना दिवस था। वह उत्तराखंड राज्य से मेजर जनरल का पद संभालने वाली सशस्त्र बलों की पहली महिला अधिकारी हैं।
स्मिता देवरानी की कामयाबी पर पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लाक के डुंडेख गांव के लोग बहुत खुश हैं। डूंडेख निवासी शंभू प्रसाद देवरानी की पुत्री स्मिता देवरानी का परिवार भले ही दशकों पूर्व दिल्ली में बस गया हो, लेकिन देवरानी अपने गांव के लोगों से जुड़ी हैं। उनके चाचा सुरेश देवरानी नागालैंड से प्रमुख सचिव के पद से सेवानिवृत्त हैं और वर्तमान में देहरादून के बसंत विहार में रहते हैं। मेजर जनरल स्मिता देवरानी के पिता शंभू प्रसाद देवरानी दिल्ली में सरकारी सेवा में थे। कई वर्ष पूर्व उनका देहांत हो गया था। जिसके बाद स्मिता की माता सुशीला देवरानी ने अपनी तीनों पुत्रियों का पालन-पोषण किया। तीनों बहनों ने दिल्ली में ही शिक्षा ग्रहण की। उनकी छोटी बहन अमिता देवरानी भी सेना में ब्रिगेडियर हैं। तीसरी बहन देहरादून में शिक्षिका हैं।
मेजर जनरल देवरानी स्कूल ऑफ नर्सिंग, सैन्य अस्पताल सिकंदराबाद की पूर्व छात्रा हैं और उन्हें 28 दिसंबर 1983 को मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में कमीशन किया गया था, बाद में उन्होंने फ्लैगशिप नेवल हॉस्पिटल आईएनएचएस अश्विनी, मुंबई से मिडवाइफरी में डिप्लोमा पूरा किया।
उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया, अकादमिक उत्कृष्टता की चाह में न केवल अस्पताल और स्वास्थ्य देखभाल प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा और अस्पताल प्रशासन में एमबीए किया बल्कि नेशनल हेल्थकेयर एकेडमी सिंगापुर से सिक्स सिग्मा सर्टिफिकेट और गुणवत्ता नियंत्रण प्रबंधन व संक्रमण नियंत्रण तथा रोकथाम प्रबंधन में भी पढ़ाई पूरी की।
जनरल ऑफिसर एक क्रिटिकल केयर नर्स हैं और उन्होंने 1992 में सैन्य अस्पताल दिल्ली कैंट से अपनी इंटेंसिव केयर नर्सिंग स्पेशलिटी की थी और उनके नैदानिक कार्यकाल के दौरान उनके क्रिटिकल केयर नर्सिंग प्रबंधन की काफी प्रशंसा हुई थी। जनरल देवरानी ने 2006-07 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशन में अपनी प्रतिनियुक्ति के दौरान हताहतों के प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जहां उन्होंने मुख्य मैट्रन के रूप में काम किया था।
उनका साहस उस समय सबके सामने आया, जब वह स्वेच्छा से उस टीम का हिस्सा बनने के लिए आगे आईं, जिसने कांगो में माउंट न्यारागोंगो पर चढ़ाई की। 3470 मीटर की ऊंचाई पर यह एक सक्रिय ज्वालामुखी (स्ट्रेटावॉलकेनो) है।
रणनीतिक दृष्टिकोण और उत्कृष्ट नेतृत्व कौशल की गहरी समझ होने के चलते, जनरल ऑफिसर को अपने कनिष्ठों का मार्गदर्शन करने और सेवा संबंधी लोकाचार की शिक्षा देने के लिए जाना जाता है। नैदानिक अनुभव के अलावा, जनरल ऑफिसर ने विभिन्न प्रशासनिक और स्टाफ नियुक्तियों पर सेवा दी है, जैसे संयुक्त निदेशक सैन्य नर्सिंग सेवा, अनुसंधान पूल अधिकारी, एमओडी (सेना) के एकीकृत मुख्यालय में निदेशक प्रशासन, कमांड हॉस्पिटल, पुणे के प्रिंसिपल मैट्रन और मुख्यालय मध्य कमान की ब्रिगेडियर एमएनएस। प्रिंसिपल मैट्रन, सीएच (एससी), पुणे में उनके कार्यकाल के दौरान यूनिट को 2018 में एनएबीएच सेफ आई सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ। यूनिट उनके शानदार नेतृत्व में रक्षा मंत्री ट्रॉफी- सर्वश्रेष्ठ अस्पताल की प्रथम उपविजेता रही। अतिरिक्त डीजीएमएनएस का पदभार संभालने से पहले, जनरल ऑफिसर सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं के प्रमुख स्वास्थ्य देखभाल संस्थान सैन्य अस्पताल (रिसर्च एंड रेफरल) की प्रिंसिपल मैट्रन थीं।
एक जोशीली वक्ता होने के नाते, जनरल स्मिता को 1993 में आयोजित सशस्त्र बल चिकित्सा अनुसंधान सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ वक्ता के लिए मेजर जनरल जीए राम सिल्वर मेडल से सम्मानित किया गया। उनकी सराहनीय सेवा के लिए, जनरल ऑफिसर को 2014 में वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन कार्ड से भी सम्मानित किया गया था। जनरल स्मिता देवरानी कई युवाओं के लिए एक आदर्श रही हैं और सशस्त्र बलों में रोगी देखभाल में उत्कृष्टता के दर्शन को स्थापित करने वाली दूरदर्शी रही हैं। वह उत्तराखंड राज्य से मेजर जनरल का पद संभालने वाली सशस्त्र बलों की पहली महिला अधिकारी हैं।
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