केदारनाथ में आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि में गोलाई में नीचे जाने के लिए एक रैंप होगा , जो लगभग इस गोलाई के 2 चक्कर मे पूरा होगा। नीचे समाधि स्थल पर योग भी किया जा सकेगा। समाधि से बाहर आने के लिए एक अलग रैंप होगा, जो भैरवनाथ मंदिर के लिए खुलेगा।
केदारनाथ धाम में विनाशकारी आपदा के बाद से चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों पर सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से नजर रखी जा रही है। यहां कई ऐसे प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल के काफी करीब हैं। इन्हीं में एक ड्रीम प्रोजेक्ट है, आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि। केदारनाथ में आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि के निर्माण का काम प्रगति पर है।
केदारनाथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि के निर्माण का काम तेज गति से चल रहा है। देखिये केदारनाथ से समाधि स्थल की यह वीडियो रिपोर्ट। #Kedarnath pic.twitter.com/tjsdQUZoui
— Hill Mail (@hillmailtv) October 4, 2020
केदारनाथ में यह काम वुडस्टोन कंस्ट्रक्शंस कर रही है। कंपनी के प्रभारी मनोज सेमवाल के मुताबिक, आदिगुरु शंकराचार्य स्थल पर वुडस्टोन कंस्ट्रक्शन के करीब 70 लोग काम कर रहे हैं। जमीन पर नींव में अभी चक्र जैसी आकृति दिख रही है। इसमें एक तरफ से नीचे जाने का और ऊपर आने का रास्ता बनेगा। रविवार 4 अक्टूबर तक के अपडेट के मुताबिक काउंटर फॉल्ट को भरा जा रहा है।
इसका वीडियो भी हिल-मेल के पास है। दरअसल, समाधि के लिए तीन मीटर चौड़ा रास्ता तैयार हो रहा है, जो मुख्य मंदिर के पीछे करीब 60 मीटर की दूरी पर होगा। आपको बता दें कि केदारनाथ मंदिर के पीछे आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि स्थित है। कहा जाता है कि शंकराचार्य ने ही भारत में चार पावन धामों की स्थापना की थी, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं।
मनोज सेमवाल के मुताबिक, यह काम तीन चरणों में किया जा रहा है। पहले चरण में खुदाई का काम किया गया। दूसरे चरण में निर्माण का काम चल रहा है। तीसरे चरण में समाधि की सजावट का काम होना है। 8 मीटर की गोलाई में बन रही इस समाधि के निर्माण कार्य की समयसीमा दिसंबर, 2020 है। इसके बाद समाधि में खास तरह की साजसज्जा का भी काम होना है। मौसम की तमाम दिक्कतों के बावजूद समाधि का निर्माण कार्य निरंतर चल रहा है।
उन्होंने बताया कि समाधि में गोलाई में नीचे जाने के लिए एक रैंप होगा , जो लगभग इस गोलाई के 2 चक्कर मे पूरा होगा। नीचे समाधि स्थल पर योग भी किया जा सकेगा। समाधि से बाहर आने के लिए एक अलग रैंप होगा, जो भैरवनाथ मंदिर के लिए खुलेगा।
किंवदंती है कि शंकराचार्य 8वीं सदी में केदारनाथ आए थे और केदारनाथ मंदिर एवं अपने चार मठों में से एक का निर्माण कराया था। ऐसा माना जाता है कि शंकराचार्य ने अपने अनुयायियों के लिए गर्म पानी का कुंड बनाया था ताकि वे ठंड में बचाव कर सकें।
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