देवभूमि उत्तराखंड में कोरोना के केस काफी कम हो गए हैं। कोरोना से प्रभावित क्षेत्रों को सरकार उबारने के प्रयास कर रही है। इस बीच स्कूलों को खोलने को लेकर भी सुगबुगाहट तेज हो गई है। हालांकि कोरोना की तीसरी लहर आने का खतरा भी सता रहा है।
ऑनलाइन क्लास भले ही चल रहे हैं पर बच्चे अपने स्कूलों को मिस कर रहे हैं। अभिभावक भी कहते हैं कि कोरोना का डर है वरना ऑनलाइन क्लास से उतने अच्छे से बच्चे पढ़ और समझ नहीं पाते। एक्सपर्ट भी मानते हैं कि बच्चे का बहुमुखी विकास एक कमरे में बैठकर पढ़ाई करने से बाधित होता है। हालांकि कोरोना के कहर से बचने के लिए यह अनिवार्य सा हो गया है।
हाल में आईसीएमआर ने सुझाव दिया था कि सरकारें छोटे बच्चों के स्कूल यानी प्राइमरी स्कूल पहले खोल सकती हैं। अब उत्तराखंड में स्कूल खोलने की चर्चा होने लगी है। फिलहाल टीचर स्कूल जा रहे हैं। समझा जा रहा है कि जल्द ही स्कूल खोलने को लेकर सरकार कुछ और छूट दे सकती है।
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केंद्र की गाइडलाइंस और दूसरे राज्यों के अनुभव को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से उत्तराखंड में स्कूल खोले जा सकते हैं। पहले चरण में कक्षा 6 से बड़ी कक्षाओं के स्टूडेंट्स को 50 प्रतिशत क्षमता के साथ स्कूल बुलाया जा सकता है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कुछ संकेत भी दिए हैं कि स्कूल खोलने पर विचार किया जा सकता है।
इंटरनेट की समस्या और स्मार्टफोन की उपलब्धता भी ऑनलाइन क्लास में बाधा है। शिक्षा मंत्री ने कहा है कि स्कूल काफी समय से बंद हैं, जिससे पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। अब चूंकि कोरोना के केसेज कम हो गए हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में स्कूलों को खोलने पर विचार किया जा सकता है।
टीचर्स का कहना है कि शहरों में तो ठीक पर गांवों में ऑनलाइन क्लास में तमाम दिक्कतें हैं।
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