कोरोना से जंग में उतरी यूथ फाउंडेशन की वूमन वॉरियर्स

कोरोना से जंग में उतरी यूथ फाउंडेशन की वूमन वॉरियर्स

उत्तराखंड का youth foundation कोरोना संकट में लोगों की दिन-रात मदद कर रहा है। फाउंडेशन के लड़के ही नहीं बल्कि लड़कियां भी थानों और अन्य जगहों पर लोगों की मदद के लिए तैनात हैं। जब से कोरोना फैला है तब से देशभक्ति का जज्बा लिए फाउंडेशन के योद्धा अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

उत्तराखंड ही नहीं, पूरा देश और दुनिया कोरोना से जंग लड़ रही है। ऐसे मुश्किल वक्त में यूथ फाउंडेशन (youth foundation uttarakhand) के युवाओं ने कोरोना योद्धा के तौर पर मोर्चा संभाला है। सड़क हो या दुकानें, थाना हो या अस्पताल, लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए इन युवाओं की फौज तैनात है। इनमें लड़कियां भी पीछे नहीं हैं। यूथ फाउंडेशन की वूमन वॉरियर्स कैंप डेल्टा की एक टीम गढ़ी कैंट थाने पर तैनात हैं जिनमें राधा पाल, सुनिधि, सविता रावत और मानसी मनवाल शामिल हैं।

ऐसी ही एक और टीम सहसपुर थाने पर है जिनमें शोभा रावत और बिंदिया कार्की शामिल हैं। देश में कोरोना संकट के बीच यूथ फाउंडेशन कोरोना वॉरियर्स की जिम्मेदारी निभाने के लिए आगे आया है। दरअसल, सेना में भर्ती होने का सपना देखने वाले यूथ फाउंडेशन के युवा इन दिनों देहरादून के कई हिस्सों में पुलिस कर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। इन सभी युवाओं को सेना में भर्ती के लिए तैयार किया गया है।

इनमें से कई युवक और युवतियां एनसीसी के कैडेट्स भी रहे हैं। देश सेवा से पहले जब देवभूमि की सेवा का मौका मिला तो ये लड़कियां भी पीछे नहीं रहीं। देहरादून के अलग-अलग थानों की पुलिस के साथ यूथ फाउंडेशन के सदस्य सहायक की भूमिका में हैं। उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं, ताकि इस संकटकाल से लोगों को उबारा जा सके।

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कर्नल कोठियाल की प्रेरणा से चल रहे यूथ फाउंडेशन ने बहुत कम समय में युवाओं के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई है। फाउंडेशन उत्तराखंड में आठ जगहों पर प्रशिक्षण कैंप चलाता है। रुद्रप्रयाग के अगस्तमुनि, पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर के चौरांस और कोटद्वार, देहरादून के बालावाला और रुद्रपुर, चमोली के कर्णप्रयाग, उत्तरकाशी और नैनीताल के पीरूमदारा में यूथ फाउंडेशन के कैंप संचालित होते हैं।

यहां ट्रेनिंग लेने वाले युवाओं को उसी माहौल में तैयार किया जाता है, जिस माहौल में भारतीय सेना का जवान तैयार होता है। सुबह 6 बजे से ट्रेनिंग का सिलसिला शुरू होता है, जो देर शाम तक चलता है। चिन-अप, रस्सी पर चढ़ना-उतरना और लॉन्ग जंप हर तरह के मुश्किल से मुश्किल प्रशिक्षण से सभी को गुजरना होता है। सेना के पूर्व प्रशिक्षकों के साथ ही नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की महिला प्रशिक्षक यूथ फाउंडेशन के कैंप में लड़कियों को ट्रेनिंग देती हैं।

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सेना में महिलाओं के लिए मिलिट्री पुलिस में भर्ती होने का रास्ता साफ होने के बाद यूथ फाउंडेशन ने उत्तराखंड से ज्यादा से ज्यादा लड़कियों से मिलिट्री पुलिस का हिस्सा बनाने का बीड़ा भी उठाया है। फाउंडेशन द्वारा तैनात लड़कियां भी कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं।

अब तक उत्तराखंड के 9500 से ज्यादा स्थानीय युवा यूथ फाउंडेशन के कैंपों में प्रशिक्षण लेकर गढ़वाल, कुमाऊं रेजीमेंट, अन्य सैन्य बलों और अर्धसैन्य बलों का हिस्सा बना चुके हैं।

यूथ फाउंडेशन मीडिया टीम के अखिल जोशी बताते हैं कि कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठियाल का कहना है कि देश की सरहदों पर फौजी और देश के अंदर पुलिसबल अपना अहम योगदान करते आए हैं। इस वक्त देश एक महामारी से लड़ रहा है। कोरोना से लड़ने के लिए पुलिस के अधिकारी, जवान दिनरात डटे हुए हैं। ऐसे में अगर हम सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए पुलिस के साथ मिलकर कोई काम कर सकते हैं, तो हमें एक जागरूक नागरिक होने के नाते जरूर करना चाहिए। ऐसे कई कोरोना वॉरियर्स हैं, जो पिछले एक महीने से दिनरात लोगों को इस महामारी की चपेट में आने के बचाने के लिए काम कर रहे हैं। अगर हम पुलिस और प्रशासन की इस जिम्मेदारी में थोड़ा सा सहयोग दे सकते हैं, तो निश्चित तौर पर करना चाहिए। यह कोरोना के खिलाफ पूरे देश की सामूहिक लड़ाई और हमारी राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी है।

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