ताजा मामलों ने उत्तराखंड में कोरोना का ग्राफ पलट कर रख दिया है। कोरोना संक्रमितों के मामले में कुमाऊं का नैनीताल जिला पहले नंबर पर आ गया है, टेस्ट अनुपात के मामले में बागेश्वर जिला सबसे ऊपर है। चिंता की बात यह है कि टेस्टिंग बढ़ने के साथ कोरोना के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं।
उत्तराखंड में कुछ दिनों पहले तक देहरादून जिले में सबसे ज्यादा कोरोना के केस थे लेकिन अब नैनीताल जिले में तेजी से मरीज बढ़ रहे। जी हां, प्रवासियों के आने से अचानक इस जिले में पॉजिटिव मरीज बढ़े हैं। रविवार को यहां 32 पॉजिटिव केस मिले। एक दिन पहले शनिवार को एकसाथ 55 लोग पॉजिटिव पाए गए थे। चिंता की बात यह है कि अब जिले में कोरोना मरीजों की संख्या 110 पहुंच चुकी है।
कोरोना के सभी मरीजों को डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में भर्ती किया गया है। इनमें से एक बड़ी संख्या उन लोगों की है जो महाराष्ट्र से पिछले 3-4 दिनों में लौटे हैं। चिंता की बात यह है कि नैनीताल जिले में शनिवार को पॉजिटिव पाए गए सभी 57 कोरोना मरीजों में से 55 महाराष्ट्र से एक ही ट्रेन से 21 मई को हरिद्वार लौटे थे। जहां से इन्हें बसों से हल्द्वानी लाया गया था।
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बताया जा रहा है कि ट्रेन से आए करीब 400 लोगों को हल्द्वानी में ही संस्थागत क्वारंटीन में रखा गया है। अधिकारियों का मानना है कि एक साथ आने की वजह से इनमें संक्रमण फैला है।
प्रदेश में कोरोना के मामलों की संख्या 300 के पास जा पहुंची है। आज सामने आए 54 नए मामलों में से सबसे ज्यादा 32 केस नैनीताल जिले से हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग का पूरा फोकस नैनीताल की तरफ शिफ्ट हो गया है।
लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि बाहर से आने वाले लोगों की मानकों के अनुसार टेस्टिंग हो। सेनेटाइजेशन की पूरी व्यवस्था हो, क्वारंटीन के नियमों का पालन हो। जिले के अधिकारी ग्राम प्रधानों को हरसंभव मदद करें। गरीबों व बाहर से आने वालों के लिए राशन की कमी न हो।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में एक लाख आबादी पर 174 लोगों (1.10 करोड़ आबादी में 19248 टेस्ट) की जांच हो चुकी है। जबकि देश में एक लाख आबादी पर 197 टेस्ट (138 करोड़ आबादी पर 27.19 लाख जांच) हो चुके हैं।
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