उत्तराखंड में पहले दो चार दिन में केस आते थे फिर 10-20 आने लगे। मई के तीसरे हफ्ते में 50-70 केस आए तो अब 29 मई को अचानक 200 से ज्यादा मामलों ने पहाड़ों में टेंशन बढ़ा दी है। एक समय पहले 100 मरीजों में संक्रमण की पुष्टि होने में 65 दिन लगे थे लेकिन अब 24 घंटे में ही 100 से ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं।
उत्तराखंड में कोरोना को लेकर मई के पहले हफ्ते तक जो सुकून और राहत महसूस की जा रही थी, वो अब गायब हो गई है। दूसरे शहरों और राज्यों की तरह यहां भी कोरोना अब सेंचुरी लगाने लगा है। जी हां, कोरोना का ग्राफ देखें तो 100 मामले बढ़ने की रफ्तार काफी तेज हो गई है। सूरत, दिल्ली, मुंबई, कोच्चि जैसे कोरोना से गंभीर रूप से प्रभावित शहरों से प्रवासियों के प्रदेश में आने से केस बढ़ रहे हैं। सरकार की मानें तो उसने पहले से ही यह अनुमान लगा रखा था कि राज्य में आवाजाही बढ़ने से कोरोना के मामले बढ़ेंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हिल-मेल के लाइव शो ‘ई-रैबार’ में कहा था कि सरकार मानकर चल रही है कि 2 लाख प्रवासी भाई-बहन उत्तराखंड लौटेंगे। सरकार को आशंका है कि इनमें से 25 हजार लोग संक्रमित हो सकते हैं, जिनमें से 5 हजार लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है। सरकार ने इसी आशंका के मद्देनजर किट, आईसीयू, वेंटिलेटर आदि का इंतजाम भी कर रखा है।
बताया जा रहा है कि राज्य सरकार किसी भी आपात स्थिति के लिए 500 वेंटिलेटर की व्यवस्था कर चुकी है। हालांकि पिछले 72 घंटों में जिस तेजी से कोरोना ने अपना ‘रौद्र’ रूप दिखाना शुरू किया है उसने हर किसी उत्तराखंडी के जेहन में एक चिंता पैदा कर दी है। आइए समझते हैं कि कोरोना किस चाल से प्रदेश में कहर बरपा रहा है।
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कोरोना की चाल समझिए
सबसे पहले जरा मार्च के महीने में लौटिए। कोरोना देश में दस्तक दे चुका था पर उत्तराखंड में पहला मामला कई दिन बाद 15 मार्च को सामने आया। तब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी देहरादून के एक ट्रेनी आईएफएस अफसर में कोरोना की पुष्टि हुई थी। संक्रमित ट्रेनी को राजकीय दून मेडिकल कॉलेज, अस्पताल में भर्ती कराया था। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आने के बाद प्रशासन भले ही सतर्क हो गया था पर आम लोगों को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि यह आगे चलकर विकराल रूप दिखाने वाला है।
अप्रैल का महीना
सरकार ने तैयारी शुरू कर दी। 5-6 दिन में कोरोना के केस बढ़ने लगे। इस बीच दिल्ली में एक धार्मिक कार्यक्रम के बाद देशभर में लौटे तबलीगी जमात के सदस्यों से कोरोना तेजी से फैलने लगा। सरकार की कोशिशें फेल होने लगी थीं लेकिन पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और अन्य कोरोना योद्धाओं की बदौलत जमातियों की पहचान की गई और उनका इलाज कर क्वारंटीन किया जाने लगा। तब तक अप्रैल बीत रहा था।
मई में दिखा वास्तविक खतरा
पहाड़ में कोरोना न फैलने से उत्तराखंड में काफी राहत महसूस की जा रही थी। पहला केस आए एक महीना बीत रहा था पर मामले काफी नियंत्रण में थे। सरकार के प्रयासों और लोगों के लॉकडाउन का गंभीरता से पालन करने के कारण ही अप्रैल बिना टेंशन के बीत गया लेकिन मई ने शुरुआत से ही तनाव दे दिया। करीब दो महीने से लॉकडाउन में खाने-पीने को परेशान प्रवासियों को लाने की तैयारियां शुरू हो गईं।
19 मई को 104 तो 23 मई को 244 पहुंचा आंकड़ा
जैसे-जैसे ट्रेनें उत्तराखंड आ रही थी, कोराना का ग्राफ चढ़ने लगा। 19 मई को आंकड़े 104 पहुंचे। कुछ ही दिन बीते और 23 मई को कोरोना ने दूसरी सेंचरी भी बना ली और केस 244 हो गए। अगले ही दिन यानी 24 मई को 317 हो गए।
लोगों की टेंशन बढ़ गई, स्वास्थ्य विभाग और भी अलर्ट हो गया। ऐसे में सरकार एक फिर आगे आई और लोगों को आश्वस्त किया गया कि सामाजिक दूरी का पालन करें, जरूरत होने पर ही बाहर निकलें बाकी घबराने की जरूरत नहीं है। सरकार ने पूरी तैयारी कर रखी है।
48 घंटे के भीतर ही कोरोना 400 के आंकड़े को छू गया। 28 मई को 508 और फिर 29 मई का दिन आया जब एक ही दिन में 200 से ज्यादा केस आए जिसने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। 30 मई को सुबह तक प्रदेश में 716 कोरोना के मामले हो चुके थे। मरीजों की मौत की बात करें तो यह आंकड़ा 5 है। आगे क्या होगा, यह कोई सोच रहा है पर हमारे हाथ में यही है कि हम सामाजिक दूरी बनाए रखें और निर्देशों का पालन करें।
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