15 जून की रात गलवान घाटी में लड़ाई लगभग चार घंटे तक चलती रही। चीनी सैनिकों के पास तलवार और रॉड थे, जिनको छीनकर भारतीय सैनिकों ने उन पर करारी चोट की। इसके बाद चीनी भागने लगे और जान बचाने के लिए घाटियों में जा छिपे।
लद्दाख में एलएसी पर गलवान घाटी में चीन के विश्वासघात को लेकर पूरे देश में गुस्सा है। 15 जून की रात को गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए। हालांकि भारतीय जवानों ने भी चीनी सैनिकों को तुरंत सबक सिखा दिया था और करीब 40 चीनी सैनिकों को मार गिराया। चीन भले ही अपने जवानों की मौत के आंकड़े छिपा रहा हो लेकिन वही जानता है कि 15 जून की रात उसके सैनिकों के साथ क्या हुआ। 15 जून की रात गलवान में भारत मां के वीर सपूत कैसे चीनी सैनिकों पर टूट पड़े थे, अब सेना के सूत्रों के हवाले से आई मीडिया रिपोर्टों में हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है।
जी हां, उस रात चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों का ऐसा रौद्र रूप देखा, जिसे यादकर वो लंबे समय तक सिहरते रहेंगे। दरअसल, चीनी सैनिकों ने धोखे से हमला कर दिया था, जिसमें कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष बाबू शहीद हो गए। इस पर बिहार रेजिमेंट के जवानों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। भारतीय जवानों के फौलादी हाथ, जिस चीनी पर पड़े वह सदा के लिए उठ गया।
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मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि अपने सीओ की शहादत का भारतीय जवानों ने फौरन बदला ले लिया था। उन्होंने एक-एक कर 18 चीनी सैनिकों की गर्दनें तोड़ डालीं। बताया जा रहा है कि कम से कम 18 चीनी सैनिकों के गर्दनों की हड्डियां टूट चुकी थीं और सिर झूल गए थे। गुस्से में लाल भारतीय सैनिक इतने आक्रोशित हो गए कि सामने आने वाले हर चीनी सैनिक का ऐसा हाल किया कि उनकी पहचान कर पाना भी मुश्किल हो गया।
यह सब ऐसे समय में हो रहा था जब भारतीय सैनिकों के मुकाबले चीनी सैनिकों की संख्या 5 गुना थी। भारतीय सैनिकों की बहादुरी का ही नतीजा है कि चीन अपना नुकसान और जवानों के मौत के आंकड़े छिपा रहा है, जिससे उसकी लाज बची रहे।
आपको बता दें कि उस रात भारत के जवान गलवान में बनाए गए चीनी सैनिकों के टेंट के हटने की जांच करने गए थे। कर्नल संतोष बाबू जवानों के साथ पहुंचे तो देखा कि चीनी सेना ने वहां से टेंट नहीं हटाया। विरोध हुआ तो अचानक चीनी सैनिकों ने हमला कर दिया। हिंसक झड़प में कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष बाबू शहीद हो गए तो बिहार रेजिमेंट के जवान चीनियों पर कहर बनकर टूट पड़े।
उस समय बिहार रेजिमेंट और घातक दस्ते के सैनिकों की कुल तादाद सिर्फ 60 थी, जबकि दूसरी तरफ दुश्मनों की तादाद काफी ज्यादा थी। ये लड़ाई लगभग चार घंटे तक चलती रही। चीनियों के पास तलवार और रॉड थे, जिनको छीनकर भारतीय सैनिकों ने उन पर करारी चोट की। इसके बाद चीनी भागने लगे और जान बचाने के लिए घाटियों में जा छिपे।
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