रविवार को चमोली आपदा के बाद छोटी सुरंगों से तो लोगों को बचा लिया गया पर तपोवन की करीब 2 किमी लंबी टनल में फंसे लोगों को बचाने में काफी परेशानी आ रही है। पानी, मलबा, ऑक्सीजन आखिर क्या है वो मुसीबतें जिसके कारण बचाव दल को अब ड्रिलिंग शुरू करनी पड़ी है।
उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार सुबह आई आपदा के बाद से ही रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, पर सुरंग के भीतर फंसे करीब 35 मजदूरों तक पहुंचा नहीं जा सका है। हर बीतते पल के साथ लापता लोगों के घरवालों की धड़कनें बढ़ रही हैं, नई चिंताएं जन्म ले रही हैं पर जांबाज जवानों की संयुक्त टीम इस उम्मीद से दिन-रात बचाव अभियान में जुटी है कि वे फंसे लोगों को सुरक्षित निकाल लेंगे।
गुरुवार तड़के वहां ड्रिलिंग शुरू की गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सुरंग से गाद या मलबा निकालने में मुश्किल कहां आ रही है जबकि जेसीबी मशीनें भी लगाई गई हैं। आइए समझते हैं।
इस राहत अभियान में SDRF की 11 टीमें, NDRF की एक टीम, ITBP की कई टीमें और सेना का गढ़वाल स्काउट्स, भारतीय वायुसेना के जवान भी वहां जुटे हुए हैं। ऐसे में चुनौतियां क्या हैं, वो समझने की जरूरत है।
https://twitter.com/ITBP_official/status/1359696906092306434?s=20
दरअसल, तपोवन की जो सुरंग ऊपर से ग्लेशियर टूटने के बाद आए मलबे से बंद हो गई है, वह घुमावदार है। उसके कारण से दिक्कत आ रही है।
टनल में ऑक्सीजन की कमी है। मिट्टी, पानी और दलदल होने से बचाव दल को भी काम जारी रखने में काफी मुश्किल आ रही है। टनल में मलबा पूरी तरह से भरा है। वहां ठंड भी बहुत है।
सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के लिए शुरू हुई ड्रिलिंग, पढ़िए कैसे जग रही उम्मीद की किरण
अब बचाव दल की रणनीति समझें तो साफ है कि 1.8 किमी लंबी इस टनल में अंदर तक जाकर देखना है कि वे लोग कहां फंसे हैं। 1300 मीटर तक बन चुकी है ये सुरंग। मुहाने पर 200 मीटर तक मलबा है। टनल की ऊंचाई करीब 12 फीट है।
टनल के अंदर कई छोटे-छोटे रास्ते हैं। टनल के मैप के हिसाब से ऑपरेशन चलाया जा रहा है। अब मुसीबत बढ़ने पर ड्रिलिंग की जा रही है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही भीतर फंसे लोगों को बाहर निकाल लिया जाएगा।
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