मैदानी इलाकों में रहने वाले लोग शायद पहाड़ की तकलीफ न समझते हों। पर हालात को तस्वीरों और वीडियो से समझा जा सकता है। किसी के सिर में दर्द उठा हो या तबीयत बिगड़ गई हो, अस्पताल जाने की सोचना टेढ़ी खीर है। 8-10 किमी पैदल चलना पड़ता है और रास्ते भी पहाड़ के खतरनाक पथरीले रास्ते….
उत्तराखंड के सुदूर इलाकों तक सड़क न होना अब जान पर भारी पड़ रहा है। पिछले महीने चमोली के इराणी से खबर आई थी कि पेट दर्द होने पर मरीज को 7 किमी कंधे पर लादकर ले जाना पड़ा। करीब-करीब हर महीने इस तरह की तकलीफ से लोगों को दो चार होना पड़ता है। अब दर्दनाक खबर आई है। ग्राम सभा इराणी में तबीयत खराब होने के बाद अस्पताल के लिए ले जाते समय रास्त में ही दो लोगों ने दम तोड़ दिया।
दोनों अलग-अलग घटनाओं में मरीज को ले जा रहे लोग रास्ते में थे तभी जान चली गई। पहला मामला सराद सिंह का है जिनकी उम्र 61 साल थी। उन्हें बेहोशी की हालत में सड़क मार्ग तक 6-7 किमी पैदल ले जाना पड़ा पर बचाया नहीं जा सका। दूसरी घटना में मकर सिंह गिरकर घायल हो गए थे।
घर और आसपास के लोग ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होकर तेजी से अस्पताल लेकर जा रहे थे पर रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई। उनकी उम्र 49 साल थी।
इराणी गांव के लोगों की परेशानी सिर्फ सड़क ही नहीं है। गांव में अस्पताल न होने से छोटी सी परेशानी भी भारी पड़ जाती है। चमोली का सुदूरवर्ती गांव इराणी असुविधाओं, 8-10 किमी पैदल जाकर इलाज कराने के कारण ही सुर्खियों में रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन से कई बार गुहार लगाई गई पर कोई ठोस समाधान नहीं निकला।
रास्ते भी ऐसे होते हैं कि जरा सी नजर चूकी तो हादसा हो सकता है। देखिए तस्वीरें और समझिए कि पहाड़ों में रास्ता न होने के कारण लोगों को कैसी दिक्कतें आ रही हैं। अब दो लोगों की मौत के बाद शायद प्रशासन इस ओर गंभीरता से प्रयास करे।
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उत्तराखंड में फिर से डराने लगा कोरोना, मसूरी में पूर्ण लॉकडाउन के आदेश - Hill-Mail | हिल-मेल
March 14, 2021, 8:37 pm[…] […]
REPLYहरक सिंह रावत ने CM तीरथ को कोटद्वार सीट की ऑफर, पर बदले में... - Hill-Mail | हिल-मेल
March 15, 2021, 11:54 am[…] […]
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