उत्तराखंड में सोनप्रयाग से केदारनाथ 12.9 किलोमीटर लम्बी रोपवे परियोजना के निर्माण पर 4081.28 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा। रोपवे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी में विकसित करने की योजना है और यह परियोजना सबसे उन्नत ट्राई-केबल डिटेचेबल गोंडोला-3एस तकनीक पर आधारित होगा जिसकी डिजाइन क्षमता 1800 यात्री प्रति घंटे प्रति दिशा होगी, जो प्रति दिन 18 हजार यात्रियों को लाने ले जाने में सक्षम होगी। एक गोंडोला मिनी बस के समान होगा जिसमें एक बार में 36 यात्री सवारी कर सकेंगे।
सरकार ने पर्वतमाला परियोजना के अंतर्गत उत्तराखंड में स्थिति तीर्थ स्थल बाबा केदारनाथ तथा सिखों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को रोपवे की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कुल 6811 करोड रुपए की लागत की दो परियोजनाओं के निर्माण को आज मंजूरी प्रदान की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की आज यहां हुई बैठक में इन दोनों परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इन परियोजनाओं पर डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और स्थानांतरण-डीबीएफओटी मोड पर काम कराया जाएगा जिन्हें चार से छह वर्ष के भीतर पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दोनों रोपवे परियोजनाओं को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधीन कंपनी राष्ट्रीय राजमार्ग रसद प्रबंधन लिमिटेड (एनएचएलएमएल) द्वारा बनाया जाएगा।
अश्विनी वैष्णव बताया कि उत्तराखंड में सोनप्रयाग से केदारनाथ 12.9 किलोमीटर लम्बी रोपवे परियोजना के निर्माण पर 4081.28 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा। रोपवे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी में विकसित करने की योजना है और यह परियोजना सबसे उन्नत ट्राई-केबल डिटेचेबल गोंडोला-3एस तकनीक पर आधारित होगा जिसकी डिजाइन क्षमता 1800 यात्री प्रति घंटे प्रति दिशा होगी, जो प्रति दिन 18 हजार यात्रियों को लाने ले जाने में सक्षम होगी। एक गोंडोला मिनी बस के समान होगा जिसमें एक बार में 36 यात्री सवारी कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि रोपवे निर्माण से केदारनाथ की यात्रा गौरीकुंड से 16 किलोमीटर की चढ़ाई में लगने वाला 8 से 9 घंटे की अवधि घटकर महज 36 मिनट रह जाएगी। प्रस्तावित रोपवे की योजना मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों को सुविधा प्रदान करने और सोनप्रयाग और केदारनाथ के बीच हर मौसम में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ में 6 से 7 महीने में हर साल लगभग 20 लाख तीर्थयात्री पहुंचते हैं। रोपवे के निर्माण से यह संख्या 23 लाख हो जाएगी।
श्री वैष्णव ने बताया कि गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किमी रोपवे परियोजना को भी डीबीएफओटी मोड पर तैयार किया जाएगा। इसमें 10.55 किलोमीटर तक गोविंदघाट से घांघरिया तक और 1.85 किलोमीटर घांघरिया से हेमकुंड साहिब तक बनाया जाएगा। इस परियोजना पर 2730.13 करोड़ रुपए लागत आने का अनुमान है। करीब 15 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब की यात्रा गोविंदघाट से 21 किमी की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई है।
उन्होंने कहा कि इस रोपवे से हेमकुंड साहिब के दर्शन के साथ ही फूलों की घाटी का दौरा करने वाले पर्यटकों को भी सुविधा होगी जो घांघरिया से करीब चार किलोमीटर की दूरी पर है। इस तीर्थ पर हर साल करीब दो लाख यात्री पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि इस समय हेमकुंड साहिब में चार से पांच घंटे ही दर्शन हो पाते हैं। रोपवे बनने के बाद दिन में दस घंटे तक दर्शन की सुविधा संभव हो सकेगी। रोपवे के माध्यम से एक दिन में करीब 1100 यात्री आ जा सकेंगे।
एक सवाल के जवाब में सूचना प्रसारण मंत्री ने बताया कि दोनों परियोजनाओं को मंजूरी देने से पहले पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरायी से विचार किया गया है और सभी चिंताओं का समाधान किया गया है। रोपवे का संचालन उत्तराखंड रोपवे अधिनियम 2014 के अंतर्गत किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि केदारनाथ एवं हेमकुंड साहिब के लिए माल पहुंचाने के लिए भी रोपवे सेवा बहुत उपयोगी साबित होगी। सामान के परिवहन की लागत घटने से यात्रियों को भी लाभ होगा।
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