उत्तराखंड को सैन्य धाम यूं ही नहीं कहा जाता है। यहां के हर गांव, करीब-करीब हर घर से लोग सेना में देश की सेवा करते मिल जाएंगे इसीलिए लोग देवभूमि के साथ ही उत्तराखंड की धरती को वीरों की भूमि भी कहते हैं।
पहाड़ के सपूत पूर्व नेवी चीफ और वर्तमान में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल एडमिरल डीके जोशी (रिटायर्ड) उत्तराखंड वॉर मेमोरियल में बतौर पैट्रन शामिल होने के लिए राजी हो गए हैं। वॉर मेमोरियल के चेयरमैन तरुण विजय ने कहा, ‘हमारे लिए यह सम्मान की बात है और उनकी मौजूदगी और आशीर्वाद हमारे काम को और आगे ले जाएगा और जल्द पूरा होगा।’
आपको बता दें एडमिरल जोशी अल्मोड़ा के रहने वाले हैं। वीरों की भूमि उत्तराखंड में पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर परिकर ने अप्रैल 2016 में वॉर मेमोरियल का शिलान्यास किया था।
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उधर, नेवल चीफ एडमिरल करमबीर सिंह ने नेवल शिप की रिप्लिका वॉर मेमोरियल को भेजने की बात कही है। आर्मी चीफ के करगिल भित्ति चित्र और बंदूकें पहले ही प्राप्त हो चुकी हैं। तरुण विजय ने बताया कि कंटोनमेंट बोर्ड के सीईओ तनु जैन की अगुआई में काम तेजी से बढ़ रहा है। दो महीने के भीतर ही एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया द्वारा गिफ्ट की गई मिग 21 के एयरफ्रेम को स्मारक में खड़ा किया जाएगा।
काफी सादगी पसंद है डीके जोशी
केंद्रशासित प्रदेश अंडमान-निकोबार के उपराज्यपाल और पूर्व नौसेनाध्यक्ष एडमिरल डीके जोशी काफी सादगी पसंद व्यक्ति हैं। उपराज्यपाल बनाए जाने के बाद वह खुद ही अपनी कार ड्राइव कर रानीखेत से दिल्ली पहुंचे थे।
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जोशी का जन्म 4 जुलाई 1954 को ग्राम लक्ष्मीनगर जिला अल्मोड़ा, उत्तराखंड में हुआ था। उनकी दो बेटियां हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई नैनीताल, लखनऊ और बरेली से हुई। 9 जुलाई 1965 में जोशी ने नैनीताल के मेजर राजेश अधिकारी स्कूल में कक्षा छठी (ए) में प्रवेश लिया। 1971 में इंटरमीडिएट की शिक्षा के लिए वह फिर नैनीताल आये।
वह 31 अगस्त 2012 से 26 फरवरी 2014 तक 21वें नौसेनाध्यक्ष रहे। उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक, नौसेना पदक, युद्ध सेवा पदक से नवाजा गया है। 38 वर्षों तक विभिन्न कमान व निदेशात्मक पदों पर नियुक्ति के दौरान उन्होंने देश को अपनी सेवाएं दीं। इस समय वह अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल हैं।
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